पेज

20200814

राष्ट्रीयता का निर्माण परस्पर प्रेम और आत्म त्याग से सम्भव : प्रो. शर्मा

नार्वे से गूंजा 'हमारा स्वर्ग सा भारत' गीत अंतरराष्ट्रीय वेब काव्य गोष्ठी में

राष्ट्रीय चेतना का जन-जन व्यापी प्रसार संस्कृतिकर्मियों का दायित्व है – प्रो शर्मा 

स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें स्केंडनेवियन देशों के साथ भारत के कई राज्यों के कवियों, विद्वानों और संस्कृतिकर्मियों ने भाग लिया। आयोजन में स्वाधीनता आंदोलन के विभिन्न पक्षों से जुडी रचनाओं के साथ नव निर्माण के गीत भी गूँजे। नार्वे के सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' द्वारा सम्पादित बहुभाषी पत्रिका  स्पाइल-दर्पण और वैश्विका द्वारा आयोजित इस काव्य गोष्ठी में रचनाकारों ने राष्ट्र प्रेम से जुडी सरस रचनाओं का पाठ किया। 




वेब काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए  लेखक एवं समालोचक  प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि परस्पर प्रेम, बन्धुत्व  और आत्म त्याग के बिना राष्ट्रीयता का निर्माण संभव नहीं है। आजादी हमारे अमर सेनानियों का अमूल्य उपहार है। बलिदानियों को याद करते हुए देशवासी आजादी के महत्त्व को समझें। राष्ट्रीय चेतना का जन-जन व्यापी प्रसार संस्कृतिकर्मियों का दायित्व है। नॉर्वे से प्रकाशित स्पाइल दर्पण और वैश्विका पत्रिका इस दिशा में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।



प्रवासी साहित्यकार श्री सुरेश चंद्र शुक्ल, ओस्लो, नॉर्वे ने अपनी रचना 'हमारा स्वर्ग सा भारत' का पाठ किया। इस गीत की पंक्तियाँ थीं,  

"वतन से दूर रहकर भी, हमारे ह्रदय में बसता,

 हमारी संस्कृति श्रद्धा, हमारा स्वर्ग सा भारत।

 प्रेम के धागे पिरोकर, जिसे जयमाल पहनाते, 

वही मेरा सुखद मंदिर, हमारे प्राण सा भारत।"

सुरेश पांडे, स्टॉकहोम, स्वीडन ने अपनी रचना में अंचल की यादों को बुना।



प्रो निर्मला एस मौर्य, चेन्नई ने कविता में पढ़ा, 

'एक वायरस ने मचा रखी तबाही दुनिया में, 

चारों तरफ सन्नाटे का शोर है। 

कोई कानों में फुसफुसा कर कह जाता है, 

डरना मत भारतवासी। 

ये कोरोना मरेगा अपनी मौत एक दिन

और भारत फिर से बन जायेगा। 

तितली सा मनोरम।'

डॉ मंजू मिश्र ने कहा, 

है रश्क जहाँ, मेरे एहले वतन, 

शोभे हिमालय का ताज, और धानी पैरहन। 

है सूरज से बिंदिया और दरिया की करधन। 

सागर पखारे है जिसके चरण, रश्क ऐ जहाँ अहले वतन।


छविन्दर कुमार ने अपनी कविता में कहा, 'तिरंगा मेरी जान है, मिल जुल कर रहना मेरे दोस्त। यही मेरा तीरथ, यही मेरा धाम है।


संगोष्ठी में सम्मिलित कवियों में शिवमंगल सिंह मंगल, डॉ. ऋचा पाण्डेय (लखनऊ विश्वविद्यालय), डॉ रज़िया (चेन्नई), डॉ. लहरी राम मीणा (बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय), डॉ राम अवतार बैरवा, अभिषेक सहज, नई दिल्ली,  आदि मुख्य थे।









20200812

राष्ट्रभक्ति देश के कण कण और जन जन से प्रेम है - प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा

देश के कण-कण और जन-जन से प्रेम राष्ट्रभक्ति है - प्रो. शर्मा

राष्ट्रीय वेब कवि गोष्ठी में गूंजे आजादी के तराने

देश की प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा राष्ट्रीय वेब काव्य गोष्ठी - आजादी के तराने का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा थे। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ रचनाकार श्रीमती सुवर्णा जाधव, मुम्बई एवं श्री शंभू पँवार, झुंझुनूं, राजस्थान थे। अध्यक्षता संस्था के महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने की। संयोजन श्रीमती दीपिका सुतोदिया, गुवाहाटी, असम ने किया। वेब कवि गोष्ठी में प्रस्तुत गीत और कविताओं से ओज के स्वर मुखरित हुए।



कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लेखक और आलोचक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि देश के कण-कण और जन-जन से प्रेम राष्ट्रभक्ति का प्रतीक है। भारतीय चिंतन में स्थानीयता, राष्ट्रीयता और वैश्विकता के आयाम परस्पर पूरक भूमिका निभाते आ रहे हैं। राष्ट्र की विराट संकल्पना में भूमि, जन और उनकी संस्कृति - सब कुछ समाहित हैं। स्थानीयता के आग्रहों के बावजूद भारतीय जनमानस में आसेतुहिमालय जैसे विस्तृत भूभाग के प्रति गहरा प्रेम सहस्राब्दियों से रहा है। भारत की अनेक भाषाओं और बोलियों के कवियों ने राष्ट्रीयता के उन्मेष में अविस्मरणीय योगदान दिया है। जयशंकर प्रसाद ने राष्ट्रीय आंदोलन के दौर में स्वतंत्रता के स्वयंप्रभा और समुज्ज्वला रूप की महिमा गाई है, जो आज और अधिक प्रासंगिक हो गई है। राष्ट्रीयता के लिए आवश्यक है कि ऊपरी तौर पर दिखाई देने वाले अंतर के बावजूद आंतरिक समभावना और संगठन बना रहे।




विशिष्ट अतिथि श्री शंभू पँवार, झुंझुनूं ने संबोधित करते हुए कहा कि साहित्यकार राष्ट्र के प्रति प्रेम, बन्धुत्व और समर्पण का भाव जाग्रत करें। देश को मजबूती देने के लिए सभी वर्गों के सामूहिक प्रयास जरूरी हैं। 




कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. प्रभु चौधरी ने कहा कि वर्तमान समय में राष्ट्र के गौरव प्रतीकों के प्रति गहरा प्रेम जगाने की जरूरत है। काव्य गोष्ठी के माध्यम से लघु भारत साकार हो गया है। 




विशिष्ट अतिथि श्रीमती सुवर्णा जाधव, मुंबई ने रणबांकुरे शीर्षक कविता सुनाई। उसकी पंक्तियाँ थीं, 

आजादी मिली है फिर भी भूखमरी, 

बेकारी से आजाद करना है चमन। 

तभी सभी खुश रहेंगे और देश में रहेगा अमन।

भारत हमारा है महान, उसकी हम रखेंगे शान।


डॉ. प्रवीण बाला, पटियाला ,पंजाब ने कविता के माध्यम से भारत की महिमा का गान किया। उनकी पंक्तियां थीं, 

मेरा वतन है मेरी आन, मेरा वतन है मेरी शान।

इसके मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, 

राम, अल्लाह, वाहेगुरु पुकारे। 

मिल कर करते सभी प्रणाम, 

जग में ऊँचा इसका नाम। मेरा वतन है मेरी आन। 

धर्म, संस्कृति, शास्त्र का दाता, 

देवभूमि जगत विख्याता। 

योग, वेद का उद्गम स्थान, 

कहते तभी इसे महान। मेरा वतन है मेरी आन। 

यहां सभी हैं आदर पाते, 

पशु, पक्षी, या जलचर भ्राते। 

नदी भी यहाँ है माँ के समान, 

पेड़ ,पर्वत भी देव समान। 

मेरा वतन है मेरी आन, मेरा वतन है मेरी शान।





वरिष्ठ कवि श्री सुंदरलाल जोशी 'सूरज', नागदा ने अपनी रचना के माध्यम से पाकिस्तान को फटकार लगाई, उछल रहा है चीनी दम पर, काम नहीं वह आएगा। गरजेगी भारत की तोपें, नक्शे से मिट जाएगा। ऐ मूरख ऐसे तू कब तक, अपने सैनिक खोएगा। अभी समय है सम्हल जा वरना, खूं के आँसू रोएगा।

कवयित्री शालिनी शर्मा, बरेली ने अपनी रचना से कवि सम्मेलन में जोश जगाया। उनकी पंक्तियां थीं, 

जश्न ए आजादी जुनूँ से मनाइए, 

जरूरत पड़े देश को तो खूं बहाइए। 

एक ही स्वर  बस सुनाई दे अखिल ब्रह्मांड में, 

इस जोश से मां भारती का गान गाइए।





रागिनी शर्मा, इंदौर ने अपनी रचना के माध्यम से देश के लिए सर्वस्व न्योछावर करने का आह्वान किया। उनके गीत की पंक्तियाँ थीं, 

दिल मेरा, धड़कन मेरी, मेरी आन है। 

ये वतन तुझ पर जान मेरी कुर्बान है! 

