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20221027

Photography is an art that connects you with the divine | फोटोग्राफी एक ऐसी कला जो आपको परमात्मा से जोड़ती है

फोटोग्राफी एक ऐसी कला जो आपको परमात्मा से जोड़ती है   

फोटोग्राफी : कला से पत्रकारिता तक पर केंद्रित कार्यशाला 

विक्रम विश्वविद्यालय की पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला, हिन्दी अध्ययनशाला और गांधी अध्ययन केन्द्र द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। फोटोग्राफी : कला से पत्रकारिता विषय पर आधारित कार्यशाला में अंतरराष्ट्रीय फोटोग्राफर श्री कैलाश सोनी, देवास ने युवाओं को फोटोग्राफी के महत्व और फोटोग्राफ में आवश्यक बातों को प्रायोगिक तरीके से समझाया। कार्यशाला में मुख्य अतिथि कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय, अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार जीवनसिंह ठाकुर, देवास एवं कला संकायाध्यक्ष प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, प्रो गीता नायक ने फोटोग्राफी कला के विविध आयामों पर प्रकाश डाला। 




अंतरराष्ट्रीय फोटोग्राफर कैलाश सोनी, देवास ने प्रोफेशनल डीएसएलआर और मोबाइल कैमरे दोनों के प्रयोग के माध्यम से विद्यार्थियों को बताया कि फोटोग्राफी करते हुए किन बातों का ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि फोटोग्राफी एक ऐसी कला है जो आपको परमात्मा से जोड़ती है। इस विधा के लिए समय की पाबंदी और फिट रहना बहुत जरूरी है। फोटोग्राफी के क्षेत्र में एक-एक पल जरूरी होता है। उन्होंने अपने जीवन के कई अनुभव साझा करते हुए बताया कि वह 15-16 साल के थे, तब उन्होंने पहला फोटोग्राफ लिया था। जैसे सब सोचते हैं कि हमारी भाषाशैली अच्छी है तो हमें सब आ गया, यह गलत भाव है इससे बचना चाहिए।  एक फोटोग्राफर के मन में हमेशा नया खोजने और सीखने का भाव होना जरूरी है। कुछ भी अच्छा लगे तो उसे कैमरे में जरूर उतार लेना चाहिए। जिस क्षण में फोटो उतारते हैं, वह क्षण दोबारा नहीं आता। विद्यार्थियों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि अभ्यास से ही सीखा जाता है। आपकी निगाह 100 प्रतिशत होनी चाहिए। वर्तमान परिस्थिति में फोटोग्राफी का अस्सी प्रतिशत महत्व बढ़ गया है। सभी के हाथ में कैमरा होने से दुरुपयोग भी बढ़ा है। इससे बचने के लिए कई सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं, इनका उपयोग कर गलत फोटोग्राफ से बचा जा सकता है और सही-गलत का पता लगाया जा सकता है। फोटोग्राफी का भविष्य अच्छा है। जिस तरह वर्तमान समय में शादियों में फोटोग्राफ तैयार की जाती है उसने पूरा परिदृश्य ही बदल दिया है। अब एक फोटोग्राफ को आसानी से विश्व स्तर तक ले जाया जा सकता है। इस कार्यशाला के दौरान उन्होने कई फोटो लेकर विद्यार्थियों को रचनात्मक और साधारण फोटोशूट का अंतर भी समझाया।  




कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि फोटोग्राफी विज्ञान युग की देन है, लेकिन इसने बहुत कम समय में एक श्रेष्ठ सृजन माध्यम का रूप ले लिया है। वर्तमान दौर में विद्यार्थी फोटोग्राफी के क्षेत्र में गहन अभ्यास के साथ कौशल विकसित करते हुए व्यावसायिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं।









पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला और हिन्दी अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष शैलेन्द्रकुमार शर्मा ने मध्यप्रदेश के कुछ प्रसिद्ध फोटोग्राफरों की कला के सम्बंध  में बताया, जिन्होंने अत्यंत सीमित संसाधनों के बाद भी अपने दौर में इस कला को उच्चतम स्तर तक पहुँचाया। उन्होंने कहा कि फोटोग्राफी ने हमारी संस्कृति और परम्परागत कला को जीवित  रखा है। इस क्षेत्र में उपलब्ध नवीन तकनीकों और उपकरणों का ज्ञान प्राप्त कर अपनी कला को बेहतर बनाया जा सकता है। पत्रकारिता में इस विधा का अब सूचनात्मकता से आगे जाकर सृजनात्मक प्रयोग हो रहा है। इस विधा के माध्यम से हम प्राचीन दौर, परम्पराओं और यादों से रूबरू हो सकते हैं। 


 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार जीवनसिंह ठाकुर ने कहा कि फोटोग्राफ की शुरूआत लेखन से होती है। फोटोग्राफी एक ऐसी कला है जो संगीत लिखने के बराबर है। संगीत में जैसे एक-एक शब्द का ध्यान रखना होता है वैसे ही फोटोग्राफ में दिखाई दे रहे हर बिन्दु का ध्यान रखना जरूरी है।

कार्यक्रम में वरिष्ठ फोटोग्राफर श्री कैलाश सोनी देवास को साहित्य अर्पित करते हुए उनका सम्मान किया गया।

प्रश्नोत्तरी सत्र का संयोजन डॉ जगदीश चंद्र शर्मा एवं डॉ अजय शर्मा  ने किया। मुख्य वक्ता के रूप में अंतरराष्ट्रीय फोटोग्राफर कैलाश सोनी मौजूद रहे। पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला के शिक्षक डॉ सुशील शर्मा, डॉ अजय शर्मा आदि विशेष रूप से कार्यशाला में उपस्थित रहे। 

कार्यशाला का संचालन डॉ जगदीशचंद शर्मा ने किया। आभार श्रीमती हीना तिवारी ने माना।






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