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20201005

महात्मा गांधी : साहित्य और संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में

मृत्यु के भय से परे निर्भय करते हैं गांधी जी 

महात्मा गांधी : शिक्षा, साहित्य और संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी


प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा महात्मा गांधी : शिक्षा, साहित्य और संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय वेब गोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के प्रमुख अतिथि वरिष्ठ गांधीवादी चिंतक एवं समाजसेवी श्री अनिल त्रिवेदी, इंदौर थे। मुख्य वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के हिंदी विभाग के अध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा थे। विशिष्ट अतिथि गांधीवादी समाजसेवी श्री किशोर गुप्ता, इंदौर, प्रवासी साहित्यकार श्री शरद चंद्र शुक्ल शरद आलोक,  ओस्लो, नॉर्वे, श्री सुधीर निगम, मुंबई,  डॉ वी के मिश्रा, इंदौर एवं संस्था के महासचिव डॉ प्रभु चौधरी ने विचार व्यक्त किए। अध्यक्षता डॉ जी डी अग्रवाल ने की।




मुख्य अतिथि वरिष्ठ गांधीवादी समाजसेवी श्री अनिल त्रिवेदी, इंदौर ने कहा कि गांधी के जीवन में इतना सरल था कि उसमें प्राकृतिक आनन्द था। आज पूरा विश्व मृत्यु के भय से ग्रस्त है, गांधी जी मृत्यु के भय से परे निर्भय करते हैं। वे उपदेशक के रूप में जीवन मूल्यों को कहने के बजाय स्वयं के जीवन में उतारते रहे। आज शिक्षण संस्थाएँ समस्या में हैं, उनके सामने कई चुनौतियां हैं। गांधी जी स्वास्थ्य सुधार के बजाय आरोग्य की बात करते हैं। गांधी जी मनुष्य की मानसिक विकलांगता पर चोट पहुंचाते हैं। उन्होंने अहिंसा और सत्य के बल पर पूरे भारत को जगा दिया।




मुख्य वक्ता लेखक एवं आलोचक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि गांधीजी ने साहित्य एवं संस्कृति को लेकर महत्त्वपूर्ण चिंतन और प्रयोग किए हैं। उनका संस्कृति चिंतन  व्यापक  विश्व दृष्टि पर टिका हुआ है। उन्होंने अपने जीवन व्यवहार में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की शाश्वत मूल्य दृष्टि को आधार बनाया था। संस्कृति और धर्म का कारगर प्रयोग उन्होंने अध्यात्म साधना से आगे जाकर राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक बदलाव के लिए किया। उन्होंने तुलसी को अपना आदर्श माना था। संत कबीर, मीराबाई, नरसी मेहता जैसे भक्तों की वाणी उन्हें पग पग पर आस्था और संबल देती रही। वे गहरी भारतीय आस्था और विश्वास के साथ जिए, किंतु उन्होंने सभी धर्मों और मान्यताओं के प्रति सम्मान और प्रशंसा का भाव जगाया। देश विदेश के साहित्य पर उनके जीवन, कार्य और संदेशों का व्यापक प्रभाव पड़ा है।



विशिष्ट अतिथि श्री संजीव निगम, मुंबई मैं कहा कि गांधी जी का चिंतन समग्रता लिए हुए है। उन्होंने स्वराज की संकल्पना दी, जिसमें शिक्षा, भाषा, अर्थतंत्र आदि सभी बातों पर बल दिया। वे अन्याय का मुकाबला करने के लिए अहिंसा पर बल देते हैं। वे  अपने जीवनकाल में शिक्षा पद्धति में बदलाव लाना चाहते थे। उन्होंने सदियों के लिए पाथेय छोड़ दिया है।





श्री किशोर गुप्ता, इंदौर ने कहा कि गांधी जी अप्रतिम महामानव थे। मनुष्यता से जुड़े सभी पक्षों को उन्होंने छुआ। उनका लिखा और बोला सब संतुलित होता था। भारतीय संस्कृति को उन्होंने निरन्तर जीया। वे बुनियादी शिक्षा को महत्त्व देते हैं, जो जीवन कार्यों से जुड़ी शिक्षा है। वे हृदय के विकास पर बल देते हैं। मनुष्यता जब भी संकट में आएगी, गांधी जी के विचार काम आएँगे।





