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20170507

भारतीय किसान के अविराम संघर्ष की जीवन्त निष्पत्ति : कालीचाट - प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा

भारतीय किसान के अविराम संघर्ष की जीवन्त निष्पत्ति

प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

'डग डग रोटी पग पग नीर' की धरती के रूप में जगविख्यात  रहे मालवा के एक किसान के जीवन संघर्ष के बहाने भारतीय परिदृश्य में कृषकों की त्रासद गाथा के नाम रही फिल्म कालीचाट। सुलेखक और समाजकर्मी डॉ सुनील चतुर्वेदी के इसी शीर्षक उपन्यास पर आधारित फिल्म का निर्देशन प्रतिभावान सिनेकार सुधांशु शर्मा ने किया है। प्रवाहमयी मालवी - हिंदी में रची पटकथा और संवाद योजना सोनल शर्मा की है। 

खेत को सींचने के लिए जल की तलाश में कथा नायक सीताराम अभेद्य चट्टान 'कालीचाट' से ही नहीं टकराता है,  संवेदनहीन व्यवस्था और स्वार्थ पर टिकी सामाजिक संरचना से भी तकलीफदेह टकराहट का शिकार होता है। आसपास जमे शोषण तंत्र के कई चिह्ने - अनचिह्ने चेहरे बदलते रहते हैं, लेकिन सीताराम जैसे किसान वही हैं जोअन्नदाता होकर भी सदियों से आंतर-बाह्य पीड़ा और दंश को झेल रहे हैं। सिंचित भूमि और सुखी जीवन का ख़्वाब देखते-देखते सीताराम का सब कुछ छिनता जाता है। असमाप्त शोषण, उत्पीड़न और हताशा से अभिशप्त हो वह आत्मघात को विवश होता है। कृषि तंत्र पर टिकी भारतीय अर्थ व्यवस्था को खोखला करते लोगों के बीच पहले भूमि से बेदखल और फिर आत्महंता बनता किसान फ़िल्म को अंदर तक हिला देने वाला अनुभव बना देता है।



कालीचाट की प्रमुख भूमिकाओं में प्रकाश देशमुख, वीरेंद्र नथानीयल, दुर्गेश बाली, भूषण जैन आदि ने अपनी रंगमंचीय दक्षता को बड़ी शिद्दत से विस्तार दिया है। गीतिका श्याम, समर्थ शांडिल्य, किशोर यादव भी अपनी भूमिकाओं में खरे उतरे। मालवा की कबीर पंथी गायन परम्परा से जुड़े गीत-संगीत ने परिवेश को जीवंत बनाने से आगे जाकर स्थितियों पर टिप्पणी भी की। मालवा की लोक धुनों से अनुरंजित संगीत संजीव कोहली और गायन स्वर कालूराम बामनिया कोई कम असरकारक नहीं है। मालवा के मनोरम लोक जीवन के कई बिम्ब निर्देशकीय कौशल का साक्ष्य दे गए।

प्रबुद्धजनों के लिए विशेष तौर पर रखे गए फ़िल्म प्रदर्शन के बाद इन सभी के साथ संवाद का मौका स्मरणीय रहा। फ़िल्म प्रदर्शन के साथ पुस्तक प्रदर्शनी और संवाद के सहभागी बने थे बन्धुवर मनीष वैद्य, राजेश सक्सेना, बहादुर पटेल  और कई सृजनधर्मी। कालीचाट जैसे श्रेष्ठ उपन्यास के प्रकाशन के लिए Antika Prakashan  के प्रमुख और सुलेखक गौरीनाथ Gouri Nath को बधाई।




राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनेक पुरस्कारों से अलंकृत इस फ़िल्म का ट्रेलर देखने के लिए लिंक पर जाएं:




फ़िल्म को अब तक मिले अवार्ड्स के लिए लिंक:









20170506

बैंकाक (थाईलैण्ड) में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के हिन्दी सेवा सम्मान से अंलकृत हुए प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा

बैंकाक (थाईलैण्ड) में विश्व हिन्दी मंच एवं सिल्पकार्न विश्वविद्यालय, बैंकाक के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेस में मुझे हिन्दी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के क्षेत्र में किये गये विनम्र प्रयासों के लिए विश्व हिन्दी सेवा सम्मान से अंलकृत किया गया।बैंकाक (थाईलैण्ड) का यह प्रवास कई अर्थों में एक यादगार अनुभव रहा। आयोजन की रपट , फोटोग्राफ्स और कांफ्रेस के दौरान अर्धागिनी प्रो. राजश्री शर्मा एवं सुपुत्र अंश शर्मा  के साथ संस्कृत स्टडी सेंटर,सिल्पकार्न विश्वविद्यालय, बैंकाक के बाहर स्थापित गणेश मंडप के सम्मुख यादगार छायाचित्र यहाँ प्रस्तुत हैं । 

