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20210106

सावित्रीबाई फुले : शिक्षा और सामाजिक सरोकार - प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा | Savitribai Phule : Education and Social Concerns - Prof. Shailendra Kumar Sharma

स्त्री शिक्षा के वैश्विक परिदृश्य में सावित्रीबाई फुले का योगदान अद्वितीय है  – प्रो शर्मा 


सावित्रीबाई फुले : शिक्षा और सामाजिक सरोकार पर केंद्रित राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी 


देश की प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा राष्ट्रीय वेब  संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें देश - दुनिया के साहित्यकारों और विद्वान वक्ताओं ने भाग लिया।  यह संगोष्ठी सावित्रीबाई फुले  : शिक्षा और सामाजिक सरोकार  पर केंद्रित थी।


कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा थे। संगोष्ठी की विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती सुवर्णा जाधव, मुंबई, शिक्षाविद डॉक्टर शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे, महासचिव डॉ प्रभु चौधरी एवं उपस्थित वक्ताओं ने श्रीमती सावित्रीबाई फुले के योगदान पर प्रकाश डाला।  कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ शिवा लोहारिया, जयपुर ने की। 




मुख्य अतिथि लेखक एवं आलोचक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि माता को सर्वोच्च गुरु का दर्जा देने वाले समाज में मध्ययुग में स्त्री शिक्षा की उपेक्षा की गई, जिसका सार्थक प्रतिरोध नवजागरण की पुरोधा सावित्रीबाई फुले ने किया। उन्होंने भारतीय समाज को व्यापक परिवर्तन के लिए तैयार किया। स्त्री शिक्षा की राह उनके द्वारा किए गए क्रांतिकारी  प्रयासों से सुगम हुई। स्त्री शिक्षा और सशक्तीकरण के वैश्विक परिदृश्य में सावित्रीबाई फुले का योगदान अद्वितीय है। भारतीय समाज, धर्म, इतिहास और परम्परा के सत्य शोधन के लिए उन्होंने ज्योतिबा फुले के साथ  महत्त्वपूर्ण कार्य किए। सामाजिक रूढ़ियों और जात पात के बंधन को तोड़ने में फुले दंपति ने अविस्मरणीय योगदान दिया। सावित्रीबाई फुले की कविताओं में उनके समय का दर्द और आक्रोश मुखरित हुआ है। उन्होंने प्रकृतिविषयक कविताओं के माध्यम से भी महत्त्वपूर्ण सन्देश दिए हैं।









विशिष्ट अतिथि डॉ सुवर्णा जाधव ने कहा कि एक प्रसिद्ध उक्ति है कि जब औरत पढ़ - लिख लेती है तो दोनों घरों को उजाला देती है। इसे सावित्रीबाई फुले ने व्यापक संदर्भों में चरितार्थ किया। उनके द्वारा किए गए महत्वपूर्ण प्रयत्नों के कारण स्त्री शिक्षा की राह खुली। सावित्रीबाई फुले ने महिला मंडलों के माध्यम से महिलाओं की स्थिति को सुधारने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके जन्मदिवस को बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है।



विशिष्ट अतिथि डॉक्टर शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे ने कहा कि सावित्रीबाई फुले ने स्त्री शिक्षा के लिए कार्य करते हुए अनेक यातनाएं झेलीं, लेकिन वे अपने पथ से दूर नहीं हुईं। उनका कार्य अनुपम है। रूढ़ियों से मुक्त कर आधुनिक विचारों का बीजवपन करना उनका उद्देश्य था। 

डॉ दत्तात्रेय टिलेकर, ओतुर ने कहा कि सावित्री बाई फुले को आद्य शिक्षिका के रूप में सम्मान मिला है। उन्होंने महिला शाला, प्रौढ़ शिक्षा, आनंददायी शिक्षा और सूत कताई की आधारशिला रखी। 



संस्था के महासचिव डॉक्टर प्रभु चौधरी ने सावित्रीबाई फुले के बहुआयामी व्यक्तित्व और योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सावित्रीबाई फुले की पुण्य तिथि पर मातृशक्ति सम्मान समारोह का आयोजन 7 एवं 8 मार्च 2021 को जयपुर में किया जाएगा। 



अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉक्टर शिवा लोहारिया ने कहा कि सावित्रीबाई फुले का संदेश है कि हम सब मिलकर सभी वर्ग की महिलाओं की शिक्षा और उन्नति के लिए कार्य करें। 



डॉ रजिया शहनाज शेख, राष्ट्रीय सचिव ने कहा कि सावित्रीबाई फुले ने स्त्री शिक्षा के साथ विधवा पुनर्विवाह के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया। उन्होंने अस्पृश्यता और बाल विवाह का विरोध किया। फातिमा शेख जैसी अनेक स्त्रियों को उन्होंने शिक्षित किया, जिन्होंने बाद में उनके साथ इस दिशा में गम्भीर कार्य किए। स्त्री शिक्षा के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए उल्लेखनीय योगदान के लिए ब्रिटिश शासन ने उनका सम्मान किया था।



डॉ भरत शेणकर, अहमदनगर के जन्मदिवस पर उनका सारस्वत सम्मान अतिथियों द्वारा किया गया। डॉ रोहिणी डाबरे, अहमदनगर ने डॉ शेणकर के योगदान पर प्रकाश डाला। वाग्देवी की वंदना डॉ संगीता पाल कच्छ में प्रस्तुत की तथा अतिथि परिचय डॉ संगीता बल्लाल ने दिया। कार्यक्रम को संबोधित करने वालों में प्रमुख थे नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली के महामंत्री डॉक्टरी हरिसिंह पाल, संस्था अध्यक्ष श्री ब्रजकिशोर शर्मा, गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी, प्रयागराज, श्रीमती लता जोशी, मुंबई, अनिल ओझा, इंदौर  आदि।



राष्ट्रीय संगोष्ठी में साहित्यकार एवं संस्था की राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉक्टर सुवर्णा जाधव, मुंबई, डॉ भरत शेणकर, अहमदनगर, श्री अनिल काले, डॉ मुक्ता कौशिक, रायपुर, डॉ पूर्णिमा कौशिक, रायपुर, डॉ शिवा लोहारिया, जयपुर, गरिमा गर्ग, पंचकूला, समीर सैयद, श्रीमती कुसुम लता कुसुम, नई दिल्ली आदि सहित अनेक साहित्यकारों ने भाग लिया।




संगोष्ठी के प्रारंभ में सरस्वती वंदना डॉ पूर्णिमा कौशिक, महासचिव, छत्तीसगढ़ इकाई, रायपुर ने की। स्वागत भाषण गरिमा गर्ग, राष्ट्रीय सचिव, पंचकूला, हरियाणा ने दिया। संस्था परिचय एवं प्रस्तावना डॉ राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ मुक्ता कौशिक, रायपुर ने प्रस्तुत की।  

राष्ट्रीय संगोष्ठी का संचालन साहित्यकार डॉ रश्मि चौबे, गाजियाबाद ने किया। आभार प्रदर्शन शिवा लोहारिया, जयपुर ने किया।












 



सावित्रीबाई फुले जयंती प्रसङ्ग 


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