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20230120

Indian Freedom Movement: Perspective of Literature and Education - Prof. Shailendra Kumar Sharma | भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन : साहित्य और शिक्षा का परिप्रेक्ष्य - प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन : साहित्य और शिक्षा के परिप्रेक्ष्य में पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में देश के कोने कोने के असंख्य साहित्यकारों, संस्कृतिकर्मियों, कलाकारों और शिक्षकों ने निभाई अविस्मरणीय भूमिका - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

शिक्षाविद श्री ब्रजकिशोर शर्मा का सारस्वत सम्मान हुआ

मारोह में संचेतना समाचार के गणतंत्र दिवस एवं बसंत पर्व विशेषांक का विमोचन हुआ


प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा प्रेस क्लब, उज्जैन में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन : साहित्य और शिक्षा के परिप्रेक्ष्य में पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। आयोजन में वरिष्ठ शिक्षाविद एवं साहित्यकार श्री ब्रजकिशोर शर्मा को शॉल, श्रीफल और पुष्पगुच्छ अर्पित कर उनका सारस्वत सम्मान तथा संचेतना समाचार के गणतंत्र दिवस एवं बसंत पर्व विशेषांक का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया।


समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शिव चौरसिया, उज्जैन, प्रमुख अतिथि वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा थे। कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि श्री ब्रजकिशोर शर्मा, राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं प्रो बी एल आच्छा, चेन्नई थे। अध्यक्षता श्री यशवंत भंडारी, राष्ट्रीय संयोजक, झाबुआ ने की।

मुख्य अतिथि डॉ शिव चौरसिया ने कहा कि भारत में आजादी का संघर्ष अनेक शताब्दियों पहले शुरु हो गया था। उसमें महाराणा प्रताप, वीर शिवाजी, रानी दुर्गावती आदि ने अविस्मरणीय योगदान दिया। आधुनिक युग में स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानन्द, रवींद्रनाथ टैगोर आदि ने शिक्षा, संस्कृति और साहित्य के क्षेत्र में नव चेतना का प्रसार किया। मैथिलीशरण गुप्त, निराला, प्रसाद, सुभद्राकुमारी चौहान जैसे अनेक रचनाकारों ने स्वाधीनता आंदोलन में महत्वपूर्ण आधार दिया। उस दौर के कई लेखकों ने प्राचीन वैभव का स्मरण कराते हुए राष्ट्रप्रेम जगाने की कोशिश अपनी रचनाओं के माध्यम से की।

संगोष्ठी के प्रमुख वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में देश के कोने कोने के असंख्य साहित्यकारों, संस्कृतिकर्मियों, कलाकारों और शिक्षकों ने अविस्मरणीय भूमिका निभाई। राष्ट्रीय चेतना के प्रसार में बालकृष्ण शर्मा नवीन ने अपनी रचनाओं और पत्रकारिता के माध्यम से अविस्मरणीय योगदान दिया। उन्होंने अनेक आंदोलनों में सक्रियता से भाग लिया। वे अनेक बार जेल गए और अपने जीवन के नौ वर्ष उन्होंने जेल में बिताए। महामना मालवीय जी ने स्वाधीनता आंदोलन के समानांतर शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की संकल्पना की, जिसने अनेक क्रांतिकारियों को स्वाधीनता आंदोलन में योगदान की प्रेरणा दी। महामना ने अपनी कविताओं में ईश्वर से दीनता और दासता से मुक्ति और स्वाधीनता का वरदान मांगा है। उस दौर के कई लेखकों की रचनाओं और पत्रकारिता में राष्ट्र-प्रेम, राष्ट्रीय आंदोलन की चेतना तथा विद्रोह का स्वर मुखरित हुआ है। मालवी सहित अनेक लोकभाषाओं के लोकगीत और गाथाओं में स्वाधीनता आंदोलन में योगदान देने वाले अमर शहीदों और प्रसंगों का चित्रण हुआ है।


