उज्जैन। विक्रम
विश्वविद्यालय के कुलानुशासक एवं प्रसिद्ध समालोचक प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा को उनकी सुदीर्घ साहित्यिक साधना, हिन्दी एवं मालवी भाषा के व्यापक प्रसार एवं
संवर्धन एवं संस्कृति के क्षेत्र में किए महत्वपूर्ण योगदान और के लिए किए गए उल्लेखनीय कार्यों के लिए हल्ला गुल्ला
साहित्य मंच, रतलाम द्वारा खांपा रत्न सम्मानोपाधि से अलंकृत किया गया। उन्हें यह
सम्मानोपाधि रतलाम में आयोजित 10 वें अ. भा. खांपा सम्मेलन अर्पित की गई । इस सम्मान के अन्तर्गत उन्हें प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिह्न एवं अंगवस्त्र अर्पित किए गए। उन्हें मुख्त अतिथि इप्का लैब के
उपाध्यक्ष श्री दिनेश सियाल, समाजसेवी श्री दिनेश पाटीदार, संस्थापक व्यंग्यकार संजय जोशी सजग, संयोजक अलक्षेन्द्र
व्यास, जुझारसिंह भाटी आदि ने सम्मानित किया। इस आयोजन में देश के सैंकड़ों साहित्यकार
एवं संस्कृतिकर्मी
उपस्थित थे।
प्रो. शर्मा आलोचना, लोकसंस्कृति, रंगकर्म, राजभाषा हिन्दी एवं देवनागरी
लिपि से जुड़े शोध,लेखन एवं नवाचार में विगत ढाई दशकों से
निरंतर सक्रिय हैं । उनके द्वारा लिखित एवं सम्पादित पच्चीस से अधिक ग्रंथ एवं आठ सौ से अधिक आलेख एवं
समीक्षाएँ प्रकाशित हुई हैं। उनके ग्रंथों में प्रमुख रूप से शामिल हैं- शब्द
शक्ति संबंधी भारतीय और पाश्चात्य अवधारणा, देवनागरी विमर्श, हिन्दी भाषा संरचना, अवंती क्षेत्र और सिंहस्थ महापर्व, मालवा का लोकनाट्य माच एवं
अन्य विधाएँ, मालवी भाषा और साहित्य, मालवसुत पं. सूर्यनारायण व्यास,आचार्य नित्यानन्द शास्त्री और रामकथा कल्पलता, हरियाले आँचल का हरकारा : हरीश
निगम, मालव मनोहर आदि। प्रो.शर्मा को देश – विदेश की अनेक संस्थाओं द्वारा
सम्मानित किया गया है। उन्हें प्राप्त सम्मानों में थाईलैंड में विश्व हिन्दी सेवा
सम्मान, संतोष तिवारी समीक्षा सम्मान,
आलोचना भूषण सम्मान आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय सम्मान, अक्षरादित्य सम्मान, शब्द साहित्य सम्मान,
राष्ट्रभाषा सेवा
सम्मान, राष्ट्रीय कबीर सम्मान, हिन्दी भाषा भूषण सम्मान, विद्यावाचस्पति
आदि प्रमुख हैं।
प्रो. शर्मा को खांपा रत्न सम्मानोपाधि से अलंकृत किए जाने पर
म.प्र. लेखक संघ के अध्यक्ष प्रो. हरीश प्रधान, विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जवाहरलाल कौल, पूर्व कुलपति प्रो. रामराजेश
मिश्र, पूर्व कुलपति प्रो. टी.आर. थापक, कुलसचिव डॉ. बी.एल. बुनकर, विद्यार्थी कल्याण संकायाध्यक्ष डॉ राकेश ढंड , इतिहासविद् डॉ. श्यामसुन्दर निगम, साहित्यकार श्री बालकवि बैरागी, डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित,
डॉ. शिव चौरसिया,
डॉ. प्रमोद त्रिवेदी,
प्रो प्रेमलता चुटैल, प्रो गीता नायक, डॉ. जगदीशचन्द्र शर्मा, प्रभुलाल चौधरी, अशोक वक्त, डॉ. अरुण वर्मा, डॉ. जफर मेहमूद, प्रो. बी.एल. आच्छा, डॉ. देवेन्द्र जोशी, डॉ. तेजसिंह गौड़, डॉ. सुरेन्द्र शक्तावत, श्री युगल बैरागी, श्री नरेन्द्र श्रीवास्तव 'नवनीत', श्रीराम दवे, श्री राधेश्याम पाठक 'उत्तम', श्री रामसिंह यादव, श्री ललित शर्मा, डॉ. राजेश रावल सुशील,
डॉ. अनिल जूनवाल,
डॉ. अजय शर्मा,
संदीप सृजन, संतोष सुपेकर, डॉ. प्रभाकर शर्मा, राजेन्द्र देवधरे 'दर्पण', राजेन्द्र नागर 'निरंतर', अक्षय अमेरिया, डॉ. मुकेश व्यास, श्री श्याम निर्मल आदि ने
बधाई दी।
डॉ. अनिल जूनवाल
संयोजक, राजभाषा संघर्ष
समिति, उज्जैन