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20200812

राष्ट्रभक्ति देश के कण कण और जन जन से प्रेम है - प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा

देश के कण-कण और जन-जन से प्रेम राष्ट्रभक्ति है - प्रो. शर्मा

राष्ट्रीय वेब कवि गोष्ठी में गूंजे आजादी के तराने

देश की प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा राष्ट्रीय वेब काव्य गोष्ठी - आजादी के तराने का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा थे। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ रचनाकार श्रीमती सुवर्णा जाधव, मुम्बई एवं श्री शंभू पँवार, झुंझुनूं, राजस्थान थे। अध्यक्षता संस्था के महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने की। संयोजन श्रीमती दीपिका सुतोदिया, गुवाहाटी, असम ने किया। वेब कवि गोष्ठी में प्रस्तुत गीत और कविताओं से ओज के स्वर मुखरित हुए।



कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लेखक और आलोचक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि देश के कण-कण और जन-जन से प्रेम राष्ट्रभक्ति का प्रतीक है। भारतीय चिंतन में स्थानीयता, राष्ट्रीयता और वैश्विकता के आयाम परस्पर पूरक भूमिका निभाते आ रहे हैं। राष्ट्र की विराट संकल्पना में भूमि, जन और उनकी संस्कृति - सब कुछ समाहित हैं। स्थानीयता के आग्रहों के बावजूद भारतीय जनमानस में आसेतुहिमालय जैसे विस्तृत भूभाग के प्रति गहरा प्रेम सहस्राब्दियों से रहा है। भारत की अनेक भाषाओं और बोलियों के कवियों ने राष्ट्रीयता के उन्मेष में अविस्मरणीय योगदान दिया है। जयशंकर प्रसाद ने राष्ट्रीय आंदोलन के दौर में स्वतंत्रता के स्वयंप्रभा और समुज्ज्वला रूप की महिमा गाई है, जो आज और अधिक प्रासंगिक हो गई है। राष्ट्रीयता के लिए आवश्यक है कि ऊपरी तौर पर दिखाई देने वाले अंतर के बावजूद आंतरिक समभावना और संगठन बना रहे।




विशिष्ट अतिथि श्री शंभू पँवार, झुंझुनूं ने संबोधित करते हुए कहा कि साहित्यकार राष्ट्र के प्रति प्रेम, बन्धुत्व और समर्पण का भाव जाग्रत करें। देश को मजबूती देने के लिए सभी वर्गों के सामूहिक प्रयास जरूरी हैं। 




कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. प्रभु चौधरी ने कहा कि वर्तमान समय में राष्ट्र के गौरव प्रतीकों के प्रति गहरा प्रेम जगाने की जरूरत है। काव्य गोष्ठी के माध्यम से लघु भारत साकार हो गया है। 




विशिष्ट अतिथि श्रीमती सुवर्णा जाधव, मुंबई ने रणबांकुरे शीर्षक कविता सुनाई। उसकी पंक्तियाँ थीं, 

आजादी मिली है फिर भी भूखमरी, 

बेकारी से आजाद करना है चमन। 

तभी सभी खुश रहेंगे और देश में रहेगा अमन।

भारत हमारा है महान, उसकी हम रखेंगे शान।


डॉ. प्रवीण बाला, पटियाला ,पंजाब ने कविता के माध्यम से भारत की महिमा का गान किया। उनकी पंक्तियां थीं, 

मेरा वतन है मेरी आन, मेरा वतन है मेरी शान।

इसके मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, 

राम, अल्लाह, वाहेगुरु पुकारे। 

मिल कर करते सभी प्रणाम, 

जग में ऊँचा इसका नाम। मेरा वतन है मेरी आन। 

धर्म, संस्कृति, शास्त्र का दाता, 

देवभूमि जगत विख्याता। 

योग, वेद का उद्गम स्थान, 

कहते तभी इसे महान। मेरा वतन है मेरी आन। 

यहां सभी हैं आदर पाते, 

पशु, पक्षी, या जलचर भ्राते। 

नदी भी यहाँ है माँ के समान, 

पेड़ ,पर्वत भी देव समान। 

मेरा वतन है मेरी आन, मेरा वतन है मेरी शान।





वरिष्ठ कवि श्री सुंदरलाल जोशी 'सूरज', नागदा ने अपनी रचना के माध्यम से पाकिस्तान को फटकार लगाई, उछल रहा है चीनी दम पर, काम नहीं वह आएगा। गरजेगी भारत की तोपें, नक्शे से मिट जाएगा। ऐ मूरख ऐसे तू कब तक, अपने सैनिक खोएगा। अभी समय है सम्हल जा वरना, खूं के आँसू रोएगा।