प्रसिद्ध प्रवासी साहित्यकार और अनुवादक श्री सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक ने कहा कि नॉर्वे को गांधी विचार ने गहरे प्रभावित किया है। भारत में सबको समान अवसर मिले, सबको सुरक्षा मिले, यह जरूरी है। नॉर्वे में गांधी जी को शिक्षा में स्थान मिला है। नॉर्वेजियन दार्शनिक अर्ने नेस ने गांधी जी को लेकर महत्त्वपूर्ण किताब लिखी है।


जी डी अग्रवाल, इंदौर ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि गांधी के आदर्शों को प्रसारित करने की जरूरत है। उन्होंने प्रसिद्ध कविता मां खादी की चादर दे दे मैं गांधी बन जाऊँ सुनाई।


प्रारंभ में आयोजन की रूपरेखा एवं अतिथि परिचय राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के महासचिव डॉक्टर प्रभु चौधरी ने दिया।


सरस्वती वंदना डॉक्टर लता जोशी ने की। स्वागत भाषण कार्यकारी अध्यक्ष सुवर्णा जाधव, मुंबई ने दिया


कार्यक्रम में डॉ वीरेंद्र मिश्रा, इंदौर, डॉक्टर शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे, डॉ रश्मि चौबे, डॉ भरत शेणकर, डॉक्टर मुक्ता कौशिक, डॉक्टर रोहिणी डाबरे, डॉक्टर लता जोशी, डॉक्टर तूलिका सेठ, डॉक्टर शिवा लोहारिया, डॉक्टर समीर सैयद आदि सहित अनेक प्रबुद्ध जन उपस्थित थे।


संचालन अनुराधा अच्छवान ने किया। अंत में आभार श्री अनिल ओझा ने प्रकट किया।


20201001

महात्मा गांधी : विचार और नवाचार - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा : वैचारिक प्रवाह से जोड़ती सार्थक पुस्तक | Mahatma Gandhi : Vichar aur Navachar - Prof. Shailendra Kumar Sharma

महात्मा गांधी : विचार और नवाचार - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा : पुस्तक समीक्षा 

 - अरविंद श्रीधर

भारत के दो चरित्र ऐसे हैं जिनके बारे में  सबसे अधिक लिखा - पढ़ा गया और जिनकी चर्चा उनके स्वयं के काल से लगाकर अब तक निरंतर जारी है। समाज एवं संपूर्ण मानव सृष्टि के लिए उनका अवदान है ही ऐसा कि भले ही आप उनसे असहमत हों, आप उन्हें उपेक्षित नहीं कर सकते। एक है भगवान श्रीकृष्ण और दूसरे हैं महात्मा गांधी.  एक अवतारी पुरुष तो दूसरे ने अपने व्यक्तित्व और कृतित्व की ऐसी छाप छोड़ी  कि अपने जीवन में ही  किवदंती बन गए। यह कोई छोटी मोटी बात नहीं है कि दुनिया के  150 से अधिक देशों में  महात्मा गांधी के नाम पर  कुछ ना कुछ स्मारक हैं  और इतने ही देशों ने  उनके ऊपर  350 से अधिक  डाक टिकट जारी किए हैं।

  

इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि श्रीमद्भगवद्गीता  महात्मा गांधी को अत्यंत प्रिय रही है। निष्काम कर्म  और अनासक्ति योग का पाठ पढ़ाने वाली गीता किसी भी कर्मयोगी के लिए  प्रेरणा पुंज हो सकती है। उनके विशिष्ट अवदान और चिंतन पर केंद्रित पुस्तक महात्मा गांधी : विचार और नवाचार हाल ही में प्रकाशित हुई है, जिसका सम्पादन लेखक और आलोचक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने किया है।




महात्मा गांधी के 150 वें जन्म वर्ष पर विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन ने वर्ष पर्यंत कार्यक्रम शृंखला आयोजित कर उल्लेखनीय कार्य किया है। दरअसल युवा पीढ़ी को महात्मा गांधी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व  से परिचित कराना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है और विश्वविद्यालय इसके लिए सबसे उपयुक्त स्थल हैं। व्याख्यान  और संगोष्ठियों के आयोजन से सीमित लोगों तक विचार पहुंच पाते हैं, जबकि सरल - सुबोध ग्रंथ निरंतर विचार प्रवाह का काम करते रहते हैं।