कलम सदके में सदा, झुकती रहे। 

शब्द - शब्द में तेरी, इबादत रहे। 

भाव  मन के हों सदा शहादत भरे। 

अक्षर- अक्षर दिल में तेरा सम्मान है। 

वतन तुझ पर जान मेरी कुर्बान है...!


डॉ संगीता पाल, कच्छ, गुजरात ने देशभक्ति गीत सुनाया। गीत की पंक्तियां थीं, 

भारत की आन बान शान स्वाभिमान की। 

जय हो जवान की जय हो हिंदुस्तान की। 

सारे जग में लहराएगा शान तिरंगा प्यारा। 

धरा गगन पर गूंज रहा वंदे मातरम नारा। 

राष्ट्रगीत की जय बोलो जय बोलो राष्ट्रगान  की। 

जय हो जवान की जय हो हिंदुस्तान की।


सुश्री कृष्णा श्रीवास्तव, मुंबई ने तिरंगे की  महिमा  को अपने गीत में पिरोया, वतन के शान में जब, गगन लहराता तिरंगा है। झुकाते शीश फरिश्ते भी वफा गाता तिरंगा है। अंग्रेजों के जुल्मों का यह धरा देती गवाही है। झूल गये लाल फांसी पर, वहीं कहता तिरंगा है।


हेमलता शर्मा इंदौर ने अपनी कविता के माध्यम से जवानों के समर्पण को याद किया। उन्होंने कहा देश के जवान है तो वतन है, देश के जवानों को नमन है।

संचालन रागिनी शर्मा, इंदौर ने किया। आभार प्रदर्शन दीपिका सुतोदिया, गुवाहाटी ने किया।







20200810

विश्व के नवनिर्माण में प्रवासी भारतीयों की भूमिका अहम है : प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अनेक देशों में बसे साढ़े तीन करोड़ भारतवंशियों की जिजीविषा और कर्मठता से संवर रही है दुनिया

इंडो-स्कैंडिक आर्गनाइजेशन के आयोजन में श्री शुक्ल की कृति 'लॉकडाउन' और श्री पांडे की कृति 'यादों के इंद्रधनुष' का लोकार्पण


इंडो - स्कैंडिक ऑर्गेनाइजेशन द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी में नार्वे के वरिष्ठ लेखक एवं अनुवादक श्री सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' के काव्यसंग्रह 'लॉकडाउन' और स्वीडन के सुरेश पांडे की आत्मकथा 'यादों के इंद्रधनुष' का लोकार्पण विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने किया। उन्होंने पुस्तकों पर समीक्षात्मक व्याख्यान देते हुए कहा कि विश्व के नवनिर्माण में दुनिया के दो दर्जन से अधिक देशों में बसे साढ़े तीन करोड़ भारतवंशी अविस्मरणीय भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने तमाम प्रकार के कष्टों और संघर्षों के बावजूद अपनी जिजीविषा और कर्मठता को बरकरार रखा और आज वे अनेक माध्यमों से दुनिया को सँवार रहे हैं। प्रो शर्मा ने श्री शुक्ल के काव्य संग्रह लॉकडाउन को कोरोना संकटकाल के सरोकारों को लेकर लिखी गई प्रथम काव्यकृति कहा। उन्होंने  कहा कि विदेशों में बसे प्रवासियों के साहित्य में दोनों पुस्तकों का महत्त्वपूर्ण स्थान रहेगा।





लेखकों को अपनी शुभकामनाओं और उपस्थिति से उत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव श्री राजेन्द्र कुमार तिवारी और भारतीय रेलवे के महानिदेशक डॉ आनन्द खाती ने गरिमा प्रदान की। 



वरिष्ठ आई ए एस श्री राजेन्द्र कुमार तिवारी ने उत्तर प्रदेश में कोविड-19 से उपजे कोरोना वायरस के संकट से निपटने और प्रवासी श्रमिकों, गाँवों तथा इलाज एवं जरूरतमंदों को निशुल्क भोजन वितरण के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी दी।


