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20130908

हिंदी के विश्व प्रसार पर राष्ट्रीय परिसंवाद और राष्ट्रीय हिंदी सेवा सम्मान 2013 मशहूर सिने गीतकार समीर राष्ट्रीय हिंदी सेवा सम्मान से अलंकृत

हिंदी पखवाड़े के शुभारंभ अवसर पर 1 सितंबर 2013 को उज्जैन स्थित कालिदास अकादेमी में मालवा रंगमंच समिति द्वारा राष्ट्रीय हिंदी सेवा सम्मान एवं परिसंवाद आयोजित किया गया। समारोह में प्रख्यात सिने गीतकार समीर से आत्मीय भेंट का अवसर मिला। उन्हें राष्ट्रीय हिंदी सेवा सम्मान 2013 से सम्मानित किया गया। समीर ने 635 फिल्मों में पाँच  हजार से अधिक गीत रचे हैं। आशिक़ी , साजन, दिल, देवदास , कभी खुशी कभी गम , दिल है के मानता नहीं, हम हैं राही प्यार के, राजा बाबू,  धूम, सन ऑफ सरदार, कुछ-कुछ होता है, दबंग 2 जैसी अनेक लोकप्रिय फिल्मों में समाहित उनके गीतों को देश-दुनिया में बहुत गाया-गुनगुनाया गया। वे अनु मलिक और नदीम-श्रवण से लेकर आनंद-मिलिंद, हिमेश रेशमिया और दिलीप सेन – समीर सेन तक कई संगीतकारों के चहेते गीतकार रहे हैं।  सिने गीतों पर उनसे हुई चर्चा यादगार रहेगी । आयोजक सिने जगत के मीडिया परामर्शक श्री केशव राय ने यह अवसर जुटाया था। फिर हाल ही में अपने मुंबई प्रवास पर समीर जी से सिने गीतों के बदलाव पर  लंबी चर्चा का मौका मिला। समीर जी ने हमें प्रसिद्ध सिने पत्रकार श्री डेरेक बोस द्वारा रचित बहुरंगी पुस्तक ‘sameer : a way with words’ अर्पित की। मेरे साथ मुंबई विद्यापीठ के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. करुणाशंकर उपाध्याय , श्री केशव राय भी थे । समीर उर्फ शीतलाप्रसाद पाण्डेय समीर मूलतः बनारस से हैं। उनके पिता प्रख्यात सिने गीतकार अनजान उर्फ लालजी पाण्डेय ने हिन्दी सिनेमा को खई के पान बनारसी वाला जैसे कई अमर गीत दिये हैं।- प्रो.  डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा                                श्री केशव राय की ओर से राष्ट्रीय हिंदी सेवा सम्मान और परिसंवाद 2013 की रपट पेश है- मालवा रंगमंच समिति द्वारा राष्ट्रीय हिंदी सेवा सम्मान और परिसंवाद आयोजित किया गया। समारोह में प्रख्यात सिने गीतकार श्री समीर को राष्ट्रीय हिंदी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया । कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि समाज चिन्तक प्रो शैलेन्द्र पाराशर , विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलानुशासक प्रो.  डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा, व्यंग्यकार डॉ पिलकेंद्र अरोरा, मालवा रंगमंच समिति के संस्थापक अध्यक्ष श्री केशव राय एवं श्री यू. एस. छाबड़ा ने समीर जी को सम्मान पत्र, प्रतीक चिह्न अर्पित कर उनका आत्मीय सम्मान किया।सिने गीतकार समीर जी ने अपने संबोधन में कहा कि हिन्दी की प्रगति में सिनेमा की अद्वितीय भूमिका रही है। आम आदमी से लेकर बुद्धिजीवी वर्ग तक सभी सिने गीतों का आनंद लेते हैं। गीतों के सृजन के पीछे मेरे सिने गीतकार पिता अनजान की प्रेरणा रही। मुंबई में दो वर्षों का संघर्ष मेरे लिए बहुत उपयोगी रहा। सफलता प्राप्त करने के बाद भी अविराम कर्म जरूरी है। सच्चा प्यार करने वाला व्यक्ति ही फ़िल्म इन्डस्ट्री में टिक सकता है। सिने गीत और कहानी में लफ़्ज़ से ज्यादा महत्व जज्बों का है।समालोचक प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिंदी की विश्व व्याप्ति में सिने गीतों की अविस्मरणीय भूमिका रही है। विदेशों में हिन्दी शिक्षण और संस्कृति के प्रसार में हिन्दी सिनेमा कि सशक्त भागीदारी दिखाई दे रही है।