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20230622

Swantah Sukhay - self satisfaction in Arts - Prof. Shailendra Kumar Sharma | स्वान्तः सुखाय या आत्म सन्तुष्टि | प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा

Swantah Sukhay - Self Satisfaction in Arts

Prof. Shailendra Kumar Sharma 

Great poets and thinkers have different views about 'Kavya Prayojans'- poetic usage, the purposes of poetry or art.




The word 'Prayojana' means purpose or objective. It is believed that nothing is done without purpose or objective. Regarding the purpose of poetry, there are various views of various theorists or critics.

Swantah Sukhay means Personal inner happiness.

The concept of Swantah sukhaya is given by Goswami Tulsidas. 

He wrote,  Swantah sukhaya Tulasi Raghunath Gatha.

नानापुराणनिगमागमसम्मतं यद् 

रामायणे निगदितं क्वचिदन्यतोऽपि। 

स्वांत:सुखाय तुलसी रघुनाथगाथा

भाषानिबंधमतिमंजुलमातनोति॥

Means, According to many Puranas, Vedas and Shastras and which is described in Ramayana and also available from some other places, Tulsidas composes the story of Raghunath in a very beautiful language for the pleasure of his conscience.


Goswmi Tulsidas was a great Hindi poet who wrote „Ramacharit Manas‟. He said that he wrote it for his personal happiness and joy. Great poem, fame and wealth are the best when they create welfare of all like the river of the River Ganga. He connects the purity and sacredness of the River Ganga with poetry. He believed that Loka-Mangal (welfare of the people) is the ultimate goal of poetry.


**** 


स्वान्तः सुखाय - कला में आत्म संतुष्टि

प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा 

काव्य प्रयोग, कविता या कला के उद्देश्यों के बारे में महान कवियों के विभिन्न विचार हैं। शब्द 'प्रयोग' का अर्थ उद्देश्य या उद्देश्य है। ऐसा माना जाता है कि बिना उद्देश्य या उद्देश्य के कुछ भी नहीं किया जाता है। काव्य के प्रयोजन के सम्बन्ध में विभिन्न सिद्धांतकारों या कवियों के भिन्न-भिन्न मत हैं।

स्वान्तः सुखाय का अर्थ है व्यक्तिगत आंतरिक प्रसन्नता।

स्वान्त सुखाय (स्वान्तः सुखाय तुलसी रघुनाथ गाथा) की अवधारणा गोस्वामी तुलसीदास द्वारा दी गई है।

उन्होंने लिखा है, 

नानापुराणनिगमागमसम्मतं यद् 

रामायणे निगदितं क्वचिदन्यतोऽपि। 

स्वांत:सुखाय तुलसी रघुनाथगाथा

भाषानिबंधमतिमंजुलमातनोति॥  (बालकांड / 7)


अनेक पुराण, वेद और शास्त्र से सम्मत तथा जो रामायण में वर्णित है और कुछ अन्यत्र से भी उपलब्ध रघुनाथ की कथा को तुलसीदास अपने अंत:करण के सुख के लिए अत्यंत मनोहर भाषा रचना में निबद्ध करता है।

गोस्वामी तुलसीदासजी ऐसे कवि थे, जिन्होंने जीवन को इस ढंग से स्पर्श किया कि कवि से ऊंचे उठकर ऋषि हो गए। उन्होंने लिखा है- 'स्वांत: सुखाय तुलसी रघुनाथ गाथा। ' इसका सीधा-सा अर्थ है मैं अपने सुख के लिए कथा कर रहा हूं। लेकिन, दूसरों को सुख मिले इसके लिए भी उन्होंने काव्य सर्जना की।

गोस्वामी तुलसीदास एक महान हिंदी कवि थे जिन्होंने 'रामचरित मानस' लिखा था। उन्होंने कहा कि उन्होंने इसे अपनी निजी खुशी और खुशी के लिए लिखा है। महान कविता, प्रसिद्धि और धन तब श्रेष्ठ होते हैं जब वे गंगा नदी की तरह सभी का कल्याण करते हैं। वे गंगा नदी की पवित्रता और पवित्रता को काव्य से जोड़ते हैं। उनका मानना था कि लोक-मंगल (लोगों का कल्याण) कविता का अंतिम लक्ष्य है।

20230120

Indian Freedom Movement: Perspective of Literature and Education - Prof. Shailendra Kumar Sharma | भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन : साहित्य और शिक्षा का परिप्रेक्ष्य - प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन : साहित्य और शिक्षा के परिप्रेक्ष्य में पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में देश के कोने कोने के असंख्य साहित्यकारों, संस्कृतिकर्मियों, कलाकारों और शिक्षकों ने निभाई अविस्मरणीय भूमिका - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

शिक्षाविद श्री ब्रजकिशोर शर्मा का सारस्वत सम्मान हुआ

मारोह में संचेतना समाचार के गणतंत्र दिवस एवं बसंत पर्व विशेषांक का विमोचन हुआ


प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा प्रेस क्लब, उज्जैन में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन : साहित्य और शिक्षा के परिप्रेक्ष्य में पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। आयोजन में वरिष्ठ शिक्षाविद एवं साहित्यकार श्री ब्रजकिशोर शर्मा को शॉल, श्रीफल और पुष्पगुच्छ अर्पित कर उनका सारस्वत सम्मान तथा संचेतना समाचार के गणतंत्र दिवस एवं बसंत पर्व विशेषांक का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया।


समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शिव चौरसिया, उज्जैन, प्रमुख अतिथि वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा थे। कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि श्री ब्रजकिशोर शर्मा, राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं प्रो बी एल आच्छा, चेन्नई थे। अध्यक्षता श्री यशवंत भंडारी, राष्ट्रीय संयोजक, झाबुआ ने की।

मुख्य अतिथि डॉ शिव चौरसिया ने कहा कि भारत में आजादी का संघर्ष अनेक शताब्दियों पहले शुरु हो गया था। उसमें महाराणा प्रताप, वीर शिवाजी, रानी दुर्गावती आदि ने अविस्मरणीय योगदान दिया। आधुनिक युग में स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानन्द, रवींद्रनाथ टैगोर आदि ने शिक्षा, संस्कृति और साहित्य के क्षेत्र में नव चेतना का प्रसार किया। मैथिलीशरण गुप्त, निराला, प्रसाद, सुभद्राकुमारी चौहान जैसे अनेक रचनाकारों ने स्वाधीनता आंदोलन में महत्वपूर्ण आधार दिया। उस दौर के कई लेखकों ने प्राचीन वैभव का स्मरण कराते हुए राष्ट्रप्रेम जगाने की कोशिश अपनी रचनाओं के माध्यम से की।

संगोष्ठी के प्रमुख वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में देश के कोने कोने के असंख्य साहित्यकारों, संस्कृतिकर्मियों, कलाकारों और शिक्षकों ने अविस्मरणीय भूमिका निभाई। राष्ट्रीय चेतना के प्रसार में बालकृष्ण शर्मा नवीन ने अपनी रचनाओं और पत्रकारिता के माध्यम से अविस्मरणीय योगदान दिया। उन्होंने अनेक आंदोलनों में सक्रियता से भाग लिया। वे अनेक बार जेल गए और अपने जीवन के नौ वर्ष उन्होंने जेल में बिताए। महामना मालवीय जी ने स्वाधीनता आंदोलन के समानांतर शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की संकल्पना की, जिसने अनेक क्रांतिकारियों को स्वाधीनता आंदोलन में योगदान की प्रेरणा दी। महामना ने अपनी कविताओं में ईश्वर से दीनता और दासता से मुक्ति और स्वाधीनता का वरदान मांगा है। उस दौर के कई लेखकों की रचनाओं और पत्रकारिता में राष्ट्र-प्रेम, राष्ट्रीय आंदोलन की चेतना तथा विद्रोह का स्वर मुखरित हुआ है। मालवी सहित अनेक लोकभाषाओं के लोकगीत और गाथाओं में स्वाधीनता आंदोलन में योगदान देने वाले अमर शहीदों और प्रसंगों का चित्रण हुआ है।


शिक्षाविद श्री ब्रजकिशोर शर्मा ने कहा कि ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले आदि ने वंचित वर्ग के लोगों को शिक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए। टैगोर ने शांति निकेतन के माध्यम से नवीन चेतना जागृत की। पं मदनमोहन मालवीय ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में महात्मा गांधी को आमंत्रित कर उनका सम्मान किया था।

चेन्नई के साहित्यकार प्रो बी एल आआच्छा ने कहा कि तमिलनाडु में शिक्षा, अनुसंधान और साहित्य के क्षेत्र में हिंदी का पर्याप्त प्रयोग एवं प्रचार हो रहा है। चेन्नई में मासिक साहित्यिक गोष्ठी आयोजित की जाती हैं। चेन्नई सहित तमिलनाडु के कई शहरों में हिंदी अखबार बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंच रहे हैं। वहां के समाचार पत्रों में हिंदी की रचनात्मकता को स्थान मिल रहा है। हिंदी साहित्य के इतिहास में दक्षिण के साहित्यकारों को स्थान मिलना चाहिए।

कार्यक्रम की पीठिका, अतिथि परिचय एवं विशेषांक की जानकारी डॉ. प्रभु चौधरी राष्ट्रीय महासचिव ने दी। समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार श्री नरेंद्र मेहता, श्रीमती रेखा शर्मा, क्षितिज शर्मा, श्री कैलाश चंद्र शर्मा, श्री जे के सोनकर, डॉ शर्मिला पांचाल, किरण पोरवाल, संस्था पदाधिकारी प्रगति बैरागी, राष्ट्रीय सचिव, सुन्दरलाल जोशी 'सूरज', राष्ट्रीय प्रवक्ता, डॉ. निसार फारूकी, प्रदेश कोषाध्यक्ष, मुकेश खेरिया, बसंत जैन, महिदपुर रोड, शोधार्थी युगेश द्विवेदी, गौरव मिश्रा आदि सहित अनेक सुधीजनों और प्रबुद्धजनों ने भाग लिया।
संचालन वरिष्ठ कवि श्री सुंदरलाल जोशी सूरज, नागदा ने किया। आभार प्रदर्शन डॉ निसार फारूकी ने किया।

20221101

All India Kalidas Samaroh 2022 : Invitation | अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022 : आमंत्रण

All India Kalidas Samaroh 2022 :  Invitation | अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022 : आमंत्रण