कार्यक्रम शृंखला के अंतर्गत विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा के संपादन में महात्मा गांधी : विचार और नवाचार ग्रंथ का प्रकाशन  स्वागत योग्य  है।  इसके लिए मैं परम विचारवान, विद्यानुरागी,  संस्कृति एवं हिंदी साहित्य  के अधिकारी प्रवक्ता प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा को विशेष साधुवाद देना चाहूंगा क्योंकि यह उन्हीं की पहल का सुफल है।


ग्रंथ में सम्मिलित आलेख महात्मा गांधी के जीवन, कार्यों और चिन्तन के विविध पक्षों को उभारने में पूर्णत: सक्षम हैं। पूरी संभावना है कि ग्रंथ का पारायण करने के बाद, युवा महात्मा गांधी के बारे में विस्तार से जानने के प्रति उत्सुक हों,  क्योंकि ग्रंथ उत्सुकता जगाने में भी पूर्णत: सक्षम है।


कुलपति प्रोफ़ेसर बालकृष्ण शर्मा ने महात्मा गांधी के प्रिय भजन 'वैष्णव जन तो तैने कहिए' की  व्याख्या के माध्यम से पूरे गांधी दर्शन को प्रकाशित कर दिया है।


डाॅ  मुक्ता का आलेख गांधीजी के मुख्य सरोकार, जीवन सिंह ठाकुर का आलेख गांधी दर्शन - भारतीय आत्मा का दर्शन, डॉ राकेश पांडेय का आलेख प्रवासी साहित्य, समाज और गांधी, डॉ मंजू तिवारी का आलेख लोकगीतों का अकेला लोकोत्तर नायक गांधी, डॉ पूरन सहगल का लेख अनंत लोक के महानायक महात्मा गांधी, डॉ विनय कुमार पाठक का आलेख छत्तीसगढ़ी लोक और शिष्ट साहित्य में गांधी, डॉ बहादुर सिंह परमार का आलेख बुंदेली लोक साहित्य और महात्मा गांधी, प्रोफेसर सत्यकेतु सांकृत का आलेख महात्मा गांधी और छात्र राजनीति, डॉ पुष्पेंद्र दुबे का आलेख खादी की कहानी और श्रीमती अर्चना त्रिवेदी का आलेख  महात्मा गांधी और सत्याग्रह विचार भी गांधी  के जिज्ञासुओं के लिए उपयोगी है।


गांधी चिंतन की जमीन और साहित्य पर गांधी के प्रभाव पर प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा का आलेख उपलब्धि बना है। गांधी चिंतन के साथ साहित्य और संस्कृति के रिश्तों पर केंद्रित जो सामग्री ग्रंथ में समाहित की गई है, वह तो गागर में सागर की तरह है। इतने संक्षेप में इतनी उपयोगी और प्रामाणिक जानकारी निश्चित रूप से विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए उपयोगी साबित होगी।


यह निर्विवाद सत्य है कि हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए गैर हिंदी भाषी महापुरुषों का बहुत बड़ा योगदान रहा है और महात्मा गांधी उन में अग्रगण्य है. इस पर केन्द्रित डॉ दिग्विजय शर्मा, डॉ जगदीश चंद्र शर्मा, डॉ जवाहर कर्नावट, डाॅ प्रतिष्ठा शर्मा के आलेख  भी उपयोगी बन पड़े है। डॉ श्वेता पंड्या ने अपने आलेख में सियारामशरण गुप्त के काव्य पर गांधीजी के प्रभाव का विवेचन किया है।


ऋषिराज उपाध्याय ने एक सफर साधारण से महात्मा के माध्यम से डाक टिकटों और मुद्राओं में गांधी के अंकन पर प्रकाश डाला है। शिशिर उपाध्याय की रचना गांधी बाबा पाछा आओ, रफीक नागौरी की रचना बापू एवं डॉ देवेंद्र जोशी की रचना याद आएंगे गांधी बीसवीं सदी के महानायक का मार्मिकता से स्मरण कराती हैं।

महात्मा गांधी : विचार और नवाचार पुस्तक का प्रकाशन और भी उपयोगी तथा सार्थक साबित होगा, यदि यह अधिक से अधिक लोगों तक  पहुंचे, और इस पर केंद्रित चर्चाएं भी आयोजित की जाएं। मुझे उम्मीद है कि विक्रम विश्वविद्यालय इस दिशा में अवश्य पहल करेगा।