कवयित्री शालिनी शर्मा, बरेली ने अपनी रचना से कवि सम्मेलन में जोश जगाया। उनकी पंक्तियां थीं, 

जश्न ए आजादी जुनूँ से मनाइए, 

जरूरत पड़े देश को तो खूं बहाइए। 

एक ही स्वर  बस सुनाई दे अखिल ब्रह्मांड में, 

इस जोश से मां भारती का गान गाइए।





रागिनी शर्मा, इंदौर ने अपनी रचना के माध्यम से देश के लिए सर्वस्व न्योछावर करने का आह्वान किया। उनके गीत की पंक्तियाँ थीं, 

दिल मेरा, धड़कन मेरी, मेरी आन है। 

ये वतन तुझ पर जान मेरी कुर्बान है! 

कलम सदके में सदा, झुकती रहे। 

शब्द - शब्द में तेरी, इबादत रहे। 

भाव  मन के हों सदा शहादत भरे। 

अक्षर- अक्षर दिल में तेरा सम्मान है। 

वतन तुझ पर जान मेरी कुर्बान है...!


डॉ संगीता पाल, कच्छ, गुजरात ने देशभक्ति गीत सुनाया। गीत की पंक्तियां थीं, 

भारत की आन बान शान स्वाभिमान की। 

जय हो जवान की जय हो हिंदुस्तान की। 

सारे जग में लहराएगा शान तिरंगा प्यारा। 

धरा गगन पर गूंज रहा वंदे मातरम नारा। 

राष्ट्रगीत की जय बोलो जय बोलो राष्ट्रगान  की। 

जय हो जवान की जय हो हिंदुस्तान की।


सुश्री कृष्णा श्रीवास्तव, मुंबई ने तिरंगे की  महिमा  को अपने गीत में पिरोया, वतन के शान में जब, गगन लहराता तिरंगा है। झुकाते शीश फरिश्ते भी वफा गाता तिरंगा है। अंग्रेजों के जुल्मों का यह धरा देती गवाही है। झूल गये लाल फांसी पर, वहीं कहता तिरंगा है।


हेमलता शर्मा इंदौर ने अपनी कविता के माध्यम से जवानों के समर्पण को याद किया। उन्होंने कहा देश के जवान है तो वतन है, देश के जवानों को नमन है।

संचालन रागिनी शर्मा, इंदौर ने किया। आभार प्रदर्शन दीपिका सुतोदिया, गुवाहाटी ने किया।







20200810

विश्व के नवनिर्माण में प्रवासी भारतीयों की भूमिका अहम है : प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अनेक देशों में बसे साढ़े तीन करोड़ भारतवंशियों की जिजीविषा और कर्मठता से संवर रही है दुनिया

इंडो-स्कैंडिक आर्गनाइजेशन के आयोजन में श्री शुक्ल की कृति 'लॉकडाउन' और श्री पांडे की कृति 'यादों के इंद्रधनुष' का लोकार्पण


इंडो - स्कैंडिक ऑर्गेनाइजेशन द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी में नार्वे के वरिष्ठ लेखक एवं अनुवादक श्री सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' के काव्यसंग्रह 'लॉकडाउन' और स्वीडन के सुरेश पांडे की आत्मकथा 'यादों के इंद्रधनुष' का लोकार्पण विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने किया। उन्होंने पुस्तकों पर समीक्षात्मक व्याख्यान देते हुए कहा कि विश्व के नवनिर्माण में दुनिया के दो दर्जन से अधिक देशों में बसे साढ़े तीन करोड़ भारतवंशी अविस्मरणीय भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने तमाम प्रकार के कष्टों और संघर्षों के बावजूद अपनी जिजीविषा और कर्मठता को बरकरार रखा और आज वे अनेक माध्यमों से दुनिया को सँवार रहे हैं। प्रो शर्मा ने श्री शुक्ल के काव्य संग्रह लॉकडाउन को कोरोना संकटकाल के सरोकारों को लेकर लिखी गई प्रथम काव्यकृति कहा। उन्होंने  कहा कि विदेशों में बसे प्रवासियों के साहित्य में दोनों पुस्तकों का महत्त्वपूर्ण स्थान रहेगा।





लेखकों को अपनी शुभकामनाओं और उपस्थिति से उत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव श्री राजेन्द्र कुमार तिवारी और भारतीय रेलवे के महानिदेशक डॉ आनन्द खाती ने गरिमा प्रदान की। 