इस अवसर पर डा. अनिल जूनवाल की रपट देखिये   -  

विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलानुशासक एवं समालोचक प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा को बैंकाक (थाईलैण्ड) में विश्व हिन्दी मंच एवं सिल्पकार्न विश्वविद्यालय, बैंकाक के संयुक्त तत्वावधान में 17-21 अक्टूबर 2013 तक आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेस में विश्व हिन्दी सेवा सम्मान से अंलकृत किया गया। उन्हें यह सम्मान सिल्पकार्न विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित समारोह में थाईलैण्ड के प्रख्यात विद्वान प्रो. चिरापद प्रपंडविद्या, संस्कृत स्टडी सेंटर के निदेषक डा. सम्यंग ल्युमसाइ एवं हिन्दी के प्रो. बमरूंग काम-एक के कर-कमलों से अर्पित किया गया। इस सम्मान के अंतर्गत उन्हें सम्मान-पत्र एवं ग्रंथ अर्पित किये गये। प्रो. शर्मा साहित्य और विश्व शांति पर केंद्रित इस सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के विशिष्ट अतिथि थे। उन्होंने वैश्विक साहित्य और विश्व शांतिपर केंद्रित शोध पत्र प्रस्तुत किया। उनकी धर्मपत्नी एवं माधव कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, उज्जैन की प्रो. श्रीमती राजश्री शर्मा ने इस सम्मेलन में लिटरेचर, कल्चर एण्ड ग्लोबल हार्मोनीपर विषय पर अपना  शोध पत्र प्रस्तुत किया।

प्रो. शर्मा को यह सम्मान विगत ढाई दशकों से हिन्दी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के क्षेत्र में किये गये उल्लेखनीय लेखन एवं कार्यों के लिए अर्पित किया गया। इस सम्मेलन में भारत, मारीशस एवं थाईलैण्ड के सौ से अधिक विद्वान, संस्कृतिकर्मी एवं साहित्यकार उपस्थित थे।
 
प्रो.  शर्मा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विश्व हिन्दी सेवा सम्मान से अंलकृत किए जाने पर विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति प्रो. आर.सी.वर्मापूर्व कुलपति प्रो. रामराजेश मिश्र, प्रो. टी.आर. थापक, प्रो. नागेश्वर रावकुलसचिव डा. बी.एल. बुनकर, इतिहासविद् डा. श्यामसुंदर निगम, साहित्यकार श्री बालकवि बैरागी, म.प्र. लेखक संघ के अध्यक्ष प्रो. हरीश प्रधान, नवसंवत नवविचार के अध्यक्ष डा. योगेश शर्मा, मित्रभारत के सचिव डा. दिनेश जैन, डा. भगवतीलाल राजपुरोहित, डा. शिव चौरसिया, डा. प्रमोद त्रिवेदी, डा. राकेश ढण्ड़, डा. जगदीशचंद्र शर्मा, प्रभुलाल चौधरी, अशोक वक्त, डा. अरूण वर्मा, डा. जफर महमूद, प्रो. बी.एल. आच्छा, डा. देवेन्द्र जोशी, डा. तेजसिंह गौड़, डा. सुरेन्द्र शक्तावत, श्री नरेन्द्र श्रीवास्तव नवनीत, श्रीराम दवे, श्री राधेश्याम पाठक उत्तम, श्री रामसिंह यादव, श्री ललित शर्मा, डा. राजेश रावल सुशील, डा. अजय शर्मा, संदीप सृजन, संतोष सुपेकर, डा. प्रभाकर शर्मा, राजेन्द्र देवधरे दर्पण, राजेन्द्र नागर निरंतर, अक्षय अमेरिया, डा. मुकेश व्यास, श्री श्याम निर्मल, युगल बैरागी आदि सहित अनेक शिक्षाविद्, संस्कृतिकर्मी और साहित्यकारों ने हर्ष व्यक्त कर उन्हें बधाई दी। 

प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा अंतर्राष्ट्रीय स्तर के हिन्दी सेवा सम्मान से अंलकृत होने की खबर कई अखबारों और बेव पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं । प्रमुख लिंक हैं- http://news.apnimaati.com/2013/10/blog-post_3516.html अपनी माटी http://www.palpalindia.com/2013/10/23/Ujjain-Proctor-critic-Prof-Vikram-University-Shailendra-Kumar-Sharma-news-hindi-india-26800.htmlhttp://navsahitykar.blogspot.in/2013/10/blog-post_24.html



 





  

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