पुस्तक का नाम : गांधी विचार और नवाचार 

संपादक :  प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा 

प्रकाशक : विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन

प्रकाशन वर्ष : 2020   


अरविन्द श्रीधर 

arvindshridhar@gmail.com

20200903

महात्मा गांधी : विचार और नवाचार - पुस्तक समीक्षा

महात्मा गांधी : विचार और नवाचार - एक दस्तावेजी ग्रन्थ 

समीक्षक - डाॅ देवेन्द्र जोशी

वक्त गुजर जाता है बातें याद रह जाती हैं। साहित्य को समाज का दर्पण इसलिए कहा जाता है कि समय गुजरने के बाद भी वह तत्कालीन समय की स्मृतियों की सुरभि से समाज को महकाता रहता है। अपनी रचनात्मक सुरभि से समाज को इसी तरह का महकाने का एक उल्लेखनीय कार्य विक्रम विश्वविद्यालय ने  हाल ही में कर दिखाया है। वह है प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा के संपादन में महात्मा गांधी : विचार और नवाचार ग्रंथ का प्रकाशन। 




यह पुस्तक महात्मा गांधी के 150 वें  जयंती वर्ष में गांधी जी पर एकाग्र विचारों के साथ विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित विविध नवाचार और गतिविधियों पर केंद्रित है, जो विगत दिनों प्रकाशित हो कर आई है। गांधी डेढ़ शती वर्ष की उपलब्धियों को बहुत सुंदर रूप से इसमें संजोया गया है। इसे एक दस्तावेजी ग्रंथ की संज्ञा देना अधिक उपयुक्त होगा। इस ग्रंथ  में गांधी जी के विचारों को शोध आलेखों और राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों के निष्कर्षों के साथ जिस तरह सुसंपादित किया गया है, वह अपने आप में गांधी पर केन्द्रित 21 वीं सदी का एक ऐसा शब्द गुच्छ बन पडा है, जो रचनात्मक सुरभि से समाज को दिग्दिगंत तक महकाता रहेगा। इसके लिए समूचे आयोजन के परिकल्पनाकार कुलपति  प्रो. बालकृष्ण शर्मा और उस संकल्पना को साकार करने वाले ग्रंथ संपादक, कुलानुशासक एवं गांधी अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा बधाई और साधुवाद के पात्र हैं।  प्रो शर्मा ने बडे मनोयोग से गांधी डेढ शती मनाने की न सिर्फ बृहद् रूपरेखा तैयार की, अपितु  उसे कारगर ढंग से क्रियान्वित भी किया। यही नहीं,  पूरे वर्ष तक चले इस रचनात्मक महायज्ञ का इस महाग्रंथ रूपी पूर्णाहुति के साथ उतना ही गरिमामय  समाहार भी किया।    

इस ग्रंथ का सबसे समृद्ध पक्ष प्रो बालकृष्ण शर्मा, डाॅ  मुक्ता, डाॅ राकेश पाण्डेय और प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा के महत्त्वपूर्ण आलेख हैं। ये आलेख समूची आयोजना और इस ग्रंथ की पीठिका की तरह हैं, जिस पर यह भव्य इमारत खडी की गई है। 

गांधी विचार के विविध पक्षों को लेकर जीवन सिंह ठाकुर, डाॅ मंजु तिवारी, डाॅ  पूरन सहगल, डाॅ  विनय कुमार पाठक, डाॅ पुष्पेन्द्र दुबे, डाॅ जगदीश चन्द्र शर्मा, डाॅ  जवाहर कर्नावट, डाॅ  प्रतिष्ठा शर्मा, डाॅ दिग्विजय शर्मा आदि ने अपने आलेखों से इस दस्तावेजी पुस्तक को यादगार बनाने में कोई कसर बाकी नहीं  छोड़ी है। 

