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20231110

All India Kalidas Festiva : National Seminar, Debut and Shlok Path | अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2023 : राष्ट्रीय संगोष्ठी, वादविवाद एवं श्लोक पाठ

अखिल भारतीय कालिदास समारोह : सारस्वत आयोजन : उत्कृष्ट शोध पत्र के लिए विक्रम कालिदास पुरस्कार 2023 | अखिल भारतीय संस्कृत वाद विवाद प्रतियोगिता | राज्य स्तरीय हिंदी वाद विवाद प्रतियोगिता | राज्य स्तरीय श्लोक पाठ प्रतियोगिता


विक्रम कालिदास पुरस्कार 2023 हेतु गुणवत्तापूर्ण शोध पत्र आमंत्रित : अंतिम तिथि : 20 नवम्बर 2023

कालिदास समिति, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन द्वारा जारी सभी कार्यक्रमों के विस्तृत नियम - निर्देश यहाँ दिए गए हैं।

अखिल भारतीय कालिदास समारोह का आयोजन दिनांक 23 से 29 नवंबर 2023 तक किया जा रहा है।


अकादमिक कार्यक्रमों के अंतर्गत शोध संगोष्ठी के चार सत्र आयोजित किए जाएंगे। विक्रम कालिदास पुरस्कार हेतु प्रविष्टि के अलावा कालिदास साहित्य के विविध पक्षों पर केंद्रित शोध पत्र प्रस्तुति के लिए सुधी विद्वान, प्राध्यापक और शोधकर्ता आमंत्रित हैं।

 

महाकवि कालिदास 



विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन 

*** 

अखिल भारतीय कालिदास समारोह 23 से 29 नवम्बर 2023 : उज्जैन 

सारस्वत आयोजन : विस्तृत विवरण

● कालिदास साहित्य के विविध पक्षों पर राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के चार सत्र


● अखिल भारतीय अंतरविश्वविद्यालयीन संस्कृत वादविवाद प्रतियोगिता


● राज्य स्तरीय अन्तरमहाविद्यालयीन कालिदास काव्य पाठ प्रतियोगिता

 

●  राज्य स्तरीय हिंदी वादविवाद प्रतियोगिता 


मध्यप्रदेश शासन के तत्वावधान में विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन, जिला प्रशासन एवं कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन का संयुक्त आयोजन  अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2023 दिनांक 23 से 29 नवम्बर तक सम्पन्न होगा। समारोह के सारस्वत आयोजनों के अंतर्गत विक्रम विश्वविद्यालय की कालिदास समिति द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठी के चार सत्रों के साथ विद्यार्थियों की स्पर्धाओं के अंतर्गत अंतरविश्वविद्यालयीन संस्कृत वाद विवाद, राज्य स्तर की अंतर महाविद्यालयीन कालिदास काव्य पाठ और हिंदी वाद विवाद प्रतियोगिताओं का आयोजन होगा।

समारोह में विभिन्न संगोष्ठी सत्रों में कालिदास साहित्य के विविध आयामों पर स्वतंत्र रूप से या अंतरानुशासनिक दृष्टि से शोध पत्र प्रस्तुति के लिए आमंत्रित हैं। शोध पत्र साहित्य, कला, वास्तु, संस्कृति, इतिहास, पुरातत्व, ज्ञान - विज्ञान, पर्यावरण, दर्शन, जीवन मूल्य, शिक्षा, समाजविज्ञान, मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र आदि के परिप्रेक्ष्य में कालिदास साहित्य के किसी पक्ष से जुड़े हो सकते हैं।

विक्रम कालिदास पुरस्कार : विवरण
















वादविवाद प्रतियोगिता विवरण: 

अखिल भारतीय स्तर की अंतरविश्वविद्यालयीन कालिदास संस्कृत वाद विवाद प्रतियोगिता का विषय “कालिदासीयकाव्येषु यथाऽस्ति सुप्रतिष्ठितम्। तथा मानवमूल्यानां नान्यकाव्येषु गौरवम्॥“ रखा गया है। 




मध्यप्रदेश राज्य स्तर की अंतर महाविद्यालयीन कालिदास हिंदी वाद विवाद प्रतियोगिता का विषय ‘मानवीय मूल्यों का गौरव केवल महाकवि कालिदास की रचनाओं में प्रतिष्ठित है’, रखा गया है। 














