महात्मा गांधी : विचार और नवाचार - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा : पुस्तक समीक्षा
- अरविंद श्रीधर
भारत के दो चरित्र ऐसे हैं जिनके बारे में सबसे अधिक लिखा - पढ़ा गया और जिनकी चर्चा उनके स्वयं के काल से लगाकर अब तक निरंतर जारी है। समाज एवं संपूर्ण मानव सृष्टि के लिए उनका अवदान है ही ऐसा कि भले ही आप उनसे असहमत हों, आप उन्हें उपेक्षित नहीं कर सकते। एक है भगवान श्रीकृष्ण और दूसरे हैं महात्मा गांधी. एक अवतारी पुरुष तो दूसरे ने अपने व्यक्तित्व और कृतित्व की ऐसी छाप छोड़ी कि अपने जीवन में ही किवदंती बन गए। यह कोई छोटी मोटी बात नहीं है कि दुनिया के 150 से अधिक देशों में महात्मा गांधी के नाम पर कुछ ना कुछ स्मारक हैं और इतने ही देशों ने उनके ऊपर 350 से अधिक डाक टिकट जारी किए हैं।
इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि श्रीमद्भगवद्गीता महात्मा गांधी को अत्यंत प्रिय रही है। निष्काम कर्म और अनासक्ति योग का पाठ पढ़ाने वाली गीता किसी भी कर्मयोगी के लिए प्रेरणा पुंज हो सकती है। उनके विशिष्ट अवदान और चिंतन पर केंद्रित पुस्तक महात्मा गांधी : विचार और नवाचार हाल ही में प्रकाशित हुई है, जिसका सम्पादन लेखक और आलोचक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने किया है।
महात्मा गांधी के 150 वें जन्म वर्ष पर विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन ने वर्ष पर्यंत कार्यक्रम शृंखला आयोजित कर उल्लेखनीय कार्य किया है। दरअसल युवा पीढ़ी को महात्मा गांधी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से परिचित कराना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है और विश्वविद्यालय इसके लिए सबसे उपयुक्त स्थल हैं। व्याख्यान और संगोष्ठियों के आयोजन से सीमित लोगों तक विचार पहुंच पाते हैं, जबकि सरल - सुबोध ग्रंथ निरंतर विचार प्रवाह का काम करते रहते हैं।
कार्यक्रम शृंखला के अंतर्गत विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा के संपादन में महात्मा गांधी : विचार और नवाचार ग्रंथ का प्रकाशन स्वागत योग्य है। इसके लिए मैं परम विचारवान, विद्यानुरागी, संस्कृति एवं हिंदी साहित्य के अधिकारी प्रवक्ता प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा को विशेष साधुवाद देना चाहूंगा क्योंकि यह उन्हीं की पहल का सुफल है।
ग्रंथ में सम्मिलित आलेख महात्मा गांधी के जीवन, कार्यों और चिन्तन के विविध पक्षों को उभारने में पूर्णत: सक्षम हैं। पूरी संभावना है कि ग्रंथ का पारायण करने के बाद, युवा महात्मा गांधी के बारे में विस्तार से जानने के प्रति उत्सुक हों, क्योंकि ग्रंथ उत्सुकता जगाने में भी पूर्णत: सक्षम है।
कुलपति प्रोफ़ेसर बालकृष्ण शर्मा ने महात्मा गांधी के प्रिय भजन 'वैष्णव जन तो तैने कहिए' की व्याख्या के माध्यम से पूरे गांधी दर्शन को प्रकाशित कर दिया है।
डाॅ मुक्ता का आलेख गांधीजी के मुख्य सरोकार, जीवन सिंह ठाकुर का आलेख गांधी दर्शन - भारतीय आत्मा का दर्शन, डॉ राकेश पांडेय का आलेख प्रवासी साहित्य, समाज और गांधी, डॉ मंजू तिवारी का आलेख लोकगीतों का अकेला लोकोत्तर नायक गांधी, डॉ पूरन सहगल का लेख अनंत लोक के महानायक महात्मा गांधी, डॉ विनय कुमार पाठक का आलेख छत्तीसगढ़ी लोक और शिष्ट साहित्य में गांधी, डॉ बहादुर सिंह परमार का आलेख बुंदेली लोक साहित्य और महात्मा गांधी, प्रोफेसर सत्यकेतु सांकृत का आलेख महात्मा गांधी और छात्र राजनीति, डॉ पुष्पेंद्र दुबे का आलेख खादी की कहानी और श्रीमती अर्चना त्रिवेदी का आलेख महात्मा गांधी और सत्याग्रह विचार भी गांधी के जिज्ञासुओं के लिए उपयोगी है।
गांधी चिंतन की जमीन और साहित्य पर गांधी के प्रभाव पर प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा का आलेख उपलब्धि बना है। गांधी चिंतन के साथ साहित्य और संस्कृति के रिश्तों पर केंद्रित जो सामग्री ग्रंथ में समाहित की गई है, वह तो गागर में सागर की तरह है। इतने संक्षेप में इतनी उपयोगी और प्रामाणिक जानकारी निश्चित रूप से विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए उपयोगी साबित होगी।
यह निर्विवाद सत्य है कि हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए गैर हिंदी भाषी महापुरुषों का बहुत बड़ा योगदान रहा है और महात्मा गांधी उन में अग्रगण्य है. इस पर केन्द्रित डॉ दिग्विजय शर्मा, डॉ जगदीश चंद्र शर्मा, डॉ जवाहर कर्नावट, डाॅ प्रतिष्ठा शर्मा के आलेख भी उपयोगी बन पड़े है। डॉ श्वेता पंड्या ने अपने आलेख में सियारामशरण गुप्त के काव्य पर गांधीजी के प्रभाव का विवेचन किया है।
ऋषिराज उपाध्याय ने एक सफर साधारण से महात्मा के माध्यम से डाक टिकटों और मुद्राओं में गांधी के अंकन पर प्रकाश डाला है। शिशिर उपाध्याय की रचना गांधी बाबा पाछा आओ, रफीक नागौरी की रचना बापू एवं डॉ देवेंद्र जोशी की रचना याद आएंगे गांधी बीसवीं सदी के महानायक का मार्मिकता से स्मरण कराती हैं।
महात्मा गांधी : विचार और नवाचार पुस्तक का प्रकाशन और भी उपयोगी तथा सार्थक साबित होगा, यदि यह अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे, और इस पर केंद्रित चर्चाएं भी आयोजित की जाएं। मुझे उम्मीद है कि विक्रम विश्वविद्यालय इस दिशा में अवश्य पहल करेगा।
पुस्तक का नाम : गांधी विचार और नवाचार
संपादक : प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा
प्रकाशक : विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन
प्रकाशन वर्ष : 2020
अरविन्द श्रीधर
arvindshridhar@gmail.com
बधाई, सर 💐💐
जवाब देंहटाएंअनेक धन्यवाद
हटाएंBahut badhi
जवाब देंहटाएंअनेक धन्यवाद
हटाएंबहुत सुंदर गुरुदेव।
जवाब देंहटाएंआत्मीय धन्यवाद
हटाएंबहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं आदरणीय सर जी, गांधी जी के विस्तृत चिंतन पर ग्रंथ उपयोगी सिद्ध होगा..🙏💐
जवाब देंहटाएंआत्मीय धन्यवाद
हटाएंनई पीढ़ी को नवपरिवर्तन के साथ गांधी जी के विचारों से अवगत कराने के लिए कोटि-कोटि धन्यवाद सर् जी। आप हमारे सच्चे मार्गदर्शक हैं।
जवाब देंहटाएंअनेक धन्यवाद
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