शिक्षाविद श्री ब्रजकिशोर शर्मा ने कहा कि ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले आदि ने वंचित वर्ग के लोगों को शिक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए। टैगोर ने शांति निकेतन के माध्यम से नवीन चेतना जागृत की। पं मदनमोहन मालवीय ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में महात्मा गांधी को आमंत्रित कर उनका सम्मान किया था।

चेन्नई के साहित्यकार प्रो बी एल आआच्छा ने कहा कि तमिलनाडु में शिक्षा, अनुसंधान और साहित्य के क्षेत्र में हिंदी का पर्याप्त प्रयोग एवं प्रचार हो रहा है। चेन्नई में मासिक साहित्यिक गोष्ठी आयोजित की जाती हैं। चेन्नई सहित तमिलनाडु के कई शहरों में हिंदी अखबार बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंच रहे हैं। वहां के समाचार पत्रों में हिंदी की रचनात्मकता को स्थान मिल रहा है। हिंदी साहित्य के इतिहास में दक्षिण के साहित्यकारों को स्थान मिलना चाहिए।

कार्यक्रम की पीठिका, अतिथि परिचय एवं विशेषांक की जानकारी डॉ. प्रभु चौधरी राष्ट्रीय महासचिव ने दी। समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार श्री नरेंद्र मेहता, श्रीमती रेखा शर्मा, क्षितिज शर्मा, श्री कैलाश चंद्र शर्मा, श्री जे के सोनकर, डॉ शर्मिला पांचाल, किरण पोरवाल, संस्था पदाधिकारी प्रगति बैरागी, राष्ट्रीय सचिव, सुन्दरलाल जोशी 'सूरज', राष्ट्रीय प्रवक्ता, डॉ. निसार फारूकी, प्रदेश कोषाध्यक्ष, मुकेश खेरिया, बसंत जैन, महिदपुर रोड, शोधार्थी युगेश द्विवेदी, गौरव मिश्रा आदि सहित अनेक सुधीजनों और प्रबुद्धजनों ने भाग लिया।
संचालन वरिष्ठ कवि श्री सुंदरलाल जोशी सूरज, नागदा ने किया। आभार प्रदर्शन डॉ निसार फारूकी ने किया।

20221103

Vagarchan : Worship of Mahakavi Kalidas's Aaradhya Gadkalika |वागर्चन : महाकवि कालिदास की आराध्या गढ़कालिका की समर्चना

वागर्चन : महाकवि कालिदास की आराध्या गढ़कालिका की समर्चना

- प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा 

अखिल भारतीय कालिदास समारोह का शुभारंभ चार नवंबर को होगा। इसके पहले महाकवि कालिदास की आराध्या देवी मां गढ़ कालिका का पूजन ; अर्चन कर वागर्चन किया। इस दौरान कालिदास समारोह समिति के पदाधिकारी मौजूद थे। महाकवि कालिदास की आराध्या गढ़कालिका देवी का पूजन एवं स्तोत्र पाठ बुधवार को किया गया। इस दौरान महाकवि कालिदास विरचित श्यामलादंडकम् का पाठ कर मां गढ़कालिका से कालिदास समारोह निर्विघ्न संपन्न होने की कामना की। कहा जाता है कि वागर्चन महाकवि द्वारा उनकी वाणी से लिखा गया है। मां गढ़कालिका की कृपा से ही कवि कालिदास को वाक् सिद्धि प्राप्त हुई थी। इस दौरान पूर्व कुलपति प्रो. बालकृष्ण शर्मा, कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय, कालिदास समारोह समिति के सचिव प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा, प्रभारी निदेशक संतोष पंडया, उपनिदेशक डॉ योगेश्वरी फिरोजिया आदि उपस्थित थे। 

वागर्चन की विधि सन्त सुन्दरदास सेवा संस्थान एवं युग निर्माण समिति उज्जैन के सहकार से सम्पन्न हुई। प्रो.तुलसीदास परोहा, डॉ.पीयूष त्रिपाठी, डॉ.रमेश शुक्ल, श्री सत्यनारायण नाटानी, श्री मोहन खंडेलवाल मुकुल, श्री आशीष खंडेलवाल आदि गणमान्यजनों ने देवी का पूजन एवं स्तुति की। विद्वानों का स्वागत श्री मोहन खंडेलवाल मुकुल ने किया। 

