अहिल्याबाई असाधारण शासिका थीं, जिन्हें लोकमाता का दर्जा मिला
लोकमाता अहिल्याबाई के बहुआयामी अवदान पर राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न
देश की प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा लोकमाता अहिल्याबाई के बहुआयामी अवदान पर केंद्रित कर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली के महामंत्री डॉ हरिसिंह पाल एवं सारस्वत अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष श्री ब्रजकिशोर शर्मा ने की। मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार श्री जी डी अग्रवाल, इंदौर थे। आयोजन की रूपरेखा संस्था के महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने प्रस्तुत की।
वरिष्ठ साहित्यकार श्री हरेराम वाजपेयी, इंदौर ने कहा कि प्रातः स्मरणीय माता अहिल्या बाई होलकर अवतारतुल्य थीं। भगवान शंकर की भक्ति उनकी अपार शक्ति थी, जिसका सदुपयोग उन्होंने अपनी प्रजा के हित के लिए किया तथा पूरे भारत में ऐसे अनेक कार्य किए, जिसके कारण उनकी सुकीर्ति का ध्वज आज भी फहरा रहा है और फहराता रहेगा। राजमाता होकर भी वह लोक माता के रूप में जानी जाती रहीं और इसी रूप में वह अमर हुईं। उन्होंने बताया कि लोकमाता अहिल्याबाई होलकर शीर्षक उनका एक आलेख कक्षा सातवीं के पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया था।
वरिष्ठ कवि श्री अनिल ओझा, इंदौर ने देवी अहिल्या बाई पर केंद्रित गीत सुनाया, जिसकी पंक्तियाँ थीं,
माँ अहिल्या को नमन देवी अहिल्या को नमन।
आपकी यश कीर्ति से नित गूँजते धरती गगन।
कार्यक्रम के प्रारंभ में सरस्वती वंदना डॉ. रोहिणी डावरे, अहमदनगर ने प्रस्तुत की।
कार्यक्रम में डॉ रश्मि चौबे, गाजियाबाद, डॉ रेखा रानी, फतेहगढ़, डॉ भरत शेनेकर, पुणे सहित देश के विभिन्न भागों के प्रतिभागी उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन निरूपा उपाध्याय, देवास ने किया। आभार प्रवीण बाला, पटियाला, पंजाब ने माना।
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