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20210622

योग दर्शन : वैश्विक सभ्यता और संस्कृति को योगदान -प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा | Yoga Philosophy: Contribution to Civilization and Culture - Prof. Shailendra Kumar Sharma

संयम, संयोग और समाधि की त्रिवेणी है योग – प्रो. शर्मा 

योग दर्शन : वैश्विक सभ्यता और संस्कृति को अवदान पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी में जुड़े चार देशों के योग विशेषज्ञ 


देश की प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा निशा जोशी योग अकादमी, इंदौर एवं शिवाज योग एंड नेचरोपैथी संस्थान, जयपुर के सहयोग से  अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें 4 देशों के योग विशेषज्ञ जुड़े। संगोष्ठी योग दर्शन : वैश्विक सभ्यता और संस्कृति को अवदान पर केंद्रित थी। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा थे। आयोजन की विशिष्ट अतिथि योगाचार्य डॉ निशा जोशी, इंदौर, डॉ शिवा लोहारिया, जयपुर, श्री चंद्रप्रकाश सुखवाल, न्यूयॉर्क, कंवलदीप कौर, सिंगापुर, मीनाक्षी देशमुख, दुबई, टीना सुखवाल, न्यूयॉर्क, डॉ शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे, डॉ एकता डंग, डॉ सुनीता गर्ग, पंचकूला, हरियाणा, श्रीमती सुवर्णा जाधव, मुंबई एवं महासचिव डॉ प्रभु चौधरी थे। अध्यक्षता हिंदी परिवार के अध्यक्ष श्री हरेराम वाजपेयी, इंदौर ने की। संगोष्ठी का सूत्र संयोजन श्रीमती पूर्णिमा कौशिक, रायपुर ने किया। इस अवसर पर योगाचार्य डॉ निशा जोशी और डॉ शिवा लोहारिया को योग के क्षेत्र में उनके विशिष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया। 





मुख्य अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि योग संयम, संयोग और समाधि की त्रिवेणी है। योग दर्शन विश्व सभ्यता को भारत की अनुपम देन है। यह हमें सत, चित और आनंद की अनुभूति तक ले जाता है। योग मनुष्य जीवन में समता का भाव लाता है। इससे हम स्थितप्रज्ञ होने की दिशा में आगे बढ़ते हैं और स्व के शुद्ध रूप में अवस्थित हो सकते हैं। सुख – दुख, लाभ – हानि, शत्रु - मित्र के द्वंद्व को समान भाव से लेने की शिक्षा इससे मिलती है। अष्टांग योग के साधकों को बहिरंग के साथ अंतरंग साधना की ओर भी प्रवृत्त होना चाहिए। यह ईश्वर से मनुष्य को जोड़ने का कार्य करता है। जीवन के परम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति इससे सम्भव है।



योगाचार्य डॉ निशा जोशी, इंदौर ने कहा कि योग के माध्यम से हम स्वयं को जान सकते हैं। यह शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और सामाजिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत उपयोगी है। योग वर्तमान में संपूर्ण पैथी बन गया है। इसके माध्यम से परहित के बारे में सोचने की दिशा मिलती है।



न्यूयॉर्क के श्री चंद्रप्रकाश सुखवाल ने कहा कि योग एक विज्ञान है। योग से हमारा जीवन सरल और शांत हो जाता है। यह शरीर का कवच है, जिससे शरीर स्वस्थ और मन शांत होता है। अमेरिका में योग के अनेक केंद्र हैं, जिनमें बड़ी संख्या में लोग लाभान्वित हो रहे हैं। इससे विश्व में शांति की स्थापना हो सकती है। योग करने से जीवन बदल जाता है और घर मंदिर बन जाता है।


डॉ प्रभु चौधरी ने कहा कि योग अध्यात्म के लिए महत्वपूर्ण मार्ग है। भारत अनादि काल से विश्व गुरु के रूप में प्रतिष्ठित था। वह अब पुनः विश्व गुरु बनेगा। योग संसार के लोगों को जोड़ने का सशक्त माध्यम बन गया है।


अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री हरेराम वाजपेयी, इंदौर ने कहा कि योग दर्शन में सर्व मंगल की कामना अंतर्निहित है। योग जीवन में आमूलचूल परिवर्तन लाता है। वसुधैव कुटुंबकम् की भावना को योग के माध्यम से सहज ही साकार किया जा सकता है।




डॉ. शिवा लोहारिया, जयपुर ने कहा कि योग का प्रमुख उद्देश्य है हम निरंतर आनंदमय बने रहें। इससे स्वास्थ्य लाभ तो होता ही है, वातावरण प्रेममय और शुद्ध हो जाता है।



टीना सुखवाल, न्यूयॉर्क ने कहा कि दुनिया के अनेक देशों में लोगों ने योग से लाभ प्राप्त किए हैं। अमेरिका के अनेक शहरों में योग केंद्र खुले हुए हैं। योग जीवन में एकाग्रता और रचनात्मकता लाता है। एक अनुशासन है। यह कोरोना काल में चिंता और अवसाद  से मुक्त होने का महत्वपूर्ण माध्यम सिद्ध रहा है।


कार्यक्रम में डॉक्टर शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे,ने कहा कि योग सम्पूर्ण जीवन के लिए उपादेय है। यह  मन को स्थिर करने में योगदान देता है। यह हमारे जीवन में सार्थकता लाता है।


श्रीमती मीनाक्षी देशमुख, दुबई ने कहा कि मन को शांत एवं प्रसन्नचित रखने का कार्य योग के माध्यम से संभव होता है। यह देश विदेश के सभी को जोड़ रहा है। योग शास्त्रोक्त विधि से हो, यह योगा न बन जाए, इस बात पर हमें ध्यान देना होगा। 


डॉ सुनीता गर्ग, पंचकूला, हरियाणा ने कहा कि योग ईश्वर का वरदान है। शरीर और मन को नियंत्रित करने के साथ योग हमारी दिनचर्या को व्यवस्थित करने में महत्वपूर्ण सिद्ध होता है। प्राणायाम के माध्यम से उर्जा उत्पन्न होती है। वात रोग एवं अन्य व्याधियों से मुक्ति के लिए योग उपयोगी है।


श्रीमती सुवर्णा जाधव, मुंबई ने कहा कि योग के माध्यम से अनेक प्रकार के रोगों का इलाज संभव है। योग को समुचित ढंग से करने पर ही उसका लाभ प्राप्त किया जा सकता है। 





कार्यक्रम में संस्थाओं द्वारा आयोजित सात दिवसीय योग शिविर में प्रशिक्षण देने वाले योग शिक्षकों - सिद्धार्थ शाह, इंदौर, डॉ सुनीता गर्ग, पंचकूला, पूजा शर्मा, इंदौर, दीपाली वर्मा, इंदौर, कृष्णा भोजावत, इंदौर, वरुण आहूजा, इंदौर एवं एकता डंग, अंबाला को सम्मान पत्र अर्पित कर उन्हें सम्मानित किया गया।


कँवलदीप कौर एवं अन्य सहभागियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। 




सरस्वती वंदना भुवनेश्वरी जायसवाल, भिलाई ने की। स्वागत भाषण डॉ मुक्ता कान्हा कौशिक, रायपुर ने प्रस्तुत किया। आयोजन की प्रस्तावना डॉ रश्मि चौबे, गाजियाबाद ने प्रस्तुत की।


आयोजन में श्रीमती चंद्रा सुखवाल, न्यूयॉर्क, प्रो विमल चन्द्र जैन, डॉ ममता झा, मुंबई, मीनू लाकरा, अमिता, संगीता शर्मा, डॉ रोहिणी डाबरे, अहमदनगर, बालासाहेब तोरस्कर, मनीषा सिंह, मुंबई, मनीषा ठाकुर, शीतल वाही, भुवनेश्वरी जायसवाल, भिलाई आदि सहित अनेक साहित्यकार, संस्कृतिकर्मी एवं गणमान्यजन उपस्थित थे।