उल्लेखनीय शोधपरक आलेखों के रूप में अर्चना त्रिवेदी एवं डाॅ  पुष्पेन्द्र  दुबे, ॠषिराज उपाध्याय, डाॅ  श्वेता पण्ड्या आदि के आलेखों की चर्चा की जा सकती है। विक्रम विश्वविद्यालय की गांधी 150 वीं जन्म-शती समारोह समिति के तत्त्वावधान में हिन्दी अध्ययनशाला, गांधी अध्ययन केंद्र सहित विभिन्न विभागों में आयोजित  राष्ट्रीय संगोष्ठियों, व्याख्यानों, परिसंवादों की खासियत यह रही कि इन्हें विश्वविद्यालय के अकादमिक परिसर तक सीमित न रखते हुए नगर और देश - प्रदेश के चिन्तनशील सर्जक, कवि और साहित्यकारों से भी जोडा गया। इसकी बानगी गांधी जीवन दर्शन पर बहुभाषी कवि गोष्ठी और भजनांजलि के रूप में देखने को मिली। इस सरस सुमधुर आयोजन में  सुनाई गई रचनाओं में से डाॅ देवेन्द्र जोशी की याद आएंगे गांधी, रफीक नागौरी की बापू और शिशिर उपाध्याय की गांधी बाबा पाछा आओ रचनाएँ इस ग्रंथ में शामिल की गई  हैं। 

इसी क्रम में वर्ष भर चली गांधी चिंतन से जुड़े  नवाचारों और रचनात्मक गतिविधियों के वृत्तांत को बहुरंगी चित्रों के साथ पुस्तक में सहेजा गया है। इस समूची आयोजना के बारे में जानकारी देते हुए संपादक प्रो शैलेन्द्र कुमार  शर्मा ने अपने संपादकीय में लिखा है कि समूचे आयोजन में  कला, साहित्य एवं भाषाओं, समाज विज्ञानों एवं विविध भौतिक एवं जीव विज्ञानों के शिक्षकों, शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों की सहभागिता सुनिश्चित की गई। इस दिशा में राष्ट्रीय  सेवा योजना और राष्ट्रीय कैडेट कोर के युवाओं की गतिशील हिस्सेदारी ने भी उल्लेखनीय योगदान  दिया। पूरे वर्ष के दौरान गांधी चिन्तन के विविध पहलुओं से जुडी संगोष्ठियों, व्याख्यानों कार्यशालाओं, साहित्य  एवं  संस्कृति कर्म, सामुदायिक एवं युवा गतिविधियों और बहुविध नवाचारों की अविराम शृंखला जारी रही। ..... दुनिया के किसी विश्वविद्यालय या संस्था ने इतनी बडी संख्या में लोगों की सक्रिय भागीदारी  के साथ विविधायामी और नवाचारी गतिविधियां  संयोजित नहीं की हैं, जितनी विक्रम विश्वविद्यालय में  संभव हुई हैं। ..... गांधी जी के 150 वें जयंती वर्ष में विक्रम विश्वविद्यालय के गांधी अध्ययन  केन्द्र  के ग्रंथालय और वाचनालय को आम जनता के लिए के लिए खोल दिया गया है। जहां संपूर्ण गांधी वाङ्मय, संदर्भ सामग्री और पत्र - पत्रिकाएँ बडी संख्या में उपलब्ध हैं। मध्यप्रदेश शासन, उच्च शिक्षा विभाग के सौजन्य से राजनीति विज्ञान अध्ययनशाला में गांधी  चेयर की स्थापना की गई  है। .... विभिन्न भाषाओं के कवियों की गांधी जी के प्रति भावांजलियों और महात्मा गांधी के युगांतरकारी कार्यों और प्रभाव को प्रत्यक्ष करते दुर्लभ फोटोग्राफ्स भी इस ग्रंथ  में  संजोये गये हैं।

इस बहुरंगी पुस्तक का चित्ताकर्षक आवरण अक्षय आमेरिया ने तैयार किया है तथा प्रकाशन यूजीसी की 12 वीं पंचवर्षीय योजना के अनुदान से किया गया है। सरकारी अनुदान से हुए अनेक कार्यों को देखा गया है, लेकिन जितने मनोयोग से विक्रम विश्वविद्यालय ने इस पुस्तकीय दायित्व को अंजाम  दिया है, वह अपने आप में अद्वितीय है। कुल मिलाकर  गांधी डेढ सौ वे जयंती वर्ष में विक्रम विश्वविद्यालय ने गांधी स्मरण के जो कीर्तिमान कायम किए हैं, वे देश दुनिया के अन्य विश्वविद्यालयों और संस्थानों के लिए किसी मील के पत्थर से कम नहीं है। 


