अनेक देशों में बसे साढ़े तीन करोड़ भारतवंशियों की जिजीविषा और कर्मठता से संवर रही है दुनिया
इंडो-स्कैंडिक आर्गनाइजेशन के आयोजन में श्री शुक्ल की कृति 'लॉकडाउन' और श्री पांडे की कृति 'यादों के इंद्रधनुष' का लोकार्पण
इंडो - स्कैंडिक ऑर्गेनाइजेशन द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी में नार्वे के वरिष्ठ लेखक एवं अनुवादक श्री सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' के काव्यसंग्रह 'लॉकडाउन' और स्वीडन के सुरेश पांडे की आत्मकथा 'यादों के इंद्रधनुष' का लोकार्पण विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने किया। उन्होंने पुस्तकों पर समीक्षात्मक व्याख्यान देते हुए कहा कि विश्व के नवनिर्माण में दुनिया के दो दर्जन से अधिक देशों में बसे साढ़े तीन करोड़ भारतवंशी अविस्मरणीय भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने तमाम प्रकार के कष्टों और संघर्षों के बावजूद अपनी जिजीविषा और कर्मठता को बरकरार रखा और आज वे अनेक माध्यमों से दुनिया को सँवार रहे हैं। प्रो शर्मा ने श्री शुक्ल के काव्य संग्रह लॉकडाउन को कोरोना संकटकाल के सरोकारों को लेकर लिखी गई प्रथम काव्यकृति कहा। उन्होंने कहा कि विदेशों में बसे प्रवासियों के साहित्य में दोनों पुस्तकों का महत्त्वपूर्ण स्थान रहेगा।
लेखकों को अपनी शुभकामनाओं और उपस्थिति से उत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव श्री राजेन्द्र कुमार तिवारी और भारतीय रेलवे के महानिदेशक डॉ आनन्द खाती ने गरिमा प्रदान की।
वरिष्ठ आई ए एस श्री राजेन्द्र कुमार तिवारी ने उत्तर प्रदेश में कोविड-19 से उपजे कोरोना वायरस के संकट से निपटने और प्रवासी श्रमिकों, गाँवों तथा इलाज एवं जरूरतमंदों को निशुल्क भोजन वितरण के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी दी।
लॉकडाउन कृति पर वक्तव्य देने वालों में प्रो. उमापति दीक्षित केंद्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा, केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय में उपनिदेशक डॉ दीपक पांडेय, नई दिल्ली, प्रो निर्मला एस मौर्य, चेन्नई, डॉ पूनम सिंह, नई दिल्ली, डॉ ऋचा पाण्डेय, लखनऊ, डॉ मुकेश मिश्र, शिवम तिवारी, डॉ अंशुमान मिश्र आदि प्रमुख थे।
इंडो-स्कैंडिक आर्गनाइजेशन के अध्यक्ष और लॉकडाउन के रचनाकार सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' और 'यादों के इंद्रधनुष' के लेखक सुरेश पांडे ने अपने लेखकीय अनुभव साझा किये।
वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने स्कैंडिनेवियाई देशों नार्वे, स्वीडेन, डेनमार्क, आइसलैंड और फिनलैण्ड के प्रसिद्ध कवियों की कविताओं का अनुवाद प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता स्टॉकहोम, स्वीडन के प्रो आशुतोष तिवारी ने करते हुए कोबिड-19 कोरोना संकट पर चर्चा की और भारत में ऑनलाइन निशुल्क चिकित्सा के अवसर का उल्लेख किया, जो एम हॉस्पिटल के नाम से सेवाएँ दे रहा है। हालैंड में गोपियो संस्था के रेयान तिवारी और डेनमार्क के डॉ योगेन्द्र मिश्र ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम में चार महाद्वीप के प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका और आस्ट्रेलिया शामिल हैं।
कार्यक्रम का शुभारम्भ भारत और सभी स्कैंडिनेवियाई देशों: नार्वे, स्वीडेन, डेनमार्क, आइसलैंड और फिनलैण्ड के राष्ट्रगान से हुआ।
प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा जी को सुनना ज्ञान की हर की पैड़ी पर नहाने जैसा आह्लादकारी होता है।जहाँ दूसरे लोग आत्ममुग्धता के शिकार होकर विषय से हट जाते हैं,इनके हाथ से विषय कभी फिसलता ही नहीं।ऐसे सचेत और सरस वक्ता हैं कि इन्हें सुनने के अवसर खोजता रहता हूँ।इस आयोजन के लिए सुरेश शुक्ल जी और प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा जी को हार्दिक बधाई!
जवाब देंहटाएंआत्मीय धन्यवाद और स्वस्तिकामनाएँ
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