 















5 नवम्बर को नगर में निकलेगी कलशयात्रा

कालिदास समारोह के शुभारंभ पूर्व देवी गढ़कालिका की आराधना के पश्चात कल गुरूवार को सुबह 10 बजे रामघाट पर मां शिप्रा एवं कलश पूजन होगा। इसके बाद सुबह 10.30 बजे से महाकाल मंदिर से कलशयात्रा प्रारंभ होगी। कलशयात्रा में भावनगर गुजरात के लोक कलाकारों का दल नितिन भाई दवे के मार्गदर्शन में एवं झाबुआ के हिंदूसिंह अमलीयार के पारम्परिक लोक समूह द्वारा लोकनृत्य की प्रस्तुति सम्पूर्ण कलश यात्रा मार्ग पर की जाएगी।

कलशयात्रा मार्ग पर संस्कार भारती के रांगोली दल द्वारा रांगोली का निर्माण किया जाएगा। कलशयात्रा गुदरी चौराहा, गोपाल मंदिर, छत्रीचौक, कंठाल, नईसड़क, दौलतगंज, मालीपुरा, देवासगेट, चामुंडा चौराहा, टॉवर चौक, शहीद पार्क, ढक्कन वाला कुआं, गुरुद्वारा, पुलिस कंट्रोल रूम, दशहरा मैदान चौराहा, संजीवनी अस्पताल के सामने से होती हुई अकादमी परिसर पहुंचेगी, जहां मंगल कलश की स्थापना होगी।


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All India Kalidas Samaroh 2022 :  Invitation | अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022 : आत्मीय आमंत्रण 🏵️


अखिल भारतीय कालिदास समारोह : 4 - 10 नवम्बर 2022 : मध्य प्रदेश शासन के तत्वावधान में विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन जिला प्रशासन एवं कालिदास संस्कृत अकादमी द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022 के समस्त सारस्वत एवं सांस्कृतिक आयोजनों में आपकी उपस्थिति  प्रार्थनीय है।


https://drshailendrasharma.blogspot.com/2022/11/all-india-kalidas-samaroh-2022.html


20221101

All India Kalidas Samaroh 2022 : Invitation | अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022 : आमंत्रण

All India Kalidas Samaroh 2022 :  Invitation | अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022 : आमंत्रण

अखिल भारतीय कालिदास समारोह : 4 - 10 नवम्बर 2022

मध्य प्रदेश शासन के तत्वावधान में विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन जिला प्रशासन एवं कालिदास संस्कृत अकादमी द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022 के समस्त सारस्वत एवं सांस्कृतिक आयोजनों में आपकी उपस्थिति सादर प्रार्थनीय है। 

आमंत्रण पत्र के लिए लिंक

अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022 : आमंत्रण पत्र 

https://drive.google.com/file/d/1Ahh-k1yQ6XrBdobWiISB9cFFEdqbEsGV/view?usp=drivesdk


राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी : शोध पत्र प्रस्तुति के लिए आमंत्रण 

अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022 : दिनांक 4 से 10 नवंबर : मध्यप्रदेश शासन के तत्वावधान में विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन, जिला प्रशासन एवं कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन का संयुक्त आयोजन। सुधी प्राध्यापक /साहित्यकार/ शिक्षाविद् / शोधकर्ता कालिदास साहित्य के विविध आयामों पर स्वतंत्र रूप से या अंतरानुशासनिक दृष्टि से शोध पत्र प्रस्तुति के लिए आमंत्रित हैं। शोध पत्र साहित्य, कला, संस्कृति, इतिहास, पुरातत्व, ज्ञान - विज्ञान, वास्तु, पर्यावरण, दर्शन, जीवन मूल्य, शिक्षा, समाजविज्ञान, मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र आदि के परिप्रेक्ष्य में कालिदास साहित्य के किसी पक्ष से जुड़े हो सकते हैं।*

विस्तृत जानकारी के लिए लिंक : 

https://drshailendrasharma.blogspot.com/2022/10/all-india-kalidas-festival-2022.html



















































अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022

अखिल भारतीय कालिदास समारोह 4 से 10 नवम्बर तक उज्जैन में, देश के बारह से अधिक प्रान्तों के विद्वान, कलाकार और संस्कृतिकर्मी भाग लेंगे

सारस्वत आयोजनों के अंतर्गत होंगे कालिदास साहित्य के विविध पक्षों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी के छह सत्र, व्याख्यानमाला के पाँच सत्र एवं तीन स्पर्धाएं 

अखिल भारती अंतरविश्वविद्यालयीन संस्कृत वादविवाद, राज्य स्तरीय अन्तरमहाविद्यालयीन कालिदास काव्य पाठ और हिंदी वादविवाद प्रतियोगिताएँ होंगी

मध्यप्रदेश शासन के तत्वावधान में विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन, जिला प्रशासन एवं कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन का संयुक्त आयोजन अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022 दिनांक 4 से 10 नवम्बर तक सम्पन्न होगा। सारस्वत एवं सांस्कृतिक आयोजनों में भाग लेने के लिए देश के विभिन्न भागों के सैकड़ों विद्वान, संस्कृतिकर्मी, कलाकार, शोधकर्ता और विद्यार्थी उज्जैन आ रहे हैं। समारोह के शुभारंभ के पूर्व 3 नवंबर को मंगल कलश यात्रा प्रातः 10:00 से प्रातः रामघाट से प्रारंभ होकर कालिदास संस्कृत अकादमी पहुंचेगी। इसी रात्रि को नांदी के अंतर्गत महत्वपूर्ण प्रस्तुतियां होंगी। महाकवि कालिदास की विश्वविश्रुत कृति विक्रमोर्वशीय से अनुप्राणित चित्र एवं मूर्ति कलाकृतियों की राष्ट्रीय कालिदास प्रदर्शनी दिनांक 4 नवम्बर को उद्घाटन के पश्चात् से 10 नवंबर तक प्रतिदिन साहित्यप्रेमियों, कलारसिकों और सुधीजनों के अवलोकनार्थ खुली रहेगी। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अंतर्गत प्रतिदिन संध्या 7:00 बजे नाट्य, नृत्य एवं संगीत की मनोरम प्रस्तुतियां होंगी।

समारोह के सारस्वत आयोजनों के अंतर्गत कालिदास संस्कृत अकादमी द्वारा भारतीय संस्कृति की दीपशिखा कालिदास पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी के दो सत्र एवं विक्रम विश्वविद्यालय की कालिदास समिति द्वारा राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के चार सत्रों का आयोजन किया जाएगा। समारोह के दौरान संस्कृत कवि समवाय के अंतर्गत संस्कृत काव्यपाठ, पंडित सूर्यनारायण व्यास व्याख्यानमाला एवं महाकवि कालिदास व्याख्यानमाला के अंतर्गत अनेक महत्वपूर्ण व्याख्यान होंगे। विद्यार्थियों की स्पर्धाओं के अंतर्गत अंतरविश्वविद्यालयीन संस्कृत वाद विवाद, राज्य स्तर की अंतर महाविद्यालयीन कालिदास काव्य पाठ और हिंदी वाद विवाद प्रतियोगिताओं का आयोजन होगा। 

यह जानकारी देते हुए विक्रम विश्वविद्यालय की कालिदास समिति के सचिव प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा एवं कालिदास संस्कृत अकादमी के प्रभारी निदेशक डॉ संतोष पंड्या ने बताया कि विद्यार्थियों के लिए अखिल भारतीय स्तर की अंतरविश्वविद्यालयीन कालिदास संस्कृत वाद विवाद प्रतियोगिता का विषय कालिदासस्य काव्येषु राजवैभववर्णनम्, संदृश्यते यथा स्पष्टं न तथा लोकजीवनम् रखा गया है। राज्य स्तर की अंतर महाविद्यालयीन कालिदास हिंदी वाद विवाद प्रतियोगिता का विषय महाकवि कालिदास की रचनाओं में राजवैभव का स्पष्ट वर्णन हुआ है, लोकजीवन का नहीं, रखा गया है। राज्य स्तर की कालिदास काव्य पाठ  प्रतियोगिता में विद्यार्थियों को श्लोकों का चयन महाकवि कालिदास की अमर कृति मालविकाग्निमित्रम् से करना होगा।