वरिष्ठ आई ए एस श्री राजेन्द्र कुमार तिवारी ने उत्तर प्रदेश में कोविड-19 से उपजे कोरोना वायरस के संकट से निपटने और प्रवासी श्रमिकों, गाँवों तथा इलाज एवं जरूरतमंदों को निशुल्क भोजन वितरण के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी दी।


लॉकडाउन कृति पर वक्तव्य देने वालों में प्रो. उमापति दीक्षित केंद्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा, केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय में उपनिदेशक डॉ  दीपक पांडेय, नई दिल्ली, प्रो निर्मला एस मौर्य, चेन्नई, डॉ पूनम सिंह, नई दिल्ली, डॉ ऋचा पाण्डेय, लखनऊ, डॉ मुकेश मिश्र, शिवम तिवारी, डॉ अंशुमान मिश्र आदि प्रमुख थे।



इंडो-स्कैंडिक आर्गनाइजेशन के अध्यक्ष और लॉकडाउन के रचनाकार सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' और 'यादों के इंद्रधनुष' के लेखक सुरेश पांडे ने अपने लेखकीय अनुभव साझा किये। 




वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने स्कैंडिनेवियाई देशों नार्वे, स्वीडेन, डेनमार्क, आइसलैंड और फिनलैण्ड के प्रसिद्ध कवियों की कविताओं का अनुवाद प्रस्तुत किया।



कार्यक्रम की अध्यक्षता स्टॉकहोम, स्वीडन के प्रो आशुतोष तिवारी ने करते हुए कोबिड-19  कोरोना संकट पर चर्चा की और भारत में ऑनलाइन निशुल्क चिकित्सा के अवसर का उल्लेख किया, जो एम हॉस्पिटल के नाम से सेवाएँ दे रहा है। हालैंड में गोपियो संस्था के रेयान तिवारी और डेनमार्क के डॉ योगेन्द्र मिश्र ने भी अपने विचार व्यक्त किये।












कार्यक्रम में चार महाद्वीप के प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका और आस्ट्रेलिया शामिल हैं। 

कार्यक्रम का शुभारम्भ भारत और सभी स्कैंडिनेवियाई देशों: नार्वे, स्वीडेन, डेनमार्क, आइसलैंड और फिनलैण्ड के राष्ट्रगान से हुआ।






20200807

महात्मा गांधी : विचार और नवाचार पुस्तक लोकार्पण

महात्मा गांधी : विचार और नवाचार पुस्तक का लोकार्पण
गांधी जी के विचारों और नवाचारों पर केंद्रित है प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा द्वारा संपादित पुस्तक

विक्रम विश्वविद्यालय के शलाका दीर्घा सभागार में आयोजित विशेष बैठक में मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा के सम्पादन में हाल ही में प्रकाशित पुस्तक महात्मा गांधी : विचार और नवाचार का विमोचन किया। विक्रम विश्वविद्यालय में महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती पर कुलपति प्रो. बालकृष्ण शर्मा के मार्गदर्शन में लगभग सौ दिवस की विस्तृत और समावेशी कार्ययोजना तैयार की गई थी। इस पुस्तक में गांधी जी के विचारों पर एकाग्र आलेखों के साथ विश्वविद्यालय द्वारा व्यापक सहभागिता के साथ किए गए नवाचारों का समावेश किया गया है। पुस्तक के विमोचन अवसर पर कुलपति प्रो बालकृष्ण शर्मा, कुलसचिव डॉ डी के बग्गा एवं पुस्तक के संपादक प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा उपस्थित थे।

महात्मा गांधी : विचार और नवाचार पुस्तक का लोकार्पण

महात्मा गांधी : विचार और नवाचार | सम्पादक प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा
महात्मा गांधी : विचार और नवाचार पुस्तक | सम्पादक प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा| Mahatma Gandhi : Vichar aur Navachar |A Book on Gandhi Thought and Innovation 
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि हम सब संकल्प लें कि विश्वविद्यालय को ऊंचाइयों तक ले जाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि विक्रम विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय में परिवर्तित करने का प्रयास किया जायेगा। चुनौती में ही अवसर मिलते हैं। आने वाले समय में नई संकल्पनाओं के साथ विश्वविद्यालय में नये पाठ्यक्रमों को शामिल कर शिक्षा के माध्यम से युवा पीढ़ी को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जाने का प्रयास किया जायेगा। वर्तमान व्यवस्थाओं के साथ केन्द्र सरकार द्वारा लागू की गई नई शिक्षा नीति से और नये आयाम जुड़ेंगे।


महात्मा गांधी : विचार और नवाचार पुस्तक | सम्पादक प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा |Mahatma Gandhi : Vichar aur Navachar |A Book on Gandhi Thought and Innovation 
 