अखिल भारतीय कालिदास समारोह : 4 - 10 नवम्बर 2022

मध्य प्रदेश शासन के तत्वावधान में विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन जिला प्रशासन एवं कालिदास संस्कृत अकादमी द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022 के समस्त सारस्वत एवं सांस्कृतिक आयोजनों में आपकी उपस्थिति सादर प्रार्थनीय है। 

आमंत्रण पत्र के लिए लिंक

अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022 : आमंत्रण पत्र 

https://drive.google.com/file/d/1Ahh-k1yQ6XrBdobWiISB9cFFEdqbEsGV/view?usp=drivesdk


राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी : शोध पत्र प्रस्तुति के लिए आमंत्रण 

अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022 : दिनांक 4 से 10 नवंबर : मध्यप्रदेश शासन के तत्वावधान में विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन, जिला प्रशासन एवं कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन का संयुक्त आयोजन। सुधी प्राध्यापक /साहित्यकार/ शिक्षाविद् / शोधकर्ता कालिदास साहित्य के विविध आयामों पर स्वतंत्र रूप से या अंतरानुशासनिक दृष्टि से शोध पत्र प्रस्तुति के लिए आमंत्रित हैं। शोध पत्र साहित्य, कला, संस्कृति, इतिहास, पुरातत्व, ज्ञान - विज्ञान, वास्तु, पर्यावरण, दर्शन, जीवन मूल्य, शिक्षा, समाजविज्ञान, मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र आदि के परिप्रेक्ष्य में कालिदास साहित्य के किसी पक्ष से जुड़े हो सकते हैं।*

विस्तृत जानकारी के लिए लिंक : 

https://drshailendrasharma.blogspot.com/2022/10/all-india-kalidas-festival-2022.html



















































अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022

अखिल भारतीय कालिदास समारोह 4 से 10 नवम्बर तक उज्जैन में, देश के बारह से अधिक प्रान्तों के विद्वान, कलाकार और संस्कृतिकर्मी भाग लेंगे

सारस्वत आयोजनों के अंतर्गत होंगे कालिदास साहित्य के विविध पक्षों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी के छह सत्र, व्याख्यानमाला के पाँच सत्र एवं तीन स्पर्धाएं 

अखिल भारती अंतरविश्वविद्यालयीन संस्कृत वादविवाद, राज्य स्तरीय अन्तरमहाविद्यालयीन कालिदास काव्य पाठ और हिंदी वादविवाद प्रतियोगिताएँ होंगी

मध्यप्रदेश शासन के तत्वावधान में विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन, जिला प्रशासन एवं कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन का संयुक्त आयोजन अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022 दिनांक 4 से 10 नवम्बर तक सम्पन्न होगा। सारस्वत एवं सांस्कृतिक आयोजनों में भाग लेने के लिए देश के विभिन्न भागों के सैकड़ों विद्वान, संस्कृतिकर्मी, कलाकार, शोधकर्ता और विद्यार्थी उज्जैन आ रहे हैं। समारोह के शुभारंभ के पूर्व 3 नवंबर को मंगल कलश यात्रा प्रातः 10:00 से प्रातः रामघाट से प्रारंभ होकर कालिदास संस्कृत अकादमी पहुंचेगी। इसी रात्रि को नांदी के अंतर्गत महत्वपूर्ण प्रस्तुतियां होंगी। महाकवि कालिदास की विश्वविश्रुत कृति विक्रमोर्वशीय से अनुप्राणित चित्र एवं मूर्ति कलाकृतियों की राष्ट्रीय कालिदास प्रदर्शनी दिनांक 4 नवम्बर को उद्घाटन के पश्चात् से 10 नवंबर तक प्रतिदिन साहित्यप्रेमियों, कलारसिकों और सुधीजनों के अवलोकनार्थ खुली रहेगी। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अंतर्गत प्रतिदिन संध्या 7:00 बजे नाट्य, नृत्य एवं संगीत की मनोरम प्रस्तुतियां होंगी।

समारोह के सारस्वत आयोजनों के अंतर्गत कालिदास संस्कृत अकादमी द्वारा भारतीय संस्कृति की दीपशिखा कालिदास पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी के दो सत्र एवं विक्रम विश्वविद्यालय की कालिदास समिति द्वारा राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के चार सत्रों का आयोजन किया जाएगा। समारोह के दौरान संस्कृत कवि समवाय के अंतर्गत संस्कृत काव्यपाठ, पंडित सूर्यनारायण व्यास व्याख्यानमाला एवं महाकवि कालिदास व्याख्यानमाला के अंतर्गत अनेक महत्वपूर्ण व्याख्यान होंगे। विद्यार्थियों की स्पर्धाओं के अंतर्गत अंतरविश्वविद्यालयीन संस्कृत वाद विवाद, राज्य स्तर की अंतर महाविद्यालयीन कालिदास काव्य पाठ और हिंदी वाद विवाद प्रतियोगिताओं का आयोजन होगा। 

