सृष्टि का कोई भी कण अछूता नहीं है शक्ति से – प्रो शर्मा
अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी में हुआ शक्ति आराधना के प्रतीकार्थ और चिंतन पर गहन मंथन
प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें देश - दुनिया के विद्वान वक्ताओं ने भाग लिया। यह संगोष्ठी शक्ति उपासना : प्रतीकार्थ और चिंतन पर केंद्रित थी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साहित्यकार श्री हरेराम वाजपेयी, इंदौर थे। मुख्य वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा थे। विशिष्ट अतिथि शिक्षाविद् डॉ जी डी अग्रवाल, इंदौर, प्रवासी साहित्यकार एवं अनुवादक श्री शरद चन्द्र शुक्ल शरद आलोक, ओस्लो, नॉर्वे, डॉ अनिता मांदिलवार, डॉ अशोक सिंह, मुंबई, शिवा लोहारिया, जयपुर एवं महासचिव डॉ प्रभु चौधरी ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ शिक्षाविद डॉ भरत शेणकर, अहमदनगर ने की।
लेखक एवं संस्कृतिविद् प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने कहा कि भारतीय चिंतन परंपरा और लोक व्यवहार में शक्ति के विषय में अत्यंत महत्वपूर्ण विचार उपलब्ध हैं। शक्ति से सृष्टि का कोई भी कण अछूता नहीं है। कारण वस्तु में कार्य के उत्पादन में उपयोगी अपृथक् धर्म विशेष होता है, उसे शक्ति के रूप में मान्यता मिली है। शक्ति आराधना के विशिष्ट दार्शनिक आधार हैं। अधिकांश भारतीय दर्शनों में सृष्टि के मूल तत्त्वों के बीच शक्ति की स्वतंत्र सत्ता स्वीकार की गई है। कार्यों की अनंतता के कारण शक्ति की भी अनंतता मानी गई है। शाक्त दर्शन और लोक मान्यता के अनुसार शक्ति सर्वव्यापक और सर्वोपरि है। मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति बिना शक्ति की कृपा से संभव नहीं है। भारत में सदियों से नगर, ग्राम, दुर्ग, वन, पर्वत, द्वार आदि सभी प्रमुख स्थानों पर देवी उपासना के साक्ष्य मिलते हैं। वस्तुतः शक्ति एक ही है, किंतु उपासकों के दृष्टि भेद से शक्ति के नाम और रूपों में भेद पाया जाता है।
विशिष्ट अतिथि प्रवासी साहित्यकार श्री सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक, ओस्लो, नॉर्वे, डॉ अशोक सिंह, मुंबई, डॉक्टर शिवा लोहारिया, जयपुर, डॉ अनिता मांदिलवार एवं डॉ सुनीता चौहान, मुंबई ने देवी आख्यान और उपासना से जुड़े विभिन्न प्रसंगों और उनके मर्म की चर्चा की।
विशिष्ट अतिथि डॉ जी डी अग्रवाल, इंदौर ने मधुर स्वर में आई रे आई दुर्गा महारानी शेर पर होकर सवार गीत की प्रस्तुति की।
प्रारंभ में सरस्वती वंदना डॉ रश्मि चौबे ने की। संस्था का परिचय एवं प्रतिवेदन डॉ लता जोशी, मुंबई ने प्रस्तुत किया।
आयोजन की संकल्पना एवं स्वागत भाषण डॉ प्रभु चौधरी की ने दिया।
राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का संचालन डॉ रोहिणी डाबरे, अहमदनगर ने किया। आभार प्रदर्शन संस्था के शिक्षाविद डॉक्टर शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे ने किया।
Sadar pranam
जवाब देंहटाएंआत्मीय धन्यवाद
हटाएंबहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं आदरणीय गुरुजी, शक्ति से सृष्टि का कोई भी कण अछूता नहीं है। पर अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी मातृ शक्ति के आदर और सम्मान की पराकाष्ठा है🙏🙏💐💐
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