कुलपति प्रो बालकृष्ण शर्मा ने कहा कि महात्मा गांधी के 150 वें जयंती वर्ष पर पूरे वर्ष में लगभग अस्सी दिवसों में गांधी जी के कृतित्व, विचार, संदेश और सामुदायिक प्रयत्नों पर केंद्रित विविधायामी गतिविधियों और नवाचारों का संयोजन किया गया, जो देश - दुनिया की किसी भी संस्था के माध्यम से किए गए कार्यक्रमों के मध्य एक विलक्षण उपलब्धि बना है। 



पुस्तक के सम्पादक हिन्दी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि ‘महात्मा गांधी : विचार और नवाचार’ पुस्तक में गांधी के जीवन, कार्यों और विचारों पर केंद्रित शोधपूर्ण आलेखों, दुर्लभ चित्रों के साथ कला, साहित्य, भाषाओं, समाज विज्ञानों, विविध भौतिक एवं जीवन विज्ञानों के शिक्षकों, शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों के सहयोग से किए गए नवाचारों को स्थान मिला है। 


प्रारम्भ में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव का विक्रम विश्वविद्यालय  द्वारा आत्मीय स्वागत किया। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बालकृष्ण शर्मा एवं कुलसचिव डॉ. डी के बग्गा ने शाल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर उन्हें सम्मानित किया।







कार्यक्रम में पूर्व कुलपति प्रो. रामराजेश मिश्र, प्रो. पी के वर्मा, डॉ. आर के अहिरवार, डॉ. सत्येंद्र किशोर मिश्रा आदि ने भी विचार व्यक्त किए।















20200802

देवनागरी लिपि : विश्व सभ्यता को भारत की अनुपम देन : प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा

देवनागरी लिपि विश्व सभ्यता को भारत की अनुपम देन

देवनागरी लिपि तब से अब तक पुस्तक का  लोकार्पण एवं राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी संपन्न

भारत की प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी विश्व लिपि देवनागरी : तब से अब तक पर एकाग्र थी। आयोजन के मुख्य अतिथि नागरी लिपि परिषद नई दिल्ली के महामंत्री डॉ हरिसिंह पाल एवं मुख्य वक्ता समालोचक एवं विक्रम विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार श्री हरेराम वाजपेयी ने की। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री संस्था के अध्यक्ष श्री  ब्रजकिशोर शर्मा, उज्जैन  और  साहित्यकार श्रीमती सुवर्णा जाधव, मुंबई  थीं। इस अवसर पर संस्था के महासचिव डॉ प्रभु चौधरी की नवीन पुस्तक देवनागरी लिपि : तब से अब तक का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया।




मुख्य अतिथि डॉ हरिसिंह पाल, नई दिल्ली ने कहा कि भारतीय संविधान में देवनागरी लिपि को राजभाषा हिंदी की लिपि के रूप में स्वीकृति मिली हुई है। यह लिपि सदियों से भारत को एकजुट किए हुए है। शून्य का आविष्कार नागरी लिपि के इतिहास के साथ जुड़ा हुआ है। नागरी लिपि परिषद ने रूसी, इतालवी, इंडोनेशियाई, फ्रेंच आदि भाषाओं को देवनागरी लिपि के माध्यम से सीखने के लिए महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का प्रकाशन किया है। श्री प्रभु चौधरी की पुस्तक में देवनागरी लिपि के विषय में उपयोगी जानकारी संजोयी गई है।



संगोष्ठी के मुख्य वक्ता के रूप में समालोचक एवं साहित्यकार प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने अपने व्याख्यान में कहा कि सिंधु घाटी की लिपि से लेकर ब्राह्मी लिपि और देवनागरी लिपि विश्व सभ्यता को भारत की महत्त्वपूर्ण देन हैं। वर्तमान में दुनिया में तीन हजार से अधिक भाषाएं बोली जाती हैं, जबकि लिपियां चार सौ हैं। देवनागरी लिपि इस देश की अनेक भाषा और बोलियों की स्वाभाविक लिपि बनी हुई है। दुनिया में प्रचलित अन्य लिपियों से देवनागरी की तुलना करने पर स्पष्ट हो जाता है कि यह लिपि सबसे विलक्षण ही नहीं, पूर्णता के निकट है। लिपि के आविष्कारकों की आकांक्षा रही है कि किसी भी भाषा की विभिन्न ध्वनियों के साथ अक्षरों का सुमेल हो, उसमें कोई त्रुटि न हो इस दृष्टि से देवनागरी लिपि अधिक वैज्ञानिक और युक्तिसंगत है। देवनागरी में ध्वनियों के उच्चारण और लेखन के बीच एकरूपता है। आचार्य विनोबा भावे ने देवनागरी लिपि की इस शक्ति को पहचाना था और उन्होंने इसे जोड़ लिपि के रूप में देश की एकता और अखंडता को मजबूती देने का माध्यम बनाया।  