लॉकडाउन कृति पर वक्तव्य देने वालों में प्रो. उमापति दीक्षित केंद्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा, केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय में उपनिदेशक डॉ  दीपक पांडेय, नई दिल्ली, प्रो निर्मला एस मौर्य, चेन्नई, डॉ पूनम सिंह, नई दिल्ली, डॉ ऋचा पाण्डेय, लखनऊ, डॉ मुकेश मिश्र, शिवम तिवारी, डॉ अंशुमान मिश्र आदि प्रमुख थे।



इंडो-स्कैंडिक आर्गनाइजेशन के अध्यक्ष और लॉकडाउन के रचनाकार सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' और 'यादों के इंद्रधनुष' के लेखक सुरेश पांडे ने अपने लेखकीय अनुभव साझा किये। 




वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने स्कैंडिनेवियाई देशों नार्वे, स्वीडेन, डेनमार्क, आइसलैंड और फिनलैण्ड के प्रसिद्ध कवियों की कविताओं का अनुवाद प्रस्तुत किया।



कार्यक्रम की अध्यक्षता स्टॉकहोम, स्वीडन के प्रो आशुतोष तिवारी ने करते हुए कोबिड-19  कोरोना संकट पर चर्चा की और भारत में ऑनलाइन निशुल्क चिकित्सा के अवसर का उल्लेख किया, जो एम हॉस्पिटल के नाम से सेवाएँ दे रहा है। हालैंड में गोपियो संस्था के रेयान तिवारी और डेनमार्क के डॉ योगेन्द्र मिश्र ने भी अपने विचार व्यक्त किये।












कार्यक्रम में चार महाद्वीप के प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका और आस्ट्रेलिया शामिल हैं। 

कार्यक्रम का शुभारम्भ भारत और सभी स्कैंडिनेवियाई देशों: नार्वे, स्वीडेन, डेनमार्क, आइसलैंड और फिनलैण्ड के राष्ट्रगान से हुआ।






20200807

महात्मा गांधी : विचार और नवाचार पुस्तक लोकार्पण

महात्मा गांधी : विचार और नवाचार पुस्तक का लोकार्पण
गांधी जी के विचारों और नवाचारों पर केंद्रित है प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा द्वारा संपादित पुस्तक

विक्रम विश्वविद्यालय के शलाका दीर्घा सभागार में आयोजित विशेष बैठक में मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा के सम्पादन में हाल ही में प्रकाशित पुस्तक महात्मा गांधी : विचार और नवाचार का विमोचन किया। विक्रम विश्वविद्यालय में महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती पर कुलपति प्रो. बालकृष्ण शर्मा के मार्गदर्शन में लगभग सौ दिवस की विस्तृत और समावेशी कार्ययोजना तैयार की गई थी। इस पुस्तक में गांधी जी के विचारों पर एकाग्र आलेखों के साथ विश्वविद्यालय द्वारा व्यापक सहभागिता के साथ किए गए नवाचारों का समावेश किया गया है। पुस्तक के विमोचन अवसर पर कुलपति प्रो बालकृष्ण शर्मा, कुलसचिव डॉ डी के बग्गा एवं पुस्तक के संपादक प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा उपस्थित थे।

महात्मा गांधी : विचार और नवाचार पुस्तक का लोकार्पण

महात्मा गांधी : विचार और नवाचार | सम्पादक प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा
महात्मा गांधी : विचार और नवाचार पुस्तक | सम्पादक प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा| Mahatma Gandhi : Vichar aur Navachar |A Book on Gandhi Thought and Innovation 
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि हम सब संकल्प लें कि विश्वविद्यालय को ऊंचाइयों तक ले जाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि विक्रम विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय में परिवर्तित करने का प्रयास किया जायेगा। चुनौती में ही अवसर मिलते हैं। आने वाले समय में नई संकल्पनाओं के साथ विश्वविद्यालय में नये पाठ्यक्रमों को शामिल कर शिक्षा के माध्यम से युवा पीढ़ी को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जाने का प्रयास किया जायेगा। वर्तमान व्यवस्थाओं के साथ केन्द्र सरकार द्वारा लागू की गई नई शिक्षा नीति से और नये आयाम जुड़ेंगे।


महात्मा गांधी : विचार और नवाचार पुस्तक | सम्पादक प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा |Mahatma Gandhi : Vichar aur Navachar |A Book on Gandhi Thought and Innovation 
 
कुलपति प्रो बालकृष्ण शर्मा ने