कालिदास काव्य पाठ प्रतियोगिता विवरण

मध्यप्रदेश राज्य स्तर की कालिदास काव्य पाठ  प्रतियोगिता में विद्यार्थियों को श्लोकों का चयन महाकवि कालिदास की अमर कृति कुमारसम्भव से करना होगा।


यह जानकारी देते हुए विक्रम विश्वविद्यालय की कालिदास समिति के सचिव प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा Shailendrakumar Sharma  ने बताया कि अकादमिक आयोजनों में देश के विभिन्न क्षेत्रों के विद्वान, शिक्षक, शोधकर्ता और विद्यार्थी भाग लेने के लिए उज्जैन आते हैं। राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में भाग लेने के लिए देश के विभिन्न प्रांतों के प्राध्यापक, शिक्षाविद् एवं शोधकर्ताओं से कालिदास साहित्य के विविध आयामों पर स्वतंत्र रूप से या अंतरानुशासनिक दृष्टि से शोध पत्र आमंत्रित किए गए हैं। शोध संगोष्ठी के चार सत्रों का आयोजन विश्वविद्यालय मार्ग, उज्जैन स्थित अभिरंग नाट्यगृह, कालिदास संस्कृत अकादमी में होगा। इनमें से एक विशेष सत्र विक्रम कालिदास पुरस्कार विजेता शोधपत्रों की प्रस्तुति का होगा। शोध पत्र प्रस्तुतकर्ता पंजीयन एवं शोध पत्र प्रेषण के लिए कालिदास समिति कार्यालय, सिंधिया प्राच्य विद्या शोध प्रतिष्ठान, विक्रम विश्वविद्यालय, देवास मार्ग, उज्जैन में सम्पर्क कर सकते हैं।


पंजीयन के लिए संपर्क :


प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

सचिव

कालिदास समिति

कुलानुशासक

विक्रम विश्वविद्यालय

सिंधिया प्राच्य विद्या शोध प्रतिष्ठान 

देवास मार्ग, उज्जैन 

ईमेल :

shailendrakumarsharmaprof@gmail.com



विवरण प्रस्तुत है


https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=pfbid02i4uTZurUNHEnRThvAPufB2JRiPZh1c2FiMetPbMaP1L81e8VrTDTgbBfkpJnF4Vml&id=100001476965950&mibextid=2JQ9oc


*Kalidasa | Sanskrit Drama | Art | Litreture | History | Special Lecture:* https://www.youtube.com/playlist?list=PLNYnK1eOGDVUhg6pnymIe064n77GvVioJ

20230929

Sanja Lokotsav 2023 | Invitation | 1 - 8 October 2023 | संजा लोकोत्सव 2023 आमंत्रण

संजा लोकोत्सव 2023 | आत्मीय आमन्त्रण | Sanja Lokotsav | अक्टूबर 1 से 8, 2023 | लोक कला यात्रा, अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी, शिखर सम्मान, लोक कला सम्मान | लोक नाट्य, नृत्य एवं संगीत प्रस्तुति | लोक नृत्य, गायन, संजा एवं मांडणा चित्रांकन स्पर्धा | कला प्रदर्शनी, प्रशिक्षण, व्याख्यान आदि। 

-प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा Shailendrakumar Sharma 

मुख्य समन्वयक 

■ अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी, 1 अक्टूबर 2023, रविवार, प्रातः 10 : 30 से | स्थान : कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन | प्रतिकल्पा सांस्कृतिक संस्था का आयोजन | विषय: भारतीय लोक और जनजातीय साहित्य एवं संस्कृति : सामाजिक परिवर्तन, विविध परम्पराएँ और शैलियाँ | Indian Folk and Tribal Literature and Culture : Social Change,  Various Traditions and Genres

■ विस्तृत जानकारी:

https://drshailendrasharma.blogspot.com/2023/09/sanja-festival-international-seminar.html?m=1

समस्त आयोजनों में आप सादर आमंत्रित हैं।














आमन्त्रण पत्र: 

डाउनलोड करने के लिए लिंक - 

https://drive.google.com/file/d/13MpZt-4cRdrsGDVqhMUcVcG1ZYAcsO4R/view?usp=drivesdk


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संजा लोकोत्सव : अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी, 1 अक्टूबर 2023, रविवार, प्रातः काल 10 : 30 बजे