विशिष्ट अतिथि श्री ब्रजकिशोर शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि भाषा प्रकृति का महत्त्वपूर्ण वरदान है। विभिन्न ध्वनियों को व्यक्त करने के लिए मनुष्य को लिपि चिह्नों की आवश्यकता हुई। देवनागरी लिपि दुनिया की विभिन्न लिपियों से अधिक समृद्ध है। इसमें अधिकांश ध्वनियों को प्रस्तुत किया जा सकता है। श्री प्रभु चौधरी की नवीन पुस्तक में देवनागरी की कई विशेषताएं समाहित हैं।


विशिष्ट अतिथि श्रीमती सुवर्णा जाधव, मुम्बई ने कहा कि वर्तमान में देवनागरी लिपि के प्रसार के लिए व्यापक प्रयासों की जरूरत है। लोकमान्य तिलक ने देवनागरी लिपि को देश को एक सूत्र में पिरोने का माध्यम माना था। 


कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए साहित्यकार श्री हरेराम वाजपेयी ने कहा कि हमें देवनागरी लिपि के प्रयोग को लेकर गौरव का भाव होना चाहिए। 


प्रारंभ में संगोष्ठी की प्रस्तावना रखते हुए संस्था के महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने कहा कि देवनागरी लिपि को लेकर संस्था द्वारा निरंतर संगोष्ठी, कार्यशाला आदि के आयोजन किए जाएंगे।


आयोजन में श्री राकेश छोकर, नई दिल्ली एवं शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे ने भी अपने विचार व्यक्त किए। 

इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में श्री मोहनलाल वर्मा, जयपुर, डॉ शम्भू पँवार, जयपुर, डॉ. शिवा लोहारिया, जयपुर, डॉ शोभा राणे, नासिक, डॉ कविता रायजादा, आगरा, तूलिका सेठ, गाजियाबाद, जी डी अग्रवाल, इंदौर, श्री अनिल ओझा, इंदौर आदि सहित देश के विभिन्न राज्यों के साहित्यकारों, विद्वानों और प्रतिभागियों ने भाग लिया।

इस अवसर पर श्री प्रभु चौधरी को राष्ट्रीय हिंदी परिवार, इंदौर द्वारा अभिनन्दन पत्र अर्पित कर सम्मानित किया गया। सम्मान पत्र संस्था के अध्यक्ष श्री हरेराम वाजपेयी एवं सचिव श्री संतोष मोहंती  ने अर्पित किया।


संगोष्ठी की सूत्रधार राष्ट्रीय प्रवक्ता रागिनी शर्मा, इंदौर थीं। आभार प्रदर्शन साहित्यकार श्रीमती कृष्णा श्रीवास्तव, मुंबई ने किया। सरस्वती वंदना कवि श्री सुंदरलाल जोशी सूरज, नागदा ने की। स्वागत भाषण प्रदेशाध्यक्ष श्री दिनेश परमार, इंदौर ने दिया। 
























कार्यक्रम में डॉ. उर्वशी उपाध्याय, प्रयाग, डॉ. शैल चन्द्रा, रायपुर, डॉ हेमलता साहू, अम्बिकापुर, डॉ ज्योति सिंह, इंदौर, श्रीमती प्रभा बैरागी, उज्जैन, डॉ. संगीता पाल, कच्छ,  डॉ. सरिता शुक्ला, लखनऊ, प्रियंका द्विवेदी, प्रयाग, विनीता ओझा, रतलाम, पायल परदेशी, महू, जयंत जोशी, धार, अनुराधा गुर्जर, दिल्ली, राम शर्मा परिंदा, मनावर, डॉ मुक्ता कौशिक, रायपुर, डॉ संजीव कुमारी, हिसार, अनुराधा गुर्जर, दिल्ली, डॉ श्वेता पंड्या, विजय कुमार शर्मा, प्रियंका परस्ते,  कमल भूरिया, प्रवीण बाला, लता प्रसार, पटना, मधु वर्मा, श्रीमती दिव्या मेहरा, कोटा, सुश्री खुशबु सिंह, रायपुर आदि सहित देश के विभिन्न राज्यों के साहित्यकार, प्रतिभागी और शोधकर्ता उपस्थित थे।


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