अकादमिक एवं सांस्कृतिक आयोजनों में देश के बारह से अधिक राज्यों के विद्वान, कलाकार, संस्कृतिकर्मी, शिक्षक, शोधकर्ता और विद्यार्थी भाग लेने के लिए उज्जैन आ रहे हैं। कालिदास संस्कृति अकादमी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के दो सत्र विश्वविद्यालय मार्ग, उज्जैन स्थित अभिरंग नाट्यगृह, कालिदास संस्कृत अकादमी में होंगे, जिनका विषय है भारतीय संस्कृति की दीपशिखा कालिदास। कालिदास समिति द्वारा संयोजित राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के चार सत्रों का आयोजन में होगा। इनमें से एक विशेष सत्र विक्रम कालिदास पुरस्कार विजेता शोधपत्रों की प्रस्तुति का होगा। 

राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में भाग लेने के लिए देश के विभिन्न प्रांतों के प्राध्यापक, शिक्षाविद् एवं शोधकर्ताओं से कालिदास साहित्य के विविध आयामों पर स्वतंत्र रूप से या अंतरानुशासनिक दृष्टि से शोध पत्र आमंत्रित किए गए हैं। शोध पत्र प्रस्तुतकर्ता पंजीयन एवं शोध पत्र प्रेषण के लिए कालिदास समिति कार्यालय, सिंधिया प्राच्य विद्या शोध प्रतिष्ठान, विक्रम विश्वविद्यालय, देवास मार्ग, उज्जैन में सम्पर्क कर सकते हैं।

शोध पत्र वाचन के लिए राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के चार सत्र अभिरंग नाट्यगृह, कालिदास संस्कृत अकादमी, कोठी रोड, उज्जैन में निम्नानुसार तिथियों एवं समय पर होंगे :


राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी 

प्रथम सत्र 5 नवम्बर 2022 दोपहर 2:30

द्वितीय सत्र 6 नवम्बर 2022 दोपहर 2:30 बजे 

तृतीय सत्र 7 नवम्बर 2022 दोपहर 2:30 बजे 

(विक्रम कालिदास पुरस्कार के लिए चयनित शोध पत्रों की प्रस्तुति)

चतुर्थ सत्र 8 नवम्बर 2022 प्रातः 10:00 बजे

संगोष्ठी स्थान : 

अभिरंग नाट्यगृह

कालिदास संस्कृत अकादमी

विश्वविद्यालय मार्ग, उज्जैन

शोध पत्र प्रस्तुति हेतु पंजीयन के लिए सम्पर्क : 

प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा 

सचिव 

कालिदास समिति 

कला संकायाध्यक्ष एवं कुलानुशासक

विक्रम विश्वविद्यालय

 सिंधिया प्राच्य विद्या शोध प्रतिष्ठान

 देवास रोड 

उज्जैन मध्य प्रदेश

पिन कोड 456010


ईमेल : 

shailendrakumarsharmaprof@gmail.com


विक्रम पत्रिका के कालिदास विशेषांक के लिए लिंक पर जाएं :


20221027

Photography is an art that connects you with the divine | फोटोग्राफी एक ऐसी कला जो आपको परमात्मा से जोड़ती है

फोटोग्राफी एक ऐसी कला जो आपको परमात्मा से जोड़ती है   

फोटोग्राफी : कला से पत्रकारिता तक पर केंद्रित कार्यशाला 

विक्रम विश्वविद्यालय की पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला, हिन्दी अध्ययनशाला और गांधी अध्ययन केन्द्र द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। फोटोग्राफी : कला से पत्रकारिता विषय पर आधारित कार्यशाला में अंतरराष्ट्रीय फोटोग्राफर श्री कैलाश सोनी, देवास ने युवाओं को फोटोग्राफी के महत्व और फोटोग्राफ में आवश्यक बातों को प्रायोगिक तरीके से समझाया। कार्यशाला में मुख्य अतिथि कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय, अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार जीवनसिंह ठाकुर, देवास एवं कला संकायाध्यक्ष प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, प्रो गीता नायक ने फोटोग्राफी कला के विविध आयामों पर प्रकाश डाला। 




