पेज

20200424

कबीर वाणी में रावण का अंत

रावणान्त : कबीर वाणी में
प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा 
इक लख पूत सवा लख नाती।
तिह रावन घर दिया न बाती॥
- - - - - - - - - - - - - - - -

लंका सा कोट समुद्र सी खाई।
तिह रावन घर खबरि न पाई।

क्या माँगै किछू थिरु न रहाई।
देखत नयन चल्यो जग जाई॥

इक लख पूत सवा लख नाती।
तिह रावन घर दिया न बाती॥

चंद सूर जाके तपत रसोई।
बैसंतर जाके कपरे धोई॥

गुरुमति रामै नाम बसाई।
अस्थिर रहै कतहू जाई॥

कहत कबीर सुनहु रे लोई
राम नाम बिन मुकुति न होई॥

मैं (परमात्मा से दुनिया की) कौन सी चीज चाहूँ? कोई भी चीज सदा रहने वाली नहीं है; मेरी आँखों के सामने सारा जगत् चलता जा रहा है।

जिस रावण का लंका जैसा किला था, और समुद्र जैसी (उस किले की रक्षा के लिए बनी हुई) खाई थी, उस रावण के घर का आज निशान नहीं मिलता।

जिस रावण के एक लाख पुत्र और सवा लाख पौत्र (बताए जाते हैं), उसके महलों में कहीं दीया-बाती जलता ना रहा।

(ये उस रावण का वर्णन है) जिसकी रसोई चंद्रमा और सूरज तैयार करते थे, जिसके कपड़े बैसंतर (वैश्वानर अग्नि) धोता था (भाव, जिस रावण के पुत्र - पौत्रों का भोजन पकाने के लिए दिन-रात रसोई तपती रहती थी और उनके कपड़े साफ करने के लिए हर वक्त आग की भट्ठियाँ जलती रहती थीं)।

अतः जो मनुष्य (इस नश्वर जगत् की ओर से हटा कर अपने मन को) सतगुरु की मति ले कर प्रभु के नाम में टिकाता है, वह सदा स्थिर रहता है, (इस जगत् माया की खातिर) भटकता नहीं है।

कबीर कहते हैं – सुनो, हे जगत के लोगो! प्रभु के नाम स्मरण के बिना जगत से मुक्ति सम्भव नहीं है।



कबीर वाणी में वर्णित रावण संबंधी प्रसंग बहुअर्थी हैं। लंका का अधिपति राक्षसराज रावण परम ज्ञानियों में से एक माना गया है। उसकी शिव उपासना एवं शिव को शीश अर्पित करके इष्ट फल की प्राप्ति की कथा लोक में बहुत प्रसिद्ध है। अपनी वासना, लोभ, मोह और अहंकार के कारण उसने रघुकुलनंदन राम की पत्नी सीता का अपहरण कर लिया, जो अंततः उसके विनाश का कारण बना। इस प्रकार रावण का व्यक्तित्व रचनाकारों के लिए विकारों के दुष्परिणामों को चित्रित करने के लिए महत्त्वपूर्ण रहा है।
 
संत नामदेव के शब्दों में

सरब सोइन की लंका होती रावन से अधिकाई ॥
कहा भइओ दरि बांधे हाथी खिन महि भई पराई ॥
 
संत कबीर जीव को काम, क्रोध, लोभ, मोह और अंहकार जैसे विकारों से बचने का निरंतर उपदेश देते हैं। उनके समक्ष रावण जैसे परम ज्ञानी का अपने इन्हीं विकारों के कारण ध्वस्त होने का उत्तम उदाहरण है। कबीर रावण द्वारा जीव को मृत्यु की शाश्वतता का संकेत करते हुए उसे इन विकारों का त्याग करते हुए सद्पंथ पर चलने और ईश्वर की शरण में जाने का सन्देश देते हैं,

असंखि कोटि जाकै जमावली, रावन सैनां जिहि तैं छली।
ना कोऊ से आयी यह धन, न कोऊ ले जात।
रावन हूँ मैं अधिक छत्रपति, खिन महिं गए वितात।