यह जानकारी देते हुए विक्रम विश्वविद्यालय की कालिदास समिति के सचिव प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा एवं कालिदास संस्कृत अकादमी के प्रभारी निदेशक डॉ संतोष पंड्या ने बताया कि विद्यार्थियों के लिए अखिल भारतीय स्तर की अंतरविश्वविद्यालयीन कालिदास संस्कृत वाद विवाद प्रतियोगिता का विषय कालिदासस्य काव्येषु राजवैभववर्णनम्, संदृश्यते यथा स्पष्टं न तथा लोकजीवनम् रखा गया है। राज्य स्तर की अंतर महाविद्यालयीन कालिदास हिंदी वाद विवाद प्रतियोगिता का विषय महाकवि कालिदास की रचनाओं में राजवैभव का स्पष्ट वर्णन हुआ है, लोकजीवन का नहीं, रखा गया है। राज्य स्तर की कालिदास काव्य पाठ  प्रतियोगिता में विद्यार्थियों को श्लोकों का चयन महाकवि कालिदास की अमर कृति मालविकाग्निमित्रम् से करना होगा।

अकादमिक एवं सांस्कृतिक आयोजनों में देश के बारह से अधिक राज्यों के विद्वान, कलाकार, संस्कृतिकर्मी, शिक्षक, शोधकर्ता और विद्यार्थी भाग लेने के लिए उज्जैन आ रहे हैं। कालिदास संस्कृति अकादमी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के दो सत्र विश्वविद्यालय मार्ग, उज्जैन स्थित अभिरंग नाट्यगृह, कालिदास संस्कृत अकादमी में होंगे, जिनका विषय है भारतीय संस्कृति की दीपशिखा कालिदास। कालिदास समिति द्वारा संयोजित राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के चार सत्रों का आयोजन में होगा। इनमें से एक विशेष सत्र विक्रम कालिदास पुरस्कार विजेता शोधपत्रों की प्रस्तुति का होगा। 

राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में भाग लेने के लिए देश के विभिन्न प्रांतों के प्राध्यापक, शिक्षाविद् एवं शोधकर्ताओं से कालिदास साहित्य के विविध आयामों पर स्वतंत्र रूप से या अंतरानुशासनिक दृष्टि से शोध पत्र आमंत्रित किए गए हैं। शोध पत्र प्रस्तुतकर्ता पंजीयन एवं शोध पत्र प्रेषण के लिए कालिदास समिति कार्यालय, सिंधिया प्राच्य विद्या शोध प्रतिष्ठान, विक्रम विश्वविद्यालय, देवास मार्ग, उज्जैन में सम्पर्क कर सकते हैं।

शोध पत्र वाचन के लिए राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के चार सत्र अभिरंग नाट्यगृह, कालिदास संस्कृत अकादमी, कोठी रोड, उज्जैन में निम्नानुसार तिथियों एवं समय पर होंगे :


राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी 

प्रथम सत्र 5 नवम्बर 2022 दोपहर 2:30

द्वितीय सत्र 6 नवम्बर 2022 दोपहर 2:30 बजे 

तृतीय सत्र 7 नवम्बर 2022 दोपहर 2:30 बजे 

(विक्रम कालिदास पुरस्कार के लिए चयनित शोध पत्रों की प्रस्तुति)

चतुर्थ सत्र 8 नवम्बर 2022 प्रातः 10:00 बजे

संगोष्ठी स्थान : 

अभिरंग नाट्यगृह

कालिदास संस्कृत अकादमी

विश्वविद्यालय मार्ग, उज्जैन

शोध पत्र प्रस्तुति हेतु पंजीयन के लिए सम्पर्क : 

प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा 

सचिव 

कालिदास समिति 

कला संकायाध्यक्ष एवं कुलानुशासक

विक्रम विश्वविद्यालय

 सिंधिया प्राच्य विद्या शोध प्रतिष्ठान

 देवास रोड 

उज्जैन मध्य प्रदेश

पिन कोड 456010


ईमेल : 

shailendrakumarsharmaprof@gmail.com


विक्रम पत्रिका के कालिदास विशेषांक के लिए लिंक पर जाएं :


20221027

Photography is an art that connects you with the divine | फोटोग्राफी एक ऐसी कला जो आपको परमात्मा से जोड़ती है

फोटोग्राफी एक ऐसी कला जो आपको परमात्मा से जोड़ती है   

फोटोग्राफी : कला से पत्रकारिता तक पर केंद्रित कार्यशाला 

विक्रम विश्वविद्यालय की पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला, हिन्दी अध्ययनशाला और गांधी अध्ययन केन्द्र द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। फोटोग्राफी : कला से पत्रकारिता विषय पर आधारित कार्यशाला में अंतरराष्ट्रीय फोटोग्राफर श्री कैलाश सोनी, देवास ने युवाओं को फोटोग्राफी के महत्व और फोटोग्राफ में आवश्यक बातों को प्रायोगिक तरीके से समझाया। कार्यशाला में मुख्य अतिथि कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय, अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार जीवनसिंह ठाकुर, देवास एवं कला संकायाध्यक्ष प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, प्रो गीता नायक ने फोटोग्राफी कला के विविध आयामों पर प्रकाश डाला। 