स्थान : कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन 

प्रतिकल्पा सांस्कृतिक संस्था का आयोजन

विषय: भारतीय लोक और जनजातीय साहित्य एवं संस्कृति : सामाजिक परिवर्तन, विविध परम्पराएँ और  शैलियाँ

Indian Folk and Tribal Literature and Culture : Social Change,  Various Traditions and Genres

आत्मीय आमन्त्रण

देश की प्रतिष्ठित संस्था प्रतिकल्पा द्वारा प्रतिवर्षानुसार आयोजित संजा लोकोत्सव इस वर्ष 1 से 8 अक्टूबर 2023 तक संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के सहयोग से सम्पन्न होने जा रहा है। इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय अन्तरनुशासनिक संगोष्ठी दिनांक 1 अक्टूबर 2023 को भारतीय लोक और जनजातीय साहित्य एवं संस्कृति : सामाजिक परिवर्तन, विविध परम्पराएँ और  शैलियाँ (Indian Folk and Tribal Literature and Culture : Social Change,  Various Traditions and Genres) विषय पर संकल्पित है। इस महत्त्वपूर्ण संगोष्ठी में प्रख्यात मनीषी, संस्कृतिकर्मी, साहित्यकार, विशेषज्ञ, शिक्षाविद्, शोधकर्ता आदि द्वारा विशिष्ट व्याख्यान, शोध - आलेख प्रस्तुति और संवाद होगा। इस महत्त्वपूर्ण आयोजन में आपकी सक्रिय सहभागिता का अनुरोध है।


मुख्य समन्वयक

प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा Shailendrakumar Sharma 

कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष

विक्रम विश्वविद्यालय

उज्जैन


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*संजा लोकोत्सव : अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी,   1 अक्टूबर 2023, रविवार, प्रातः 10 : 30 से | स्थान : कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन | प्रतिकल्पा सांस्कृतिक संस्था का आयोजन | विषय: भारतीय लोक और जनजातीय साहित्य एवं संस्कृति : सामाजिक परिवर्तन, विविध परम्पराएँ और  शैलियाँ | Indian Folk and Tribal Literature and Culture : Social Change,  Various Traditions and Genres*

विस्तृत जानकारी:

https://drshailendrasharma.blogspot.com/2023/09/sanja-festival-international-seminar.html?m=1

*संजा लोकोत्सव 2023 - आमंत्रण पत्र :* 

https://drive.google.com/file/d/13MpZt-4cRdrsGDVqhMUcVcG1ZYAcsO4R/view?usp=drivesdk










20230915

Sanja Festival: International Seminar | संजा लोकोत्सव : अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी

संजा लोकोत्सव : अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी
Sanja Festival: International Seminar 

1 अक्टूबर 2023, रविवार, प्रातः काल 10 : 30 बजे
स्थान : कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन 

प्रतिकल्पा सांस्कृतिक संस्था का आयोजन
विषय: भारतीय लोक और जनजातीय साहित्य एवं संस्कृति : सामाजिक परिवर्तन, विविध परम्पराएँ और शैलियाँ
Indian Folk and Tribal Literature and Culture : Social Change,  Various Traditions and Genres

आत्मीय आमन्त्रण
देश की प्रतिष्ठित संस्था प्रतिकल्पा द्वारा प्रतिवर्षानुसार आयोजित संजा लोकोत्सव इस वर्ष 1 से 8 अक्टूबर 2023 तक संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के सहयोग से सम्पन्न होने जा रहा है। इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय अन्तरनुशासनिक संगोष्ठी दिनांक 1 अक्टूबर 2023 को भारतीय लोक और जनजातीय साहित्य एवं संस्कृति : सामाजिक परिवर्तन, विविध परम्पराएँ और  शैलियाँ (Indian Folk and Tribal Literature and Culture : Social Change,  Various Traditions and Genres) विषय पर संकल्पित है।
 
इस महत्त्वपूर्ण संगोष्ठी में प्रख्यात मनीषी, संस्कृतिकर्मी, साहित्यकार, विशेषज्ञ, शिक्षाविद्, शोधकर्ता आदि द्वारा विशिष्ट व्याख्यान, शोध - आलेख प्रस्तुति और संवाद होगा। इस महत्त्वपूर्ण आयोजन में आपकी सक्रिय सहभागिता का अनुरोध है।

मुख्य समन्वयक
प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा
कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष
विक्रम विश्वविद्यालय
उज्जैन 
मध्यप्रदेश 456010 

