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20201011

अब तक 75 : कोरोना काल पर दुनिया का प्रथम व्यंग्य संग्रह - प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा

अब तक 75 : श्रेष्ठ व्यंग्य रचनाएँ का लोकार्पण

हास्य - व्यंग्य जीवन के अनिवार्य तत्व - कुलपति प्रो पांडेय  

अब तक 75 : कोरोना काल पर दुनिया का प्रथम व्यंग्य संग्रह - प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा Shailendrakumar Sharma

मध्यप्रदेश लेखक संघ के तत्वावधान में इंडिया नेट बुक्स, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित देश के व्यंग्यकारों का व्यंग्य संग्रह 'अब तक 75' का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया। व्यंग्य संकलन का सम्पादन लालित्य ललित ( नई दिल्ली) Lalitya Lalit और हरीशकुमार सिंह (उज्जैन) Harish Kumar Singh ने किया है। 



आयोजन के मुख्य अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडे थे। सारस्वत अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक एवं समालोचक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा थे। अध्यक्षता प्रोफेसर हरिमोहन बुधौलिया ने की।  विशिष्ट अतिथि डॉ लालित्य ललित, नई दिल्ली, श्री संजीव कुमार एवं श्री रणविजय राव, Ranvijay Rao नई दिल्ली थे।





मुख्य अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति डा अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि त्रासदी काल में इस व्यंग्य संकलन का प्रकाशन उल्लेखनीय घटना है। हास्य और व्यंग्य जीवन के अनिवार्य तत्व हैं। वर्तमान में मानसिक अवसाद के प्रकरण सामने आ रहे हैं और ऐसे में आनन्द सूचकांक नीचे आ रहा है। नई शिक्षा नीति में भी आनन्द सूचकांक महत्वपूर्ण विषय है। व्यंग्य में यह जरूरी है कि व्यंग्यकार अपनी बात कह भी दे और किसी को बुरा भी न लगे।




सारस्वत अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो  शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि अब तक 75 के जरिए व्यंग्य की एक मुकम्मल तस्वीर सामने आई है। कोरोना काल की यह विश्व की किसी भी भाषा में प्रकाशित  व्यंग्य विधा में यह पहली कृति है, जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। व्यंग्य विधा का उज्जैन में स्वर्णिम इतिहास रहा है और अनादि काल से व्यंग्य की समृद्ध परम्परा रही है। पद्मभूषण पंडित सूर्यनारायण व्यास, शरद जोशी और डॉ शिव शर्मा से लेकर अब तक व्यंग्य की गतिशीलता बनी रही है। यह संकलन शिव जी को सही समर्पितं किया गया है, क्योंकि शिव जी की रचनाएं मालवा का मैला आँचल हैं। संग्रह की अधिकांश रचनाएँ कोरोना - कोविड 19 की विभीषिका से उपजी होकर समकालीनता का बोध कराती हैं। 




अध्यक्षीय उद्धबोधन में प्रो. हरिमोहन बुधौलिया ने कहा कि व्यंग्य लेखन एक साधना है और  उज्जैन के शिव शर्मा जी  देश के प्रमुख व्यंग्यकार रहे और यह संकलन , शिव जी को समर्पित कर  मालवा की व्यंग्य परम्परा का सम्मान है।




विशेष अतिथि श्री लालित्य ललित ने कहा कि अब तक 75 कि रचनाओं में विषय का वैविध्य है और देश भर के प्रख्यात व्यंग्यकारों को इसमें सम्मिलित हैं। मालवा की भूमि देव भूमि के साथ व्यंग्यकारोँ, साहित्यकारों की भूमि भी है और उज्जैन ने हमें पुस्तक मेले के जरिये साठ लेखक दिए।



स्वागत भाषण देते हुए सचिव श्री देवेंद्र जोशी ने कहा कि इस संकलन के जरिये संपादक द्वय ने देश के व्यंग्यकारोँ को जोड़ने का कार्य किया है। उज्जैन व्यंग्य की धरा रही है और उसी परम्परा को आगे यह संकलन बढ़ाता है। यह संकलन प्रख्यात व्यंग्यकार डॉ शिव शर्मा को समर्पित है।