कबीर ने अपने इष्ट के लिए लोक-प्रचलित विविध अवतारी नामों का प्रयोग भी किया है, जिसका मुख्य उद्देश्य निर्गुण मत का प्रचार करना ही रहा है। कबीर ने रावण-प्रसंग में अपने इष्ट के लिए विशेषतः 'राम' शब्द का प्रयोग इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए ही किया है ।

एक हरि निर्मल जा का आर न पार 

लंका गढ़ सोने का भया । मुर्ख रावण क्या ले गया।
कह कबीर किछ गुण बिचार । चले जुआरी दोए हथ झार । 
मैला ब्रह्मा मैला इंद । रवि मैला मैला है चंद । 
मैला मलता एह संसार । एक हरि निर्मल जा का अंत ना पार । 
रहाऊ मैले ब्रह्मंड के ईस । मैले निस बासर दिन तीस । 
मैला मोती मैला हीर । मैला पउन पावक अर नीर ।
मैले शिव शंकरा महेस । मैले सिद्ध साधक अर भेख ।
मैले जोगी जंगम जटा सहेत । मैली काया हंस समेत ।
कह कबीर ते जन परवान । निर्मल ते जो रामहि जान ।

कबीर जी कहते हैं - सोने की लंका होते हुए भी मूर्ख रावण अपने साथ क्या लेकर गया ? अपने गुण पर कुछ विचार तो करो । वरना हारे हुए जुआरी की तरह दोनों हाथ झाड कर जाना होगा । ब्रह्मा भी मैला है । इंद्र भी मैला है । सूर्य भी मैला है। चाँद भी मैला है । यह संसार मैले को ही मल रहा है । अर्थात मैल को ही अपना रहा है । एक हरि ही है - जो निर्मल है । जिसका न कोई अंत है । और न ही उसकी कोई पार पा सकता है । ब्रह्मांड के ईश्वर भी मैले हैं । रात दिन और महीने के तीसों दिन मैले हैं । हीरे जवाहरात मोती भी मैले हैं । पानी हवा और आकाश भी मैले हैं । शिव महेश भी मैले हैं । सिद्ध लोग साधना करने वाले और भेष धारण करने वाले भी मैले हैं । जोगी जंगम और जटाधारी भी मैले हैं । यह तन हंस भी बन जाए । तो भी मैला है । कबीर कहते हैं - केवल वही कबूल हैं, जिन्होंने राम जी को जान लिया है ।



Shailendrakumar Sharma

प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा
आचार्य एवं विभागाध्यक्ष
हिंदी अध्ययनशाला
कला संकायाध्यक्ष
विक्रम विश्वविद्यालय
उज्जैन

15 टिप्‍पणियां:

  1. बेनामी5.10.22

    बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं
  2. बेनामी5.10.22

    सर सुन्दर पंक्तियाँ 🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. बेनामी5.10.22

    जीवन दर्शन को व्यक्त करते भाव 🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. बेनामी5.10.22

    Bahut sunder vyakhya 🙏🌷

    जवाब देंहटाएं
  5. कबीर वाणी की सुंदर विवेचना ।🌹

    जवाब देंहटाएं
  6. बेनामी6.10.22

    बहुत बढ़िया और प्रभाव शाली

    जवाब देंहटाएं
  7. कबीर दास जी ने जिस तरह लंकापति रावण को राम से विमुख होकर उसका पतन बताया है वो काबिलेतारीफ है .

    जवाब देंहटाएं
  8. बेनामी26.9.23

    Jai shri raam... Bhout hi sunder panktiya🙏

    जवाब देंहटाएं
  9. बेनामी25.10.23

    बहुत ही सुंदर आदरणीय सर जी

    जवाब देंहटाएं

Featured Post | विशिष्ट पोस्ट

महात्मा गांधी : विचार और नवाचार - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा : वैचारिक प्रवाह से जोड़ती सार्थक पुस्तक | Mahatma Gandhi : Vichar aur Navachar - Prof. Shailendra Kumar Sharma

महात्मा गांधी : विचार और नवाचार - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा : पुस्तक समीक्षा   - अरविंद श्रीधर भारत के दो चरित्र ऐसे हैं जिनके बारे में  सबसे...

हिंदी विश्व की लोकप्रिय पोस्ट