अंतरराष्ट्रीय फोटोग्राफर कैलाश सोनी, देवास ने प्रोफेशनल डीएसएलआर और मोबाइल कैमरे दोनों के प्रयोग के माध्यम से विद्यार्थियों को बताया कि फोटोग्राफी करते हुए किन बातों का ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि फोटोग्राफी एक ऐसी कला है जो आपको परमात्मा से जोड़ती है। इस विधा के लिए समय की पाबंदी और फिट रहना बहुत जरूरी है। फोटोग्राफी के क्षेत्र में एक-एक पल जरूरी होता है। उन्होंने अपने जीवन के कई अनुभव साझा करते हुए बताया कि वह 15-16 साल के थे, तब उन्होंने पहला फोटोग्राफ लिया था। जैसे सब सोचते हैं कि हमारी भाषाशैली अच्छी है तो हमें सब आ गया, यह गलत भाव है इससे बचना चाहिए।  एक फोटोग्राफर के मन में हमेशा नया खोजने और सीखने का भाव होना जरूरी है। कुछ भी अच्छा लगे तो उसे कैमरे में जरूर उतार लेना चाहिए। जिस क्षण में फोटो उतारते हैं, वह क्षण दोबारा नहीं आता। विद्यार्थियों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि अभ्यास से ही सीखा जाता है। आपकी निगाह 100 प्रतिशत होनी चाहिए। वर्तमान परिस्थिति में फोटोग्राफी का अस्सी प्रतिशत महत्व बढ़ गया है। सभी के हाथ में कैमरा होने से दुरुपयोग भी बढ़ा है। इससे बचने के लिए कई सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं, इनका उपयोग कर गलत फोटोग्राफ से बचा जा सकता है और सही-गलत का पता लगाया जा सकता है। फोटोग्राफी का भविष्य अच्छा है। जिस तरह वर्तमान समय में शादियों में फोटोग्राफ तैयार की जाती है उसने पूरा परिदृश्य ही बदल दिया है। अब एक फोटोग्राफ को आसानी से विश्व स्तर तक ले जाया जा सकता है। इस कार्यशाला के दौरान उन्होने कई फोटो लेकर विद्यार्थियों को रचनात्मक और साधारण फोटोशूट का अंतर भी समझाया।  




कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि फोटोग्राफी विज्ञान युग की देन है, लेकिन इसने बहुत कम समय में एक श्रेष्ठ सृजन माध्यम का रूप ले लिया है। वर्तमान दौर में विद्यार्थी फोटोग्राफी के क्षेत्र में गहन अभ्यास के साथ कौशल विकसित करते हुए व्यावसायिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं।









पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला और हिन्दी अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष शैलेन्द्रकुमार शर्मा ने मध्यप्रदेश के कुछ प्रसिद्ध फोटोग्राफरों की कला के सम्बंध  में बताया, जिन्होंने अत्यंत सीमित संसाधनों के बाद भी अपने दौर में इस कला को उच्चतम स्तर तक पहुँचाया। उन्होंने कहा कि फोटोग्राफी ने हमारी संस्कृति और परम्परागत कला को जीवित  रखा है। इस क्षेत्र में उपलब्ध नवीन तकनीकों और उपकरणों का ज्ञान प्राप्त कर अपनी कला को बेहतर बनाया जा सकता है। पत्रकारिता में इस विधा का अब सूचनात्मकता से आगे जाकर सृजनात्मक प्रयोग हो रहा है। इस विधा के माध्यम से हम प्राचीन दौर, परम्पराओं और यादों से रूबरू हो सकते हैं। 