इंडिया नेटबुक्स के निदेशक संजीव कुमार ने कहा कि उज्जैन व्यंग्यनगरी है और मालवा के व्यंग्यकारों पर संकलन आना आज की आवश्यकता है। 




अतिथियों को स्मृति चिन्ह इंडिया नेटबुक्स की सीईओ डॉ मनोरमा और निदेशक कामिनी मिश्रा ने प्रदान किया। 

व्यंग्यकार रणविजय राव ने कहा कि लॉकडाउन के समय में यह संकलन  लेखकीय रचनात्मकता का एक श्रेष्ठ उदाहरण है। 





सरस्वती वंदना सीमा जोशी ने प्रस्तुत की। अतिथियों ने दीप अलोकन कर लोकार्पण प्रसंग का शुभारंभ किया।




स्वागत देवेंद्र जोशी , हरीशकुमार सिंह , संजय जोशी सजग , संदीप सृजन , डॉ अभिलाषा शर्मा , डॉ उर्मि शर्मा , पुष्पा चौरसिया आदि ने किया।

आयोजन में संपादक श्री श्रीराम दवे , संतोष सुपेकर, राजेश रावल , सुरेंद्र सर्किट आदि उपस्थित थे। 

संचालन दिनेश दिग्गज ने और आभार पिलकेन्द्र अरोरा ने व्यक्त किया।





इंडिया नेट बुक्स द्वारा प्रकाशित देश के पचहत्तर व्यंग्यकारोँ के व्यंग्य संग्रह 'अब तक 75' में उज्जैन शहर के व्यंग्यकार सर्वश्री  डॉ.  पिलकेन्द्र अरोरा, डा देवेंद्र जोशी, संदीप जी सृजन, राजेन्द्र नागर और डा हरीशकुमार सिंह सम्मिलित हैं।


इस संकलन में उज्जैन शहर के व्यंग्यकारों के साथ रतलाम से आशीष दशोत्तर, संजय जोशी सजग, इंदौर से मृदुल कश्यप, जवाहर चौधरी, मुकेश राठौर, सुषमा व्यास राजनिधि आदि सम्मिलित हैं। देश के अन्य व्यंग्यकारों में अनिला चड़क, अजय अनुरागी, अजय जोशी, अतुल चतुर्वेदी, अनिता यादव, अनुराग वाजपेयी, अमित श्रीवास्तव, अरविंद तिवारी, अरुण अर्णव खरे, अलका अग्रवाल, अशोक अग्रोही, अशोक व्यास, आत्माराम भाटी, आशीष दशोत्तर, कमलेश पांडे, कुन्दनसिंह परिहार, के पी सक्सेना दूसरे, गुरमीत बेदी, चंद्रकांता, जयप्रकाश पांडे, जवाहर चौधरी, टीकाराम साहू, दिलीप तेतरबे, दीपा गुप्ता, देवकिशन पुरोहित, डा देवेंद्र जोशी, निर्मल गुप्त, नीरज दहिया, डा पिलकेन्द्र अरोरा, प्रभात गोस्वामी, प्रमोद तांबट, डा प्रेम जनमेजय , प्रेम विज, बलदेव त्रिपाठी, बुलाकी शर्मा, भरत चंदानी, मलय जैन, मीना अरोरा, मुकेश नेमा ,मुकेश राठौर ,मृदुल कश्यप, रणविजय राव, रत्न जेसवानी, रमाकांत ताम्रकार, रमेश सैनी, रवि शर्मा, रश्मि चौधरी, राकेश अचल, राजशेखर चौबे, राजेन्द्र नागर, राजेश कुमार, रामविलास जांगिड़, लालित्य ललित, वर्षा रावल, विवेकरंजन श्रीवास्तव, वीना सिंह, वेद माथुर, वेदप्रकाश भारद्वाज, शरद उपाध्याय, श्यामसखा श्याम, संजय जोशी, संजय पुरोहित, संजीव निगम, संदीप सृजन, समीक्षा तेलंग, सुदर्शन वशिष्ठ, सुधीर केवलिया, सुनीता शानू, सुनील सक्सेना, सुषमा व्यास राजनिधि, सूरत ठाकुर, स्वाति श्वेता, हनुमान मुक्त, डा हरीश नवल और डा हरीशकुमार सिंह सम्मिलित हैं। इस संग्रह के आवरण को प्रख्यात चित्रकार व व्यंग्यकार पारुल तोमर ने बनाया है।