*संजा लोकोत्सव 2023 - आमंत्रण पत्र :*

 
https://drive.google.com/file/d/13MpZt-4cRdrsGDVqhMUcVcG1ZYAcsO4R/view?usp=drivesdk


विस्तृत जानकारी दी जा रही है:

 



● विस्तृत नियम निर्देश

● पंजीयन शुल्क

प्राध्यापक/ शिक्षाविद् / वरिष्ठ लोक अध्येता वर्ग 500 रु
अतिथि शिक्षक/ शोधार्थी / विद्यार्थी वर्ग 400 रु

पंजीयन राशि PRATIKALPA SANSKRITIK SANSTHA  को देय Bank of Baroda A/C No. 57710100011613 IFSC Code  BARB0FREEGA (Fifth character is zero) BRANCH – FREEGUNJ, UJJAIN में दिनांक 30 सितंबर 2023 तक ई- बैंकिंग द्वारा या नगद जमा करवा सकते हैं। उस पर अपना नाम एवं स्थान अवश्य दर्ज करें। प्रमाण पत्र प्राप्त करते समय बैंक की रसीद दिखानी होगी।

● शोध पत्र प्रस्तुति :  
शोध आलेख लोक भाषा मालवी, निमाड़ी, बुन्देली, बघेली, छत्तीसगढ़ी, मेवाड़ी, ढूंढाड़ी, मारवाड़ी, हाड़ौती, अवधी, ब्रजी, कौरवी, मैथिली, भोजपुरी, हरियाणवी, हिमाचली, डोगरी, कश्मीरी, पंजाबी, सिंधी, गुजराती, मराठी, ओड़िया, कोंकणी, बांग्ला, असमिया, तमिल, कन्नड़, मलयालम, तेलुगु, तुळु, पूर्वोत्तर भारत आदि सहित देश - देशान्तर के विविध लोकांचलों के लोक साहित्य, लोक संस्कृति और परंपराओं को केंद्र में रख कर तैयार किए जा सकते हैं।

इसी प्रकार विविध जनजातीय समुदायों, यथा भील, भिलाला, बारेला, संथाल, गोंड, मुंडा, खड़िया, हो, लेपचा, भूटिया, थारू, बोडो, गारो, खासी, नागा, कूकी, पारधी, गरासिया, मीणा, उरांव, बिरहोर, सहरिया, कोरकू, बैगा, परधान, मारिया, उरांव, अबूझमाड़िया, टोडा, कुरुम्बा आदि सहित देश-देशान्तर के मौखिक साहित्य, लोक संस्कृति और परम्पराओं के परिप्रेक्ष्य में आलेख तैयार किए जा सकते हैं।




























 




20230622

Swantah Sukhay - self satisfaction in Arts - Prof. Shailendra Kumar Sharma | स्वान्तः सुखाय या आत्म सन्तुष्टि | प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा

Swantah Sukhay - Self Satisfaction in Arts

Prof. Shailendra Kumar Sharma 

Great poets and thinkers have different views about 'Kavya Prayojans'- poetic usage, the purposes of poetry or art.




The word 'Prayojana' means purpose or objective. It is believed that nothing is done without purpose or objective. Regarding the purpose of poetry, there are various views of various theorists or critics.

Swantah Sukhay means Personal inner happiness.

The concept of Swantah sukhaya is given by Goswami Tulsidas. 

He wrote,  Swantah sukhaya Tulasi Raghunath Gatha.

नानापुराणनिगमागमसम्मतं यद् 

रामायणे निगदितं क्वचिदन्यतोऽपि। 

स्वांत:सुखाय तुलसी रघुनाथगाथा

भाषानिबंधमतिमंजुलमातनोति॥

Means, According to many Puranas, Vedas and Shastras and which is described in Ramayana and also available from some other places, Tulsidas composes the story of Raghunath in a very beautiful language for the pleasure of his conscience.


Goswmi Tulsidas was a great Hindi poet who wrote „Ramacharit Manas‟. He said that he wrote it for his personal happiness and joy. Great poem, fame and wealth are the best when they create welfare of all like the river of the River Ganga. He connects the purity and sacredness of the River Ganga with poetry. He believed that Loka-Mangal (welfare of the people) is the ultimate goal of poetry.