संगोष्ठी का संचालन श्रीमती पूर्णिमा कौशिक, रायपुर ने किया। आभार प्रदर्शन डॉ बालासाहेब तोरस्कर, मुंबई ने किया।







 



अंतरराष्ट्रीय योग दिवस


20210525

वैश्विक महामारी कोविड-19 : बचाव के उपाय, योग एवं आहार -प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा | Global Pandemic Kovid-19: Prevention Measures, Yoga and Diet - Prof. Shailendra Kumar Sharma

योग और प्राकृतिक चिकित्सा विश्व सभ्यता को भारत की महत्वपूर्ण देन है  – प्रो. शर्मा


वैश्विक महामारी कोविड-19 : बचाव के उपाय, योग एवं आहार पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी


भारत की प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी आयोजन किया गया। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी वैश्विक महामारी कोविड-19 : बचाव के उपाय, योग एवं आहार पर केंद्रित थी। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कला संकायाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा थे। अध्यक्षता योग विशेषज्ञ डॉक्टर शिवा लोहारिया, जयपुर ने की। मुख्य वक्ता योग विशेषज्ञ डॉक्टर निशा जोशी, इंदौर थीं। आयोजन के विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय मुख्य संयोजक प्राचार्य डॉक्टर शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे, श्रीमती सुवर्णा जाधव, मुंबई, प्रवासी साहित्यकार श्री सुरेशचंद्र शुक्ल शरद आलोक, ओस्लो, नॉर्वे,  डॉक्टर एकता डंग, अंबाला, डॉ सुनीता गर्ग, पंचकूला, हरियाणा, साहित्यकार डॉ हरेराम वाजपेयी, इंदौर एवं राष्ट्रीय महासचिव डॉक्टर प्रभु चौधरी थे।  संगोष्ठी का सूत्र संयोजन डॉ मुक्ता कान्हा कौशिक, रायपुर ने किया।






आयोजन के मुख्य अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा विश्व सभ्यता को भारत की महत्वपूर्ण देन है। योग हमारे शरीर और मन के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। योग एक आध्यात्मिक प्रक्रिया होने के साथ ही लौकिक जीवन के लिए उपादेय है। नवीन मेडिकल साइंस के साथ सदियों पूर्व विकसित आयुर्वेद एवं प्राकृतिक चिकित्सा के समावेश के माध्यम से कोविड-19 जैसे संक्रामक रोगों से लड़ा जा सकता है। योग ने आज विश्व ख्याति अर्जित कर ली है। उसका प्रयोग नवीन ज्ञान विज्ञान के साथ किया जा रहा है। सदियों से प्रचलित घरेलू खानपान और स्वास्थ्य के उपाय कोरोना संक्रमण के दौर में उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं।




कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता योग विशेषज्ञ डॉ निशा जोशी, इंदौर ने कहा कि कोविड-19 हमारी जन्मजात रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करता है। योग एवं प्राणायाम के माध्यम से इस क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। हमारे इम्यून संस्थान के कई अंग हैं। उन्हें बेहतर करने के लिए आहार, जल एवं योग पर विशेष ध्यान देना चाहिए। प्राणायाम के माध्यम से हम अपने श्वसन तंत्र को बेहतर बना सकते हैं। डॉ जोशी ने आहार के माध्यम से प्राप्त होने वाले विभिन्न प्रकार के विटामिन और खनिज पदार्थों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमारे भोजन के अनेक तत्व शरीर में उत्पन्न होने वाले निषेधात्मक तत्वों को बाहर करते हैं। सूर्य की रोशनी, गर्म जल,  विटामिन सी एवं मिनरल्स प्रदान करने वाले फल, मेवे, गुड़ आदि का सेवन भी स्वास्थ्य सुधार के लिए उपयोगी सिद्ध होता है। 



कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए योग विशेषज्ञ डॉक्टर शिवा लोहारिया, जयपुर ने कहा कि योग के माध्यम से निरोगी काया का सुख प्राप्त किया जा सकता है। हमें स्वस्थ रहने के लिए योग एवं प्राणायाम की आवश्यकता है। इनके माध्यम से रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण लाकर हम सभी प्रकार के रोगों से मुक्त हो सकते हैं। 




कार्यक के विशिष्ट अतिथि डॉ शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख पुणे ने कहा कि चीन के वुहान शहर से प्रारंभ हुए कोरोनावायरस के प्रभाव ने आज पूरी दुनिया को संकटग्रस्त कर दिया है। यह रोग मनुष्य के श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता घटने से शारीरिक कष्ट बढ़ने लगता है। इस दृष्टि से आसन, ध्यान, प्राणायाम आदि रोग पर अंकुश लगाने के लिए सहायक सिद्ध होते हैं।






डॉक्टर एकता डंग, अंबाला ने कहा कि कोविड-19 से मुकाबले के लिए महत्वपूर्ण सूत्र बताए। उन्होंने कहा कि सकारात्मक दृष्टिकोण और मुस्कान के साथ-साथ आत्म संयम से हम शीघ्र स्वस्थ हो सकते हैं।



डॉक्टर सुनीता गर्ग, पंचकूला हरियाणा ने कहा कि कोविड-19 से बचाव के लिए आहार और विहार की शुद्धता आवश्यक है। उन्होंने कोविड-19 उपचार के लिए योग एवं प्राणायाम की महत्ता प्रतिपादित की।




विशिष्ट अतिथि श्रीमती सुवर्णा जाधव, मुंबई ने कहा कि व्यायाम मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए बेहद आवश्यक है। लॉकडाउन के दौर में योग बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध हो रहा है। योग के माध्यम से अनेक प्रकार के रोगों को भगाया जा सकता है। इसके साथ ही संतुलित आहार बेहद जरूरी है।


कार्यक्रम के प्रारंभ में सरस्वती वंदना श्रीमती संगीता पाल कच्छ, गुजरात ने की। प्रस्तावना डॉ रश्मि चौबे, गाजियाबाद ने प्रस्तुत की। स्वागत भाषण श्रीमती प्रभा बैरागी, उज्जैन ने दिया


संगोष्ठी में डॉक्टर जी डी अग्रवाल, इंदौर, डॉक्टर गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी, प्रयागराज, डॉ रूली सिंह, मुंबई, डॉ मुक्ता कान्हा कौशिक, रायपुर, डॉ रश्मि चौबे, गाजियाबाद, मुंबई, डॉ राकेश छोकर, नई दिल्ली, श्री एचके मीणा, दीपा पंडित, डॉक्टर गरिमा गर्ग, पंचकूला, डॉ शिवा लोहारिया, जयपुर, डॉक्टर चेतना उपाध्याय, अजमेर, डॉक्टर बालासाहब तोरस्कर, मुंबई,  सुनीता गर्ग, पंचकूला, हरियाणा,  कृष्णा भोजावत, डॉ पूर्णिमा कौशिक, रायपुर, डॉ मनीषा सिंह, संतोष यादव, श्री मोहनलाल वर्मा, अनिता ठाकुर, डॉक्टर रोहिणी डाबरे, अहमदनगर, पूजा शर्मा, मुकेश जोशी, डॉक्टर शहनाज अहमद, गीता बघेरा, टीना द्विवेदी, ज्ञानवती सक्सेना, कल्पना खंडेलवाल आदि सहित अनेक शिक्षाविद, साहित्यकार, संस्कृतिकर्मी एवं गणमान्यजन उपस्थित थे।


अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का संचालन डॉक्टर मुक्ता कान्हा कौशिक रायपुर ने किया। आभार प्रदर्शन डॉक्टर चेतना उपाध्याय, अजमेर ने किया।

















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