आदि कवि वाल्मीकि ने सत्य और धर्म की प्रतिष्ठा पर बल दिया है – प्रो शर्मा
अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी में हुआ आदि कवि वाल्मीकि : इतिहास और मूल्यों के परिप्रेक्ष्य में पर मंथन
ओस्लो के साहित्यकार श्री शुक्ल ने नॉर्वेजियन भाषा में पाठ किया रामायण के अंशों का
देश की प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें देश -दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ वक्ताओं ने भाग लिया। यह संगोष्ठी आदि कवि वाल्मीकि : इतिहास और मूल्यों के परिप्रेक्ष्य में पर केंद्रित थी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ प्रवासी साहित्यकार एवं अनुवादक श्री सुरेशचंद्र शुक्ल शरद आलोक, ओस्लो, नॉर्वे थे। प्रमुख वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा थे। विशिष्ट अतिथि नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली के महामंत्री डॉ हरिसिंह पाल, डॉ राजेन्द्र साहिल, लुधियाना, महासचिव डॉ प्रभु चौधरी एवं उपस्थित वक्ताओं ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ हरेराम वाजपेयी, इंदौर ने की।
विशिष्ट अतिथि डॉ हरिसिंह पाल, नई दिल्ली ने कहा कि वाल्मीकि ने राम कथा के माध्यम से आसुरी वृत्तियों और अनाचार के दमन और उन पर विजय का शाश्वत संदेश दिया है। वाल्मीकि रामायण के आधार पर दुनिया के अनेक देशों में राम काव्य लिखे गए हैं।
विशिष्ट अतिथि डॉ राजेंद्र साहिल, लुधियाना ने कहा कि आदि कवि वाल्मीकि का पंजाब के साथ गहरा संबंध रहा है। पंजाब की पांच नदियों के किनारे वैदिक सभ्यता का विकास हुआ है। पंजाब भारतीय संस्कृति का उद्गम केंद्र है। अमृतसर के समीप स्थित रामतीर्थ में वाल्मीकि का आश्रम था। वहीं रहकर लव और कुश का पालन पोषण हुआ और वहीं रहकर उन्होंने विद्यार्जन किया था। वाल्मीकि की रामायण से प्रेरणा लेकर पंजाबी में अनेक रामायण एवं राम पर केंद्रित रचनाएं लिखी गईं। गुरु गोविंद सिंह जी ने रामावतार जैसे महत्वपूर्ण काव्य की रचना की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए साहित्यकार श्री हरेराम वाजपेयी, इंदौर ने कहा कि वाल्मीकि का व्यक्तित्व सार्वभौमिक है। गोस्वामी तुलसीदास ने वाल्मीकि के जीवन के अनेक प्रसंगों का विस्तार से वर्णन किया है। उन्होंने श्री राम और वाल्मीकि की भेंट का मार्मिक चित्रण अपने मानस में किया है।
साहित्यकार डॉ शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे ने कहा कि वाल्मीकि की रामायण भविष्य के लिए महत्वपूर्ण संदेश देती है। यह ग्रंथ श्रेष्ठ समाज के निर्माण में अनेक सदियों से विशिष्ट भूमिका निभा रहा है।
राष्ट्रीय संगोष्ठी में डॉ शहाबुउद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे, डॉ भरत शेणकर, अहमदनगर, डॉ आशीष नायक, रायपुर, डॉ प्रवीण बाला, पटियाला, डॉ मुक्ता कौशिक, रायपुर, डॉक्टर समीर सैयद, अहमदनगर, पूर्णिमा कौशिक, रायपुर, डॉ रोहिणी डाबरे, अहमदनगर, डॉ लता जोशी, मुंबई, डॉ ज्योति मईवाल, उज्जैन, डॉ राधा दुबे, डॉ प्रियंका द्विवेदी, प्रयागराज, डॉ अमित शर्मा, ग्वालियर, डॉ महेंद्र रणदा, पंढरीनाथ देवले आदि सहित अनेक प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
संगोष्ठी के प्रारंभ में सरस्वती वंदना डॉ लता जोशी मुंबई ने की।
अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का संचालन संस्था सचिव डॉ रागिनी शर्मा, इंदौर ने किया। आभार प्रदर्शन संस्था के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉ शहाबुउद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे ने किया।
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