डाॅ देवेन्द्र  जोशी 

85, महेशनगर 

अंकपात मार्ग 

उज्जैन 

(मध्यप्रदेश) - 456006


पुस्तक का नाम : गांधी विचार और नवाचार 

संपादक :  प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा 

प्रकाशक : विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन

प्रकाशन वर्ष : 2020

20200807

महात्मा गांधी : विचार और नवाचार पुस्तक लोकार्पण

महात्मा गांधी : विचार और नवाचार पुस्तक का लोकार्पण
गांधी जी के विचारों और नवाचारों पर केंद्रित है प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा द्वारा संपादित पुस्तक

विक्रम विश्वविद्यालय के शलाका दीर्घा सभागार में आयोजित विशेष बैठक में मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा के सम्पादन में हाल ही में प्रकाशित पुस्तक महात्मा गांधी : विचार और नवाचार का विमोचन किया। विक्रम विश्वविद्यालय में महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती पर कुलपति प्रो. बालकृष्ण शर्मा के मार्गदर्शन में लगभग सौ दिवस की विस्तृत और समावेशी कार्ययोजना तैयार की गई थी। इस पुस्तक में गांधी जी के विचारों पर एकाग्र आलेखों के साथ विश्वविद्यालय द्वारा व्यापक सहभागिता के साथ किए गए नवाचारों का समावेश किया गया है। पुस्तक के विमोचन अवसर पर कुलपति प्रो बालकृष्ण शर्मा, कुलसचिव डॉ डी के बग्गा एवं पुस्तक के संपादक प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा उपस्थित थे।

महात्मा गांधी : विचार और नवाचार पुस्तक का लोकार्पण

महात्मा गांधी : विचार और नवाचार | सम्पादक प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा
महात्मा गांधी : विचार और नवाचार पुस्तक | सम्पादक प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा| Mahatma Gandhi : Vichar aur Navachar |A Book on Gandhi Thought and Innovation 
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि हम सब संकल्प लें कि विश्वविद्यालय को ऊंचाइयों तक ले जाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि विक्रम विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय में परिवर्तित करने का प्रयास किया जायेगा। चुनौती में ही अवसर मिलते हैं। आने वाले समय में नई संकल्पनाओं के साथ विश्वविद्यालय में नये पाठ्यक्रमों को शामिल कर शिक्षा के माध्यम से युवा पीढ़ी को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जाने का प्रयास किया जायेगा। वर्तमान व्यवस्थाओं के साथ केन्द्र सरकार द्वारा लागू की गई नई शिक्षा नीति से और नये आयाम जुड़ेंगे।


महात्मा गांधी : विचार और नवाचार पुस्तक | सम्पादक प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा |Mahatma Gandhi : Vichar aur Navachar |A Book on Gandhi Thought and Innovation 
 
कुलपति प्रो बालकृष्ण शर्मा ने कहा कि महात्मा गांधी के 150 वें जयंती वर्ष पर पूरे वर्ष में लगभग अस्सी दिवसों में गांधी जी के कृतित्व, विचार, संदेश और सामुदायिक प्रयत्नों पर केंद्रित विविधायामी गतिविधियों और नवाचारों का संयोजन किया गया, जो देश - दुनिया की किसी भी संस्था के माध्यम से किए गए कार्यक्रमों के मध्य एक विलक्षण उपलब्धि बना है। 



पुस्तक के सम्पादक हिन्दी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि ‘महात्मा गांधी : विचार और नवाचार’ पुस्तक में गांधी के जीवन, कार्यों और विचारों पर केंद्रित शोधपूर्ण आलेखों, दुर्लभ चित्रों के साथ कला, साहित्य, भाषाओं, समाज विज्ञानों, विविध भौतिक एवं जीवन विज्ञानों के शिक्षकों, शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों के सहयोग से किए गए नवाचारों को स्थान मिला है। 


प्रारम्भ में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव का विक्रम विश्वविद्यालय  द्वारा आत्मीय स्वागत किया। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बालकृष्ण शर्मा एवं कुलसचिव डॉ. डी के बग्गा ने शाल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर उन्हें सम्मानित किया।







कार्यक्रम में पूर्व कुलपति प्रो. रामराजेश मिश्र, प्रो. पी के वर्मा, डॉ. आर के अहिरवार, डॉ. सत्येंद्र किशोर मिश्रा आदि ने भी विचार व्यक्त किए।















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