अंतरराष्ट्रीय फोटोग्राफर कैलाश सोनी, देवास ने प्रोफेशनल डीएसएलआर और मोबाइल कैमरे दोनों के प्रयोग के माध्यम से विद्यार्थियों को बताया कि फोटोग्राफी करते हुए किन बातों का ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि फोटोग्राफी एक ऐसी कला है जो आपको परमात्मा से जोड़ती है। इस विधा के लिए समय की पाबंदी और फिट रहना बहुत जरूरी है। फोटोग्राफी के क्षेत्र में एक-एक पल जरूरी होता है। उन्होंने अपने जीवन के कई अनुभव साझा करते हुए बताया कि वह 15-16 साल के थे, तब उन्होंने पहला फोटोग्राफ लिया था। जैसे सब सोचते हैं कि हमारी भाषाशैली अच्छी है तो हमें सब आ गया, यह गलत भाव है इससे बचना चाहिए।  एक फोटोग्राफर के मन में हमेशा नया खोजने और सीखने का भाव होना जरूरी है। कुछ भी अच्छा लगे तो उसे कैमरे में जरूर उतार लेना चाहिए। जिस क्षण में फोटो उतारते हैं, वह क्षण दोबारा नहीं आता। विद्यार्थियों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि अभ्यास से ही सीखा जाता है। आपकी निगाह 100 प्रतिशत होनी चाहिए। वर्तमान परिस्थिति में फोटोग्राफी का अस्सी प्रतिशत महत्व बढ़ गया है। सभी के हाथ में कैमरा होने से दुरुपयोग भी बढ़ा है। इससे बचने के लिए कई सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं, इनका उपयोग कर गलत फोटोग्राफ से बचा जा सकता है और सही-गलत का पता लगाया जा सकता है। फोटोग्राफी का भविष्य अच्छा है। जिस तरह वर्तमान समय में शादियों में फोटोग्राफ तैयार की जाती है उसने पूरा परिदृश्य ही बदल दिया है। अब एक फोटोग्राफ को आसानी से विश्व स्तर तक ले जाया जा सकता है। इस कार्यशाला के दौरान उन्होने कई फोटो लेकर विद्यार्थियों को रचनात्मक और साधारण फोटोशूट का अंतर भी समझाया।  




कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि फोटोग्राफी विज्ञान युग की देन है, लेकिन इसने बहुत कम समय में एक श्रेष्ठ सृजन माध्यम का रूप ले लिया है। वर्तमान दौर में विद्यार्थी फोटोग्राफी के क्षेत्र में गहन अभ्यास के साथ कौशल विकसित करते हुए व्यावसायिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं।









पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला और हिन्दी अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष शैलेन्द्रकुमार शर्मा ने मध्यप्रदेश के कुछ प्रसिद्ध फोटोग्राफरों की कला के सम्बंध  में बताया, जिन्होंने अत्यंत सीमित संसाधनों के बाद भी अपने दौर में इस कला को उच्चतम स्तर तक पहुँचाया। उन्होंने कहा कि फोटोग्राफी ने हमारी संस्कृति और परम्परागत कला को जीवित  रखा है। इस क्षेत्र में उपलब्ध नवीन तकनीकों और उपकरणों का ज्ञान प्राप्त कर अपनी कला को बेहतर बनाया जा सकता है। पत्रकारिता में इस विधा का अब सूचनात्मकता से आगे जाकर सृजनात्मक प्रयोग हो रहा है। इस विधा के माध्यम से हम प्राचीन दौर, परम्पराओं और यादों से रूबरू हो सकते हैं। 


 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार जीवनसिंह ठाकुर ने कहा कि फोटोग्राफ की शुरूआत लेखन से होती है। फोटोग्राफी एक ऐसी कला है जो संगीत लिखने के बराबर है। संगीत में जैसे एक-एक शब्द का ध्यान रखना होता है वैसे ही फोटोग्राफ में दिखाई दे रहे हर बिन्दु का ध्यान रखना जरूरी है।

कार्यक्रम में वरिष्ठ फोटोग्राफर श्री कैलाश सोनी देवास को साहित्य अर्पित करते हुए उनका सम्मान किया गया।

प्रश्नोत्तरी सत्र का संयोजन डॉ जगदीश चंद्र शर्मा एवं डॉ अजय शर्मा  ने किया। मुख्य वक्ता के रूप में अंतरराष्ट्रीय फोटोग्राफर कैलाश सोनी मौजूद रहे। पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला के शिक्षक डॉ सुशील शर्मा, डॉ अजय शर्मा आदि विशेष रूप से कार्यशाला में उपस्थित रहे। 

कार्यशाला का संचालन डॉ जगदीशचंद शर्मा ने किया। आभार श्रीमती हीना तिवारी ने माना।






20221026

All India Kalidas Festival 2022 : National Seminar |अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022 : राष्ट्रीय संगोष्ठी

अखिल भारतीय कालिदास समारोह 4 से 10 नवम्बर 2022 : उज्जैन 

सारस्वत आयोजन : कालिदास साहित्य के विविध पक्षों पर राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के चार सत्र

अखिल भारतीय अंतरविश्वविद्यालयीन संस्कृत वादविवाद के साथ राज्य स्तरीय अन्तरमहाविद्यालयीन कालिदास काव्य पाठ और हिंदी वादविवाद प्रतियोगिताएँ 



समस्त सारस्वत एवं सांस्कृतिक आयोजनों में आपकी उपस्थिति सादर प्रार्थनीय है। 

अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022 : आमंत्रण पत्र 

https://drive.google.com/file/d/1Ahh-k1yQ6XrBdobWiISB9cFFEdqbEsGV/view?usp=drivesdk