**** 


स्वान्तः सुखाय - कला में आत्म संतुष्टि

प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा 

काव्य प्रयोग, कविता या कला के उद्देश्यों के बारे में महान कवियों के विभिन्न विचार हैं। शब्द 'प्रयोग' का अर्थ उद्देश्य या उद्देश्य है। ऐसा माना जाता है कि बिना उद्देश्य या उद्देश्य के कुछ भी नहीं किया जाता है। काव्य के प्रयोजन के सम्बन्ध में विभिन्न सिद्धांतकारों या कवियों के भिन्न-भिन्न मत हैं।

स्वान्तः सुखाय का अर्थ है व्यक्तिगत आंतरिक प्रसन्नता।

स्वान्त सुखाय (स्वान्तः सुखाय तुलसी रघुनाथ गाथा) की अवधारणा गोस्वामी तुलसीदास द्वारा दी गई है।

उन्होंने लिखा है, 

नानापुराणनिगमागमसम्मतं यद् 

रामायणे निगदितं क्वचिदन्यतोऽपि। 

स्वांत:सुखाय तुलसी रघुनाथगाथा

भाषानिबंधमतिमंजुलमातनोति॥  (बालकांड / 7)


अनेक पुराण, वेद और शास्त्र से सम्मत तथा जो रामायण में वर्णित है और कुछ अन्यत्र से भी उपलब्ध रघुनाथ की कथा को तुलसीदास अपने अंत:करण के सुख के लिए अत्यंत मनोहर भाषा रचना में निबद्ध करता है।

गोस्वामी तुलसीदासजी ऐसे कवि थे, जिन्होंने जीवन को इस ढंग से स्पर्श किया कि कवि से ऊंचे उठकर ऋषि हो गए। उन्होंने लिखा है- 'स्वांत: सुखाय तुलसी रघुनाथ गाथा। ' इसका सीधा-सा अर्थ है मैं अपने सुख के लिए कथा कर रहा हूं। लेकिन, दूसरों को सुख मिले इसके लिए भी उन्होंने काव्य सर्जना की।

गोस्वामी तुलसीदास एक महान हिंदी कवि थे जिन्होंने 'रामचरित मानस' लिखा था। उन्होंने कहा कि उन्होंने इसे अपनी निजी खुशी और खुशी के लिए लिखा है। महान कविता, प्रसिद्धि और धन तब श्रेष्ठ होते हैं जब वे गंगा नदी की तरह सभी का कल्याण करते हैं। वे गंगा नदी की पवित्रता और पवित्रता को काव्य से जोड़ते हैं। उनका मानना था कि लोक-मंगल (लोगों का कल्याण) कविता का अंतिम लक्ष्य है।

20230120

Indian Freedom Movement: Perspective of Literature and Education - Prof. Shailendra Kumar Sharma | भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन : साहित्य और शिक्षा का परिप्रेक्ष्य - प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन : साहित्य और शिक्षा के परिप्रेक्ष्य में पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में देश के कोने कोने के असंख्य साहित्यकारों, संस्कृतिकर्मियों, कलाकारों और शिक्षकों ने निभाई अविस्मरणीय भूमिका - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

शिक्षाविद श्री ब्रजकिशोर शर्मा का सारस्वत सम्मान हुआ

मारोह में संचेतना समाचार के गणतंत्र दिवस एवं बसंत पर्व विशेषांक का विमोचन हुआ


प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा प्रेस क्लब, उज्जैन में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन : साहित्य और शिक्षा के परिप्रेक्ष्य में पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। आयोजन में वरिष्ठ शिक्षाविद एवं साहित्यकार श्री ब्रजकिशोर शर्मा को शॉल, श्रीफल और पुष्पगुच्छ अर्पित कर उनका सारस्वत सम्मान तथा संचेतना समाचार के गणतंत्र दिवस एवं बसंत पर्व विशेषांक का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया।


समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शिव चौरसिया, उज्जैन, प्रमुख अतिथि वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा थे। कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि श्री ब्रजकिशोर शर्मा, राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं प्रो बी एल आच्छा, चेन्नई थे। अध्यक्षता श्री यशवंत भंडारी, राष्ट्रीय संयोजक, झाबुआ ने की।

