हिंदी नाटक, निबन्ध तथा स्फुट गद्य विधाएँ एवं मालवी भाषा साहित्य : सम्पादक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा | Shailendrakumar Sharma
सुधी प्राध्यापकों के सहकार से मेरे द्वारा संपादित - प्रणीत ग्रंथ 'हिन्दी नाटक, निबंध तथा स्फुट गद्य रचनाएँ एवं मालवी भाषा-साहित्य' म प्र हिन्दी ग्रंथ अकादमी, भोपाल से प्रकाशित हुआ है। हिंदी के प्रतिनिधि एकांकी, निबन्ध और अन्य गद्य विधाओं का समावेश किया गया। पुस्तक में विविध विधाओं और उनके प्रमुख लेखकों का परिचय दिया गया है। ग्रंथ में देश के हृदय मालवा की मर्म मधुर मालवी-निमाड़ी भाषा के साहित्य का अद्यतन इतिहास समाहित है। पुस्तक म प्र के भोपाल, इंदौर और उज्जैन स्थित विश्वविद्यालयों में स्नातक स्तर पर निर्धारित रही है।
इसी पुस्तक की भूमिका से..
मानव सभ्यता से जुड़ा कोई भी उपादान इतिहास से निरपेक्ष नहीं है। इस दृष्टि से भाषा और साहित्य का भी अपना इतिहास होता है। मूलतः साहित्य की सत्ता एक और अखंड सत्ता है। फिर भी अध्ययन सुविधा की दृष्टि से साहित्येतिहास को लेकर पर्याप्त मंथन होता आ रहा है। किसी भी क्षेत्र के साहित्य का लोकमानस और जीवन से घनिष्ठ संबंध होता है। जहाँ बिना सामाजिक संदर्भ के साहित्येतिहास लेखन संभव नहीं है, वही रचनाकार की सर्जनात्मक अनुभूतियों की उपेक्षा भी उचित नहीं कहीं जा सकती है। पुस्तक में मालवी-निमाड़ी भाषा और साहित्य के इतिहास-लेखन में इन बातों को विशेषतः दृष्टिपथ में रखा गया है। साथ ही साहित्यिक-सांस्कृतिक परम्परा के साथ वातावरण के अंतःसंबंधों का भी समावेश किया गया है। साहित्येतिहास लेखन में कई नवीन तथ्यों और सामग्री का समावेश करने की दिशा में अनेक विद्वज्जनों, साहित्यानुरागियों और ग्रंथागारों का सहयोग मिला है।
साहित्येतिहास लेखन एक अविराम प्रक्रिया है। इस पुस्तक में संचित मालवी साहित्य के इतिहास को उसी प्रक्रिया में एक विनम्र प्रयास कहा जा सकता है। लोकभाषा में रचित साहित्य के इतिहास लेखन की दिशा में हाल ही में गति आई है। ऐसे प्रयासों से बोली में रचे साहित्य पर पुनर्विचार और प्रसार की संभावनाएँ भी महत्त्वपूर्ण सिद्ध हो रही है। पिछले दशक में मध्यप्रदेश के हृदय अंचल मालवा की मर्म मधुर मालवी-निमाड़ी और उसके साहित्य के अध्ययन-अध्यापन की भूमिका बनी है।
प्रस्तुत पुस्तक में संचित मालवी से संबंधित सामग्री के लिए मालवा के प्रमुख मनीषियों-वरिष्ठ कवि डाॅ. शिव चौरसिया, डाॅ. भगवतीलाल राजपुरोहित (निदेशक,विक्रमादित्य शोध पीठ, उज्जैन), डाॅ. पूरन सहगल (मनासा), डाॅ. जगदीशचंद्र शर्मा ( विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन), मालवीमना साहित्यकार स्व. श्री झलक निगम एवं अर्धांगिनी प्रो. राजश्री शर्मा ने सत्परामर्श, युवा कवि डाॅ. राजेश रावल सुशील ने स्मरणीय सहकार दिया है, एतदर्थ आभार।
प्रस्तुत पुस्तक में साहित्यरसिक और अध्येता हिंदी के साथ मालवी और निमाड़ी साहित्य की प्रतिनिधि रचनाओं की झलक पा सकेंगे।
पुस्तक का नाम : हिन्दी नाटक, निबंध तथा स्फुट गद्य रचनाएँ एवं मालवी भाषा-साहित्य
प्रकाशक : म प्र हिन्दी ग्रंथ अकादमी, भोपाल
मूल्य : 100 ₹
पृष्ठ : 440
आदरणीय सर बहुत ही खुशी की बात है। विद्यार्थियों और शोधार्थियों को यह पुस्तक बहुत उपयोगी सिद्ध होगी।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई।
अनेक धन्यवाद
हटाएंबहुत ही महत्वपूर्ण एवं प्रभावी पुस्तक के सृजन हेतु हार्दिक बधाई एवं साधुवाद जी।
जवाब देंहटाएंअनेक धन्यवाद
हटाएंबहुत-बहुत बधाई आदरणीय गुरुदेव ��
जवाब देंहटाएंआत्मीय धन्यवाद
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंहमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण एवम् ज्ञानवर्धक पुस्तक सृजन की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं बधाई आदरणीय सर जी🙏💐
जवाब देंहटाएंचरण वंदन पुस्तक बहुत ही ज्ञानवर्धक रोचक आत्मीय बधाई शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसन् चालीस कै दशक में परमार द्वारा लि मालवी भाषा एवं मालवी साहित्य पर डाॅ० श्याम परमार द्वारा लिखित पुस्तक के बाद इस दिशा में कोई उल्लेख्य तथा गवेषणात्मक कार्य कदाचित् नहीं हुआ। आपने यह ग्रन्थ लिखकर
जवाब देंहटाएंएक बड़े कमाल की पूर्ति की है। बधाई एवं अभिनन्दन।