पेज

20200826

लोकमाता अहिल्याबाई होलकर : व्यक्तित्व और योगदान

अहिल्याबाई असाधारण शासिका थीं, जिन्हें लोकमाता का दर्जा मिला 

लोकमाता अहिल्याबाई के बहुआयामी अवदान पर राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न

देश की प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा लोकमाता अहिल्याबाई के बहुआयामी अवदान पर केंद्रित कर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली के महामंत्री डॉ हरिसिंह पाल एवं सारस्वत अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष श्री ब्रजकिशोर शर्मा ने की। मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार श्री जी डी अग्रवाल, इंदौर थे। आयोजन की रूपरेखा संस्था के महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने प्रस्तुत की।



मुख्य अतिथि डॉ हरिसिंह पाल, नई दिल्ली ने संबोधित करते हुए अहिल्याबाई होलकर के जीवन प्रसंगों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई होल्कर ने अपने जीवन में अनेक सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक कार्य किए, जिन्हें आज भी याद किया जाता है। उन्होंने अनेक देवालय, बावड़ी, घाट, जलाशय आदि का निर्माण करवाया।




वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. जी. डी. अग्रवाल, इंदौर ने कार्यक्रम  को संबोधित करते हुए कहा कि  अहिल्याबाई एक असाधारण शासिका थी, जिन्हें लोकमाता का दर्जा मिला। लोकमाता अहिल्याबाई ने अपने आंसूओं को पीकर प्रजा के आँसू पोंछे। अहिल्याबाई का बहुआयामी  व्यक्तित्व इन काव्य पंक्तियों से स्पष्ट होता है, 
बाला बनी, वनिता बनी, विधवा बनी, रानी बनीl 
दानी बनी भक्तिन बनी, ज्ञानी बनी, देवी बनीl 
रानीत्व की बाई अहिल्या, अनुपम कहानी बनीl 
निज दिव्यता से गंगा का पानी बनीl 










सारस्वत अतिथि लेखक एवं आलोचक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने संबोधित करते हुए कहा कि अहिल्याबाई होल्कर ने भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने व्यापक दृष्टि के साथ देश को सांस्कृतिक और भावात्मक एकता के सूत्र में बांधने के लिए अविस्मरणीय प्रयास किए। लोकोपकार, न्याय और प्रजारंजन के साथ उन्होंने तप, त्याग और सेवाव्रत को अपने जीवन में मूर्त किया।







वरिष्ठ साहित्यकार श्री हरेराम वाजपेयी, इंदौर ने कहा कि प्रातः स्मरणीय माता अहिल्या बाई होलकर अवतारतुल्य थीं। भगवान शंकर की भक्ति उनकी अपार शक्ति थी, जिसका सदुपयोग उन्होंने अपनी प्रजा के  हित के लिए किया तथा पूरे भारत में ऐसे अनेक कार्य किए, जिसके कारण उनकी सुकीर्ति का ध्वज आज भी फहरा रहा है और फहराता रहेगा। राजमाता होकर भी वह लोक माता के रूप में जानी जाती रहीं और इसी रूप में वह अमर हुईं। उन्होंने बताया कि लोकमाता अहिल्याबाई होलकर शीर्षक उनका एक आलेख कक्षा सातवीं के पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया था। 




कार्यक्रम की प्रस्तावना एवं स्वागत भाषण संस्था के महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने दिया। कार्यक्रम को संस्था अध्यक्ष श्री ब्रजकिशोर शर्मा, उज्जैन एवं डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे ने भी संबोधित किया।


वरिष्ठ कवि श्री अनिल ओझा, इंदौर ने देवी अहिल्या बाई पर केंद्रित गीत सुनाया, जिसकी पंक्तियाँ थीं, 

माँ अहिल्या को नमन देवी अहिल्या को नमन।

 आपकी यश कीर्ति से नित गूँजते धरती गगन।

कार्यक्रम के प्रारंभ में सरस्वती वंदना डॉ. रोहिणी डावरे, अहमदनगर ने प्रस्तुत की।

कार्यक्रम में डॉ रश्मि चौबे, गाजियाबाद, डॉ रेखा रानी, फतेहगढ़, डॉ भरत शेनेकर, पुणे सहित देश के विभिन्न भागों के प्रतिभागी उपस्थित थे।



कार्यक्रम का संचालन निरूपा उपाध्याय, देवास ने किया। आभार प्रवीण बाला, पटियाला, पंजाब ने माना।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Featured Post | विशिष्ट पोस्ट

महात्मा गांधी : विचार और नवाचार - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा : वैचारिक प्रवाह से जोड़ती सार्थक पुस्तक | Mahatma Gandhi : Vichar aur Navachar - Prof. Shailendra Kumar Sharma

महात्मा गांधी : विचार और नवाचार - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा : पुस्तक समीक्षा   - अरविंद श्रीधर भारत के दो चरित्र ऐसे हैं जिनके बारे में  सबसे...

हिंदी विश्व की लोकप्रिय पोस्ट