देश के कण-कण और जन-जन से प्रेम राष्ट्रभक्ति है - प्रो. शर्मा
राष्ट्रीय वेब कवि गोष्ठी में गूंजे आजादी के तराने
देश की प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा राष्ट्रीय वेब काव्य गोष्ठी - आजादी के तराने का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा थे। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ रचनाकार श्रीमती सुवर्णा जाधव, मुम्बई एवं श्री शंभू पँवार, झुंझुनूं, राजस्थान थे। अध्यक्षता संस्था के महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने की। संयोजन श्रीमती दीपिका सुतोदिया, गुवाहाटी, असम ने किया। वेब कवि गोष्ठी में प्रस्तुत गीत और कविताओं से ओज के स्वर मुखरित हुए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लेखक और आलोचक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि देश के कण-कण और जन-जन से प्रेम राष्ट्रभक्ति का प्रतीक है। भारतीय चिंतन में स्थानीयता, राष्ट्रीयता और वैश्विकता के आयाम परस्पर पूरक भूमिका निभाते आ रहे हैं। राष्ट्र की विराट संकल्पना में भूमि, जन और उनकी संस्कृति - सब कुछ समाहित हैं। स्थानीयता के आग्रहों के बावजूद भारतीय जनमानस में आसेतुहिमालय जैसे विस्तृत भूभाग के प्रति गहरा प्रेम सहस्राब्दियों से रहा है। भारत की अनेक भाषाओं और बोलियों के कवियों ने राष्ट्रीयता के उन्मेष में अविस्मरणीय योगदान दिया है। जयशंकर प्रसाद ने राष्ट्रीय आंदोलन के दौर में स्वतंत्रता के स्वयंप्रभा और समुज्ज्वला रूप की महिमा गाई है, जो आज और अधिक प्रासंगिक हो गई है। राष्ट्रीयता के लिए आवश्यक है कि ऊपरी तौर पर दिखाई देने वाले अंतर के बावजूद आंतरिक समभावना और संगठन बना रहे।
विशिष्ट अतिथि श्री शंभू पँवार, झुंझुनूं ने संबोधित करते हुए कहा कि साहित्यकार राष्ट्र के प्रति प्रेम, बन्धुत्व और समर्पण का भाव जाग्रत करें। देश को मजबूती देने के लिए सभी वर्गों के सामूहिक प्रयास जरूरी हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. प्रभु चौधरी ने कहा कि वर्तमान समय में राष्ट्र के गौरव प्रतीकों के प्रति गहरा प्रेम जगाने की जरूरत है। काव्य गोष्ठी के माध्यम से लघु भारत साकार हो गया है।
विशिष्ट अतिथि श्रीमती सुवर्णा जाधव, मुंबई ने रणबांकुरे शीर्षक कविता सुनाई। उसकी पंक्तियाँ थीं,
आजादी मिली है फिर भी भूखमरी,
बेकारी से आजाद करना है चमन।
तभी सभी खुश रहेंगे और देश में रहेगा अमन।
भारत हमारा है महान, उसकी हम रखेंगे शान।
डॉ. प्रवीण बाला, पटियाला ,पंजाब ने कविता के माध्यम से भारत की महिमा का गान किया। उनकी पंक्तियां थीं,
मेरा वतन है मेरी आन, मेरा वतन है मेरी शान।
इसके मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारे,
राम, अल्लाह, वाहेगुरु पुकारे।
मिल कर करते सभी प्रणाम,
जग में ऊँचा इसका नाम। मेरा वतन है मेरी आन।
धर्म, संस्कृति, शास्त्र का दाता,
देवभूमि जगत विख्याता।
योग, वेद का उद्गम स्थान,
कहते तभी इसे महान। मेरा वतन है मेरी आन।
यहां सभी हैं आदर पाते,
पशु, पक्षी, या जलचर भ्राते।
नदी भी यहाँ है माँ के समान,
पेड़ ,पर्वत भी देव समान।
मेरा वतन है मेरी आन, मेरा वतन है मेरी शान।
वरिष्ठ कवि श्री सुंदरलाल जोशी 'सूरज', नागदा ने अपनी रचना के माध्यम से पाकिस्तान को फटकार लगाई, उछल रहा है चीनी दम पर, काम नहीं वह आएगा। गरजेगी भारत की तोपें, नक्शे से मिट जाएगा। ऐ मूरख ऐसे तू कब तक, अपने सैनिक खोएगा। अभी समय है सम्हल जा वरना, खूं के आँसू रोएगा।
कवयित्री शालिनी शर्मा, बरेली ने अपनी रचना से कवि सम्मेलन में जोश जगाया। उनकी पंक्तियां थीं,
जश्न ए आजादी जुनूँ से मनाइए,
जरूरत पड़े देश को तो खूं बहाइए।
एक ही स्वर बस सुनाई दे अखिल ब्रह्मांड में,
इस जोश से मां भारती का गान गाइए।
रागिनी शर्मा, इंदौर ने अपनी रचना के माध्यम से देश के लिए सर्वस्व न्योछावर करने का आह्वान किया। उनके गीत की पंक्तियाँ थीं,
दिल मेरा, धड़कन मेरी, मेरी आन है।
ये वतन तुझ पर जान मेरी कुर्बान है!
कलम सदके में सदा, झुकती रहे।
शब्द - शब्द में तेरी, इबादत रहे।
भाव मन के हों सदा शहादत भरे।
अक्षर- अक्षर दिल में तेरा सम्मान है।
वतन तुझ पर जान मेरी कुर्बान है...!
डॉ संगीता पाल, कच्छ, गुजरात ने देशभक्ति गीत सुनाया। गीत की पंक्तियां थीं,
भारत की आन बान शान स्वाभिमान की।
जय हो जवान की जय हो हिंदुस्तान की।
सारे जग में लहराएगा शान तिरंगा प्यारा।
धरा गगन पर गूंज रहा वंदे मातरम नारा।
राष्ट्रगीत की जय बोलो जय बोलो राष्ट्रगान की।
जय हो जवान की जय हो हिंदुस्तान की।
सुश्री कृष्णा श्रीवास्तव, मुंबई ने तिरंगे की महिमा को अपने गीत में पिरोया, वतन के शान में जब, गगन लहराता तिरंगा है। झुकाते शीश फरिश्ते भी वफा गाता तिरंगा है। अंग्रेजों के जुल्मों का यह धरा देती गवाही है। झूल गये लाल फांसी पर, वहीं कहता तिरंगा है।
हेमलता शर्मा इंदौर ने अपनी कविता के माध्यम से जवानों के समर्पण को याद किया। उन्होंने कहा देश के जवान है तो वतन है, देश के जवानों को नमन है।
संचालन रागिनी शर्मा, इंदौर ने किया। आभार प्रदर्शन दीपिका सुतोदिया, गुवाहाटी ने किया।
देश के कण-कण और जन-जन से प्रेम राष्ट्रभक्ति है - इस एक वाक्य में समूची राष्ट्र भक्ति समाहित है, जिस राष्ट्र के लोग इस एक सूत्र को समझ लेंगे उस राष्ट्र का विकास कोई रोक नहीं सकता। ऐसा एक वाक्य में राष्ट्र भक्ति की अभिव्यक्ति सर जैसे राष्ट्र भक्त के माध्यम से ही अपेक्षित है। में सर को प्रणाम करता हूँ।
जवाब देंहटाएंआत्मीय धन्यवाद और स्वस्तिकामनाएँ
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