मध्यप्रदेश शासन के तत्वावधान में विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन, जिला प्रशासन एवं कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन का संयुक्त आयोजन  अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022 दिनांक 4 से 10 नवम्बर तक सम्पन्न होगा। समारोह के सारस्वत आयोजनों के अंतर्गत विक्रम विश्वविद्यालय की कालिदास समिति द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठी के चार सत्रों के साथ विद्यार्थियों की स्पर्धाओं के अंतर्गत अंतरविश्वविद्यालयीन संस्कृत वाद विवाद, राज्य स्तर की अंतर महाविद्यालयीन कालिदास काव्य पाठ और हिंदी वाद विवाद प्रतियोगिताओं का आयोजन होगा। 


अखिल भारतीय स्तर की अंतरविश्वविद्यालयीन कालिदास संस्कृत वाद विवाद प्रतियोगिता का विषय  कालिदासस्य काव्येषु राजवैभववर्णनम्, संदृश्यते यथा स्पष्टं न तथा लोकजीवनम् रखा गया है। राज्य स्तर की अंतर महाविद्यालयीन कालिदास हिंदी वाद विवाद प्रतियोगिता का विषय है, महाकवि कालिदास की रचनाओं में राजवैभव का स्पष्ट वर्णन हुआ है, लोकजीवन का नहीं। राज्य स्तर की कालिदास काव्य पाठ  प्रतियोगिता में विद्यार्थियों को श्लोकों का चयन महाकवि कालिदास की अमर कृति मालविकाग्निमित्रम् से करना होगा।


यह जानकारी देते हुए विक्रम विश्वविद्यालय की कालिदास समिति के सचिव एवं कला संकायाध्यक्ष प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा Shailendrakumar Sharma  ने बताया कि अकादमिक आयोजनों में देश के दस से अधिक राज्यों के विद्वान, शिक्षक, शोधकर्ता और विद्यार्थी भाग लेने के लिए उज्जैन आ रहे हैं। राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में भाग लेने के लिए देश के विभिन्न प्रांतों के प्राध्यापक, शिक्षाविद् एवं शोधकर्ताओं से कालिदास साहित्य के विविध आयामों पर स्वतंत्र रूप से या अंतरानुशासनिक दृष्टि से शोध पत्र आमंत्रित किए गए हैं। 

शोध संगोष्ठी के चार सत्रों का आयोजन विश्वविद्यालय मार्ग, उज्जैन स्थित अभिरंग नाट्यगृह, कालिदास संस्कृत अकादमी में होगा। इनमें से एक विशेष सत्र विक्रम कालिदास पुरस्कार विजेता शोधपत्रों की प्रस्तुति का होगा। शोध पत्र प्रस्तुतकर्ता पंजीयन एवं शोध पत्र प्रेषण के लिए कालिदास समिति कार्यालय, सिंधिया प्राच्य विद्या शोध प्रतिष्ठान, विक्रम विश्वविद्यालय, देवास मार्ग, उज्जैन में सम्पर्क कर सकते हैं। 






Kalidas


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अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022 : 4 से 10 नवम्बर 2022

मध्यप्रदेश शासन के तत्वावधान में विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन, जिला प्रशासन एवं कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन का संयुक्त आयोजन 

अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022 : सारस्वत आयोजन 

अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022 के समस्त सांस्कृतिक एवं सारस्वत आयोजनों में आपकी उपस्थिति सादर प्रार्थनीय है। राष्ट्रीय संगोष्ठी के साथ स्पर्धाओं के अंतर्गत संस्कृत वाद विवाद, संस्कृत श्लोक पाठ और हिंदी वाद विवाद में सहभागिता का अनुरोध है। विस्तृत जानकारी के लिए लिंक पर जाएँ। 


https://www.facebook.com/100001476965950/posts/5669747819751061/


राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी :

सुधी प्राध्यापक / शिक्षाविद् / शोधकर्ता कालिदास साहित्य के विविध आयामों पर स्वतंत्र रूप से या अंतरानुशासनिक दृष्टि से शोध पत्र प्रस्तुति के लिए सादर आमंत्रित हैं।शोध पत्र साहित्य, कला, वास्तु, संस्कृति, इतिहास, पुरातत्व, विज्ञान, पर्यावरण, दर्शन,  जीवन मूल्य, शिक्षा,  समाजविज्ञान, मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र आदि के परिप्रेक्ष्य में कालिदास साहित्य के किसी पक्ष से जुड़े हो सकते हैं। सभी सुधीजन कालिदास साहित्य के विविध आयामों पर स्वतंत्र रूप से या अंतरानुशासनिक दृष्टि से शोध पत्र प्रस्तुति के लिए सादर आमंत्रित हैं।


शोध पत्र वाचन के लिए राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के चार सत्र अभिरंग नाट्यगृह, कालिदास संस्कृत अकादमी, कोठी रोड, उज्जैन में निम्नानुसार तिथियों एवं समय पर होंगे :


राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी 

प्रथम सत्र 5 नवम्बर 2022 दोपहर 2:30

द्वितीय सत्र 6 नवम्बर 2022 दोपहर 2:30 बजे 

तृतीय सत्र 7 नवम्बर 2022 दोपहर 2:30 बजे 

(विक्रम कालिदास पुरस्कार के लिए चयनित शोध पत्रों की प्रस्तुति)