मुख्य अतिथि डॉ शिव चौरसिया ने कहा कि भारत में आजादी का संघर्ष अनेक शताब्दियों पहले शुरु हो गया था। उसमें महाराणा प्रताप, वीर शिवाजी, रानी दुर्गावती आदि ने अविस्मरणीय योगदान दिया। आधुनिक युग में स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानन्द, रवींद्रनाथ टैगोर आदि ने शिक्षा, संस्कृति और साहित्य के क्षेत्र में नव चेतना का प्रसार किया। मैथिलीशरण गुप्त, निराला, प्रसाद, सुभद्राकुमारी चौहान जैसे अनेक रचनाकारों ने स्वाधीनता आंदोलन में महत्वपूर्ण आधार दिया। उस दौर के कई लेखकों ने प्राचीन वैभव का स्मरण कराते हुए राष्ट्रप्रेम जगाने की कोशिश अपनी रचनाओं के माध्यम से की।

संगोष्ठी के प्रमुख वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में देश के कोने कोने के असंख्य साहित्यकारों, संस्कृतिकर्मियों, कलाकारों और शिक्षकों ने अविस्मरणीय भूमिका निभाई। राष्ट्रीय चेतना के प्रसार में बालकृष्ण शर्मा नवीन ने अपनी रचनाओं और पत्रकारिता के माध्यम से अविस्मरणीय योगदान दिया। उन्होंने अनेक आंदोलनों में सक्रियता से भाग लिया। वे अनेक बार जेल गए और अपने जीवन के नौ वर्ष उन्होंने जेल में बिताए। महामना मालवीय जी ने स्वाधीनता आंदोलन के समानांतर शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की संकल्पना की, जिसने अनेक क्रांतिकारियों को स्वाधीनता आंदोलन में योगदान की प्रेरणा दी। महामना ने अपनी कविताओं में ईश्वर से दीनता और दासता से मुक्ति और स्वाधीनता का वरदान मांगा है। उस दौर के कई लेखकों की रचनाओं और पत्रकारिता में राष्ट्र-प्रेम, राष्ट्रीय आंदोलन की चेतना तथा विद्रोह का स्वर मुखरित हुआ है। मालवी सहित अनेक लोकभाषाओं के लोकगीत और गाथाओं में स्वाधीनता आंदोलन में योगदान देने वाले अमर शहीदों और प्रसंगों का चित्रण हुआ है।


शिक्षाविद श्री ब्रजकिशोर शर्मा ने कहा कि ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले आदि ने वंचित वर्ग के लोगों को शिक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए। टैगोर ने शांति निकेतन के माध्यम से नवीन चेतना जागृत की। पं मदनमोहन मालवीय ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में महात्मा गांधी को आमंत्रित कर उनका सम्मान किया था।

चेन्नई के साहित्यकार प्रो बी एल आआच्छा ने कहा कि तमिलनाडु में शिक्षा, अनुसंधान और साहित्य के क्षेत्र में हिंदी का पर्याप्त प्रयोग एवं प्रचार हो रहा है। चेन्नई में मासिक साहित्यिक गोष्ठी आयोजित की जाती हैं। चेन्नई सहित तमिलनाडु के कई शहरों में हिंदी अखबार बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंच रहे हैं। वहां के समाचार पत्रों में हिंदी की रचनात्मकता को स्थान मिल रहा है। हिंदी साहित्य के इतिहास में दक्षिण के साहित्यकारों को स्थान मिलना चाहिए।

कार्यक्रम की पीठिका, अतिथि परिचय एवं विशेषांक की जानकारी डॉ. प्रभु चौधरी राष्ट्रीय महासचिव ने दी। समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार श्री नरेंद्र मेहता, श्रीमती रेखा शर्मा, क्षितिज शर्मा, श्री कैलाश चंद्र शर्मा, श्री जे के सोनकर, डॉ शर्मिला पांचाल, किरण पोरवाल, संस्था पदाधिकारी प्रगति बैरागी, राष्ट्रीय सचिव, सुन्दरलाल जोशी 'सूरज', राष्ट्रीय प्रवक्ता, डॉ. निसार फारूकी, प्रदेश कोषाध्यक्ष, मुकेश खेरिया, बसंत जैन, महिदपुर रोड, शोधार्थी युगेश द्विवेदी, गौरव मिश्रा आदि सहित अनेक सुधीजनों और प्रबुद्धजनों ने भाग लिया।
संचालन वरिष्ठ कवि श्री सुंदरलाल जोशी सूरज, नागदा ने किया। आभार प्रदर्शन डॉ निसार फारूकी ने किया।

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