6 टिप्‍पणियां:

  1. *“साहित्य के अद्वितीय साधक : डॉ. शैलेंद्र शर्मा”*

    ```विक्रम विश्वविद्यालय में हिन्दी को आलोकित करते श्रीमान्।

    प्रोफेसर डॉ. शैलेंद्र शर्मा, है जिनका नाम॥

    विख्यात भाषाविद् एवं कर्मठता की अनूठी मिसाल।

    आपकी भाषा एवं कार्यशैली ने किए साहित्य जगत में अनेक कमाल॥

    डॉ. रीना करती ऐसे यशस्वी गुरुवर को प्रणाम।

    कर्मभूमि में जो अनवरत करते रहते काम॥

    महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार का पाया सम्मान।

    रचना जगत के लिए आप हो एक अद्भुत वरदान॥

    आपने दिए विश्वविद्यालय को अनेक गौरव के क्षण।

    आपके सानिध्य में विद्यार्थी जीतते साहित्य-संसार का रण।।

    उज्जैन के सांस्कृतिक जगत के आप हो कीर्तिमान।

    भाषा-विज्ञान के क्षेत्र में अतुलनीय है आपका योगदान॥

    लेखक, आलोचक और शिक्षा जगत की आप हो महान विभूति।

    कुलानुशासक बनकर भी देते कार्यों को अनवरत गति॥

    संस्कृति के महत्व को बढ़ाते है आपके सराहनीय प्रयास।

    भाषा सम्प्रेषण शक्ति और वैचारिक सूक्ष्मता बनाती आपको खास।।

    साहित्य के साधक रच रहें सफलता के नित-नवीन आयाम।

    डॉ. रीना कहती, आप तो है अवंतिका नगरी का मान॥

    कार्यक्षेत्र में समय प्रबंधन का आप हो अद्वितीय उदाहरण।

    प्रतिदिन साहित्य साधना ही तो है, आपका प्रण॥

    कोरोना काल में भी ज्ञान का कर रहे निरंतर प्रसार।

    आपका सानिध्य तो विद्यार्थियों में भर देगा ज्ञान के भंडार अपार॥

    उत्कृष्ट, अद्भुत व्याख्यान दिलाता आपको विलक्षण पहचान।

    अपनी कार्यकुशलता से आप बढ़ा रहे हिन्दी का अभिमान॥

    आपके लिखे आलेख होते अत्यंत ज्ञानवर्धक एवं सारगर्भित।

    इसीलिए साहित्य प्रेमियों के बीच में आप रहते है चर्चित॥

    आत्मीय स्वस्तिकामनाओं का सदैव देते आशीर्वाद।

    जटिलताओं का सरलता में करते आप अनुवाद॥

    डॉ. रीना करती शर्मा सर के लिए सदैव यहीं मंगलकामना।

    उत्तम स्वास्थ्य के साथ सदैव करते रहे माँ शारदे की अनुपम आराधना॥```

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  2. आश्चर्य होता है शैलेन्द्र शर्मा जी के व्यक्तित्व को लेकर। प्रशासनिक कार्यों, स्थानीय,राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों और लेखन के बीच हिन्दी अध्ययन शाला में अध्यापन। ईश्वर से सर के लिए मंगलकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बहुत बधाई🙏💐

    जवाब देंहटाएं

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