चतुर्थ सत्र 8 नवम्बर 2022 प्रातः 10:00 बजे

संगोष्ठी स्थान : 

अभिरंग नाट्यगृह

कालिदास संस्कृत अकादमी

विश्वविद्यालय मार्ग, उज्जैन



शोध पत्र प्रस्तुति हेतु पंजीयन के लिए सम्पर्क : 

प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा 

सचिव 

कालिदास समिति 

कला संकायाध्यक्ष एवं कुलानुशासक

विक्रम विश्वविद्यालय

 सिंधिया प्राच्य विद्या शोध प्रतिष्ठान

 देवास रोड 

उज्जैन मध्य प्रदेश

पिन कोड 456010


ईमेल : 

shailendrakumarsharmaprof@gmail.com



विक्रम पत्रिका के कालिदास विशेषांक के लिए लिंक पर जाएं :




20221005

Awarded Ph. D. Hindi Degree From Vikram University, Ujjain | विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन से पीएच डी हिंदी उपाधि प्राप्त शोधकर्ता (2015 - 2022)

हिंदी अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन से पीएचडी हिंदी उपाधि प्राप्त शोधकर्ता 

(2015 - 2022)

हिन्दी भाषा और साहित्य के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण अध्ययन, अध्यापन और अनुसंधान की दृष्टि से विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में  हिन्दी अध्ययनशाला की स्थापना वर्ष 1966 ई में हुई।प्रारम्भ से ही यहाँ प्रतिष्ठित विद्वान, शिक्षक एवं अध्येता सक्रिय रहे हैं। आचार्य विश्वनाथप्रसाद मिश्र, आचार्य राममूर्ति त्रिपाठी, आचार्य शिवसहाय पाठक, आचार्य पवनकुमार मिश्र आदि जैसे आचार्यों ने यहाँ प्रारंभिक दशकों में शोध कार्य को गति दी थी। बाद के दौर में हिंदी अनुसंधान को निरन्तरता देते हुए प्रो भगीरथ बड़ौले निर्मल, प्रो हरिमोहन बुधौलिया, प्रो प्रेमलता चुटैल, प्रो गीता नायक, प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, डॉ जगदीश चंद्र शर्मा आदि ने शोध निर्देशन करते हुए इस दिशा में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। विभाग को देश भर के प्रख्यात साहित्यकारों, मनीषियों के व्याख्यान, संवाद और रचनापाठ  के अवसर मिले हैं। इनमें प्रमुख हैं- सुश्री महादेवी वर्मा, अज्ञेय, नन्ददुलारे वाजपेयी,  शिवमंगलसिंह सुमन, विद्यानिवास मिश्र, भगवतशरण उपाध्याय, नामवर सिंह, देवेन्द्रनाथ शर्मा, कैलाशचन्द्र भाटिया, विश्वम्भरनाथ उपाध्याय, शिवकुमार मिश्र, श्यामसिंह शशि, अशोक वाजपेयी, प्रो गंगाप्रसाद विमल, प्रो सूर्यप्रकाश दीक्षित, महेंद्र भानावत, असगर वजाहत, सूर्यबाला, प्रो रामबक्ष, विजयदत्त श्रीधर आदि।

हाल के दशकों में विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में एक साथ कई दिशाओं में महत्त्वपूर्ण शोध कार्य हुए हैं, जिनमें हिन्दी भाषा-साहित्य एवं संस्कृति के विविध आयामों के साथ ही लोक एवं जनजातीय भाषा, साहित्य और संस्कृति, आलोचनाशास्त्र, भाषाविज्ञान के विविध आयाम, वाचिक-अवाचिक भाषा-रूप, शब्दविज्ञान, तुलनात्मक भाषाविज्ञान, हिन्दी कम्प्यूटिंग, इंटरनेट, वेब पत्रकारिता, दृश्य जनसंचार माध्यम, मशीनी अनुवाद, राजभाषा हिन्दी आदि के अधुनातन संदर्भ विशेषतः उल्लेखनीय हैं। यह संस्थान मध्यप्रदेश के साहित्यिक-सांस्कृतिक विकास के लिए सक्रिय सहभागिता कर रहा है।  

हिंदी अध्ययनशाला द्वारा संयोजित राष्ट्रीय स्तर के आयोजनों में प्रमुख रहे हैं- काव्य प्राध्यापन कार्यशाला, नाट्य प्राध्यापन कार्यशाला, मिथक संगोष्ठी, पुनश्चर्या पाठ्यक्रम, राष्ट्रीय शब्दावली कार्यशाला, सृजन संस्कार वर्ष, देवनागरी लिपि राष्ट्रीय संगोष्ठी, सूचना प्रौद्योगिकी और हिन्दी कार्यशाला, तुलसी पंचशती समारोह, प्रेमचंद जयंती समारोह, महात्मा गांधी 150 वी जयंती वर्ष पर तीन राष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठी, अनेक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी, छात्र अध्ययन यात्रा आदि। कार्यरत शिक्षकों द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठियों, पुनश्चर्या पाठ्यक्रम, कार्यशालाओं और रचनापाठ के आयोजन में सहयोग-सहकार रहा है। जिन संस्थाओं के साथ विभिन्न अकादमी की गतिविधियां आयोजित की गई, उनमें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली, वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग, भारत सरकार, केंद्रीय हिन्दी निदेशालय, भारत सरकार, साहित्य अकादमी, नई दिल्ली, प्रेमचंद सृजनपीठ, म प्र संस्कृति परिषद, म प्र शासन, नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली, मध्य प्रदेश राष्ट्रभाषा भाषा प्रचार समिति, भोपाल, सप्रे संग्रहालय, भोपाल आदि।