 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार जीवनसिंह ठाकुर ने कहा कि फोटोग्राफ की शुरूआत लेखन से होती है। फोटोग्राफी एक ऐसी कला है जो संगीत लिखने के बराबर है। संगीत में जैसे एक-एक शब्द का ध्यान रखना होता है वैसे ही फोटोग्राफ में दिखाई दे रहे हर बिन्दु का ध्यान रखना जरूरी है।

कार्यक्रम में वरिष्ठ फोटोग्राफर श्री कैलाश सोनी देवास को साहित्य अर्पित करते हुए उनका सम्मान किया गया।

प्रश्नोत्तरी सत्र का संयोजन डॉ जगदीश चंद्र शर्मा एवं डॉ अजय शर्मा  ने किया। मुख्य वक्ता के रूप में अंतरराष्ट्रीय फोटोग्राफर कैलाश सोनी मौजूद रहे। पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला के शिक्षक डॉ सुशील शर्मा, डॉ अजय शर्मा आदि विशेष रूप से कार्यशाला में उपस्थित रहे। 

कार्यशाला का संचालन डॉ जगदीशचंद शर्मा ने किया। आभार श्रीमती हीना तिवारी ने माना।






20221026

All India Kalidas Festival 2022 : National Seminar |अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022 : राष्ट्रीय संगोष्ठी

अखिल भारतीय कालिदास समारोह 4 से 10 नवम्बर 2022 : उज्जैन 

सारस्वत आयोजन : कालिदास साहित्य के विविध पक्षों पर राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के चार सत्र

अखिल भारतीय अंतरविश्वविद्यालयीन संस्कृत वादविवाद के साथ राज्य स्तरीय अन्तरमहाविद्यालयीन कालिदास काव्य पाठ और हिंदी वादविवाद प्रतियोगिताएँ 



समस्त सारस्वत एवं सांस्कृतिक आयोजनों में आपकी उपस्थिति सादर प्रार्थनीय है। 

अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022 : आमंत्रण पत्र 

https://drive.google.com/file/d/1Ahh-k1yQ6XrBdobWiISB9cFFEdqbEsGV/view?usp=drivesdk


मध्यप्रदेश शासन के तत्वावधान में विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन, जिला प्रशासन एवं कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन का संयुक्त आयोजन  अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022 दिनांक 4 से 10 नवम्बर तक सम्पन्न होगा। समारोह के सारस्वत आयोजनों के अंतर्गत विक्रम विश्वविद्यालय की कालिदास समिति द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठी के चार सत्रों के साथ विद्यार्थियों की स्पर्धाओं के अंतर्गत अंतरविश्वविद्यालयीन संस्कृत वाद विवाद, राज्य स्तर की अंतर महाविद्यालयीन कालिदास काव्य पाठ और हिंदी वाद विवाद प्रतियोगिताओं का आयोजन होगा। 


अखिल भारतीय स्तर की अंतरविश्वविद्यालयीन कालिदास संस्कृत वाद विवाद प्रतियोगिता का विषय  कालिदासस्य काव्येषु राजवैभववर्णनम्, संदृश्यते यथा स्पष्टं न तथा लोकजीवनम् रखा गया है। राज्य स्तर की अंतर महाविद्यालयीन कालिदास हिंदी वाद विवाद प्रतियोगिता का विषय है, महाकवि कालिदास की रचनाओं में राजवैभव का स्पष्ट वर्णन हुआ है, लोकजीवन का नहीं। राज्य स्तर की कालिदास काव्य पाठ  प्रतियोगिता में विद्यार्थियों को श्लोकों का चयन महाकवि कालिदास की अमर कृति मालविकाग्निमित्रम् से करना होगा।


यह जानकारी देते हुए विक्रम विश्वविद्यालय की कालिदास समिति के सचिव एवं कला संकायाध्यक्ष प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा Shailendrakumar Sharma  ने बताया कि अकादमिक आयोजनों में देश के दस से अधिक राज्यों के विद्वान, शिक्षक, शोधकर्ता और विद्यार्थी भाग लेने के लिए उज्जैन आ रहे हैं। राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में भाग लेने के लिए देश के विभिन्न प्रांतों के प्राध्यापक, शिक्षाविद् एवं शोधकर्ताओं से कालिदास साहित्य के विविध आयामों पर स्वतंत्र रूप से या अंतरानुशासनिक दृष्टि से शोध पत्र आमंत्रित किए गए हैं। 