हिंदी वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में अपनी विलक्षण पहचान और हैसियत बना चुकी है। हिन्दी भूमंडलीकरण की हमराह  और संवाहिका है। इस दौर में जरूरत इस बात की है कि हम हिन्दी के सामर्थ्य को पहचानें और उसकी विविधमुखी प्रगति के लिये प्रयत्न करें ।आज विश्व में वही भाषा टिक सकती है जो स्वयं को विस्तार दे , संकीर्ण न हो।  हिंदी इस शर्त को पूरा करती है। यह भाषा अचानक  नहीं , सदियों- दर- सदियों से इस देश को एक किए हुए है। राष्ट्रभाषा हिन्दी को हमारे वीर सेनानियों ने आजादी लाने का हथियार  बनाया था । आज यह भाषा दुनिया की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली विश्व भाषा बन चुकी है। देश-दुनिया के विविध क्षेत्रों में हिंदी का परचम लहरा रहा है। लोकप्रिय सिनेमा , पटकथा लेखन , सिने गीत, अधुनातन संचार माध्यम से लेकर  ब्लोगिंग और माइक्रो ब्लोगिंग आदि के जरिये यह दूर- दूर तक अपनी पहुँच बना चुकी है। इन सभी क्षेत्रों में विश्व पटल पर हिन्दी के बदलते स्वरूप को ध्यान में रखते हुए  व्यापक विमर्श एवं मैदानी प्रयासों की दरकार है। प्रो.  शैलेंद्र पाराशर ने कहा कि वर्तमान दौर में विश्वभाषा हिन्दी हमारी पहचान है। अनेक सिने गीतकारों और कहानी लेखकों ने इसके विकास में योगदान दिया है। समाजसेवी श्री यू एस छाबड़ा, सिने गीतों के संग्राहक श्री सुमन चौरसिया [इंदौर] , श्री लाड़, श्री प्रकाश बांठिया ने भी विचार व्यक्त किये । प्रारम्भ में स्वागत वक्तव्य संस्थाध्यक्ष श्री केशव राय ने दिया। सम्मान पत्र का वाचन श्री महेश शर्मा अनुराग ने किया। उज्जैन की रंग प्रतिभा जगरूप सिंह , कवि सौरभ चातक एवं गीत लेखन स्पर्धा में विजेताओं को गीतकार समीर और मंचासीन अतिथियों ने सम्मानित किया। अतिथि स्वागत श्री राजेश राय, श्री महेश शर्मा अनुराग, श्री पारस चौधरी, श्री प्रमोद राय, डॉ महेश कानूनगो, श्री ऋषि राय आदि ने किया। श्री समीर के गीत की प्रस्तुति कलाकार श्री राहुल राय ने की। संचालन कवि श्री दिनेश दिग्गज और आभार श्री प्रकाश बांठिया ने माना ।  [प्रस्तुति - केशव राय]  




समीर के साथ प्रो डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा एवं केशव राय 
समीर के साथ 
प्रो डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा 

समीर और डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा 
राष्ट्रीय हिंदी सेवा सम्मान 2013 से समीर को सम्मानित करते हुए  
प्रो डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा, प्रो शैलेन्द्र पाराशर
 एवं केशव राय 

राष्ट्रीय हिंदी सेवा सम्मान 2013 से समीर को सम्मानित करते हुए  
प्रो डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा, प्रो शैलेन्द्र पाराशर, केशव राय एवं अन्य।   


समीर के साथ प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा
 एवं प्रो. करुणाशंकर उपाध्याय   
sameer : a way with words


  
sameer : a way with words पुस्तक
 डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा को अर्पित करते हुए समीर। समीप हैं श्री केशव राय।   

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपके प्रयास सार्थक ही नहीं ऐतिहासिक सिद्ध हो रहे हैं !!!

    आपका

    डॉ. मोहसिन ख़ान

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  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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