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20201017

एपीजे अब्दुल कलाम : शक्ति संपन्न और आत्मनिर्भर भारत के परिप्रेक्ष्य में - प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा

सशक्त और आत्मनिर्भर राष्ट्र के निर्माण के लिए डॉ कलाम ने व्यापक संकल्पना दी – प्रो. शर्मा 

भारतरत्न एपीजे अब्दुल कलाम : शक्ति संपन्न और आत्मनिर्भर भारत के परिप्रेक्ष्य में पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी


प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा भारतरत्न एपीजे अब्दुल कलाम :  शक्ति संपन्न और आत्मनिर्भर भारत के परिप्रेक्ष्य में पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के प्रमुख अतिथि वरिष्ठ प्रवासी साहित्यकार और अनुवादक श्री शरद चंद्र शुक्ल शरद आलोक, ओस्लो, नॉर्वे थे। मुख्य वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के हिंदी विभाग के अध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा थे। अध्यक्षता शिक्षाविद डॉक्टर शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे ने की। विशिष्ट अतिथि  साहित्यकार डॉ अर्चना झा, हैदराबाद, डॉक्टर मंजू रूस्तगी, चेन्नई एवं संस्था के महासचिव डॉ प्रभु चौधरी ने विचार व्यक्त किए। 





प्रमुख अतिथि वरिष्ठ प्रवासी साहित्यकार और अनुवादक श्री शरद चंद्र शुक्ल शरद आलोक, ओस्लो, नॉर्वे ने कहा कि भारतरत्न डॉ एपीजे अब्दुल कलाम आदर्श जीवन जीने वाले महान व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने शिक्षकीय कर्म को सर्वोपरि महत्व दिया है। 




मुख्य वक्ता लेखक एवं आलोचक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने कहा कि आत्मनिर्भर और शक्ति संपन्न राष्ट्र के निर्माण के लिए डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने व्यापक संकल्पना दी थी। वे दूरद्रष्टा वैज्ञानिक और विचारक थे। उनकी दृष्टि में यदि हम विकास चाहते हैं तो देश में शांति की स्थिति होना आवश्यक है और शांति की स्थापना शक्ति से होती है। वे विज्ञान को मानवता के लिए एक खूबसूरत उपहार मानते थे, इसलिए हमें इसे विकृत नहीं करना चाहिए। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन अत्यंत सादगी और सहजता के साथ जिया। वे सर्वस्वीकार्य राष्ट्रपति के रूप में सम्मानित हुए। वे करोड़ों लोगों के देश के रूप में सोचने की बात करते हैं। उनकी दृष्टि अत्यंत मानवीय संवेदनाओं पर आधारित थी।  उन्होंने समाज के वंचित और पीड़ित वर्ग के लोगों की चिंता की। आम आदमी भी तकनीक का लाभ ले, इस दिशा में वे प्रयत्नशील बने रहे।




डॉक्टर शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे ने कहा कि डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की दृष्टि में यदि हमें आत्मविश्वास के साथ जीना है तो आत्मनिर्भर बनना होगा। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन शिक्षा, अनुसंधान और राष्ट्र की सेवा में अर्पित किया। डॉ कलाम के जयंती का अवसर वाचन प्रेरणा दिवस और विद्यार्थी दिवस के रूप में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। कलाम साहब बेहद संवेदनशील थे। उन्हें बच्चों से बातचीत और रुद्रवीणा वादन पसन्द था। उनकी दृष्टि में सपने वे सच्चे होते हैं जो हमें नींद नहीं आने देते हैं। उन्होंने भारतीयों के जनमानस में आत्म गौरव का भाव जगाया था। ग्रंथों के पठन पाठन का संदेश उन्होंने दिया, जिसकी प्रासंगिकता बढ़ती जा रही है।



आयोजन में डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम के व्यक्तित्व और योगदान पर विभिन्न वक्ताओं ने प्रकाश डाला। इनमें डॉ अर्चना झा, हैदराबाद, डॉ मंजू रुस्तगी, चेन्नई, डॉ निसार फारूकी, उज्जैन, डॉ अनीता मांदिलबार, रायपुर, श्रीमती श्वेता गुप्ता, कोलकाता, डॉक्टर वंदना तिवारी, मुम्बई, डॉ प्रवीण बाला, पटियाला, डॉ भरत शेणकर, सीमा निगम, रायपुर, सुनीता चौहान, मुम्बई, डॉ मुक्ता कौशिक आदि प्रमुख थे।





संस्था के अध्यक्ष श्री ब्रजकिशोर शर्मा ने संगोष्ठी की प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का परिचय दिया।


स्वागत भाषण डॉ लता जोशी, मुंबई ने दिया। अतिथि परिचय डॉ आशीष नायक रायपुर ने दिया।



कार्यक्रम में श्रीमती सुवर्णा जाधव, मुंबई, डॉ मधुकर देशमुख, डॉ अमित शर्मा, ग्वालियर, डॉ वीरेंद्र मिश्रा, इंदौर, अशोक भागवत, पूर्णिमा कौशिक, डॉ शैल चंद्रा, राम शर्मा, डॉ रश्मि चौबे,  डॉक्टर मुक्ता कौशिक आदि सहित अनेक प्रबुद्धजन उपस्थित थे।


संचालन संस्था की राष्ट्रीय महिला इकाई की महासचिव डॉ रश्मि चौबे ने किया। अंत में आभार श्री अनिल ओझा, इंदौर ने प्रकट किया।



















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