शोध संगोष्ठी के चार सत्रों का आयोजन विश्वविद्यालय मार्ग, उज्जैन स्थित अभिरंग नाट्यगृह, कालिदास संस्कृत अकादमी में होगा। इनमें से एक विशेष सत्र विक्रम कालिदास पुरस्कार विजेता शोधपत्रों की प्रस्तुति का होगा। शोध पत्र प्रस्तुतकर्ता पंजीयन एवं शोध पत्र प्रेषण के लिए कालिदास समिति कार्यालय, सिंधिया प्राच्य विद्या शोध प्रतिष्ठान, विक्रम विश्वविद्यालय, देवास मार्ग, उज्जैन में सम्पर्क कर सकते हैं। 






Kalidas


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अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022 : 4 से 10 नवम्बर 2022

मध्यप्रदेश शासन के तत्वावधान में विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन, जिला प्रशासन एवं कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन का संयुक्त आयोजन 

अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022 : सारस्वत आयोजन 

अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2022 के समस्त सांस्कृतिक एवं सारस्वत आयोजनों में आपकी उपस्थिति सादर प्रार्थनीय है। राष्ट्रीय संगोष्ठी के साथ स्पर्धाओं के अंतर्गत संस्कृत वाद विवाद, संस्कृत श्लोक पाठ और हिंदी वाद विवाद में सहभागिता का अनुरोध है। विस्तृत जानकारी के लिए लिंक पर जाएँ। 


https://www.facebook.com/100001476965950/posts/5669747819751061/


राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी :

सुधी प्राध्यापक / शिक्षाविद् / शोधकर्ता कालिदास साहित्य के विविध आयामों पर स्वतंत्र रूप से या अंतरानुशासनिक दृष्टि से शोध पत्र प्रस्तुति के लिए सादर आमंत्रित हैं।शोध पत्र साहित्य, कला, वास्तु, संस्कृति, इतिहास, पुरातत्व, विज्ञान, पर्यावरण, दर्शन,  जीवन मूल्य, शिक्षा,  समाजविज्ञान, मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र आदि के परिप्रेक्ष्य में कालिदास साहित्य के किसी पक्ष से जुड़े हो सकते हैं। सभी सुधीजन कालिदास साहित्य के विविध आयामों पर स्वतंत्र रूप से या अंतरानुशासनिक दृष्टि से शोध पत्र प्रस्तुति के लिए सादर आमंत्रित हैं।


शोध पत्र वाचन के लिए राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के चार सत्र अभिरंग नाट्यगृह, कालिदास संस्कृत अकादमी, कोठी रोड, उज्जैन में निम्नानुसार तिथियों एवं समय पर होंगे :


राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी 

प्रथम सत्र 5 नवम्बर 2022 दोपहर 2:30

द्वितीय सत्र 6 नवम्बर 2022 दोपहर 2:30 बजे 

तृतीय सत्र 7 नवम्बर 2022 दोपहर 2:30 बजे 

(विक्रम कालिदास पुरस्कार के लिए चयनित शोध पत्रों की प्रस्तुति)

चतुर्थ सत्र 8 नवम्बर 2022 प्रातः 10:00 बजे

संगोष्ठी स्थान : 

अभिरंग नाट्यगृह

कालिदास संस्कृत अकादमी

विश्वविद्यालय मार्ग, उज्जैन



शोध पत्र प्रस्तुति हेतु पंजीयन के लिए सम्पर्क : 

प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा 

सचिव 

कालिदास समिति 

कला संकायाध्यक्ष एवं कुलानुशासक

विक्रम विश्वविद्यालय

 सिंधिया प्राच्य विद्या शोध प्रतिष्ठान

 देवास रोड 

उज्जैन मध्य प्रदेश

पिन कोड 456010


ईमेल : 

shailendrakumarsharmaprof@gmail.com



विक्रम पत्रिका के कालिदास विशेषांक के लिए लिंक पर जाएं :




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