- प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा 

 


हिंदी अध्ययनशाला में अब तक सैकड़ों की संख्या में शोधार्थियों ने स्तरीय शोध कार्य के माध्यम से इस विभाग के गौरव को बढ़ाया है। यहां वर्ष 2015 से 2022 तक के पीएचडी उपाधि प्राप्त शोधकर्ताओं की सूची प्रस्तुत है।

1. नेहा नागर 2015

2. रोहन सिंह 2015

3. आभा सक्सेना 2015

4. शेबा सैयद 2015

5. योगेंद्र जोशी 2015

6. महेंद्र रणदा 2015

7. श्वेता परिहार 2015

8.  नरेंद्रपाल शर्मा 2015

9.  संदीप कुमार सिंह  2015

10. नंदिता चौहान 2015

11. ईश्वर सिंह पाटीदार 2015

12. चंदनबाला कोठारी  2015

13. वंदना शर्मा 2015

14. मीनाक्षी पुरोहित 2016

15. दीपक शर्मा 2016

16. गीतांजलि मिश्रा 2016

17. दीपक शर्मा 2016

18. प्रिया गंगापुरकर 2016

19. अल्पना बाकलीवाल 2016

20. रूपा भावसार 2016

21. जगदीश परमार 2016

22. सुशील कुमार सिंह 2016

23.  उल्लास सोपान पाटील  2016

24. पिंकी कोठारे 2016

25.  स्मिता करंजगांवकर 2016

26. नम्रता ओझा 2016

27. चंद्रकांता बड़ोले 2016

28. संगीता गुप्ता 2016

29. श्यामलाल निर्मल 2016

30.  तोफानलाल चौहान 2017

31. कविता सूर्यवंशी 2017

32. अर्चना मेहता 2017

33. शीतल सिंह तोमर 2017

34. रेहाना बेगम 2017

35. उर्मिला पोरवाल 2017

36. प्रेरणा ठाकरे परिहार 2017

37. मुकेश चौहान 2017

38. रमाकांत पाल 2017

39. संध्या राजपूत 2017

40. ज्योतिबाला बैस 2017

41.  निशा शर्मा 2017

42.  भूपेंद्र सिंह भदौरिया 2017

43. प्रियंका शर्मा 2017

44. ममता चंद्रावत 2017

45. ज्योति यादव 2016

46.  संजय कुमार राठौर 2018

47. सतीश कुमार 2018

48. श्वेता पंड्या 2018

48. मेघा गुप्ता 2018

50. गायत्री शर्मा 2018

51. रूपाली सारये 2018

52. कादम्बिनी जोशी 2018

53. प्रतिभा गुर्जर 2018

54. कला मौर्य 2018

55. कैलाश चंद्र बाडोलिया 2018

56.  माधवी भट्ट 2019

57. पूर्णिमा पोरवाल 2019

58.  मीनल मेहना 2019 

59. अमित कुमार 2019

60. मुकेश भार्गव 2019

61. मोनिका वैष्णव 2019

62.  बृजेंद्र सिंह तोमर 2019

63. अर्जुन सिंह पंवार 2019

64. संजय अटेरिया 2019

65. भारती ठाकुर 2019

66. श्रुति पाठक 2019

67. केदार गुप्ता 2020

68. स्वप्नदीप परमार 2020

69. विजय कुमार शर्मा 2020

70. उमेश कुमार गुप्ता 2020

71. आस्था व्यास 2020

72.  पंढरीनाथ देवले 2020

73. संदीप कुमार यादव 2020

74. निरूपा उपाध्याय 2020

75. रीता माहेश्वरी 2020

76. भावना शर्मा 2020

77. राम सिंह सौराष्ट्रीय 2020

78. रिपुदमन तिवारी 2020

79. तारा वाणिया 2020

80. अनामिका कतरोलिया  2021

81. आरती परमार 2021

82. प्रियंका नाग 2021

83. स्वर्णलता ठन्ना 2021

84. श्वेता पाण्डेय 2021

85. प्रियंका परस्ते 2021

86. डॉली सिंह नागर 2021

87. सुदामा सखवार 2021

88. कुलदीप जाट 2021

89. उर्मिला शर्मा 2021

90. ममता सोलंकी 2021

91. मणिकुमार मिमरोट 2021

92. ज्योति नाहर 2021

93. हृदयनारायण तिवारी 2021

94. अभिलाषा तिवारी 2021

95. संजय कुमार 2022

96. संतोष चौहान 2022

97. सीमा सेन 2022

98. अनीता अग्रवाल 2022

99. मधुबाला मारू 2022

100. दयाराम नर्गेश 2022

101. शैलेंद्र प्रताप 2022

102. संदीप सिद्ध 2022

103. दीपशिखा परमार 2022

104. दुर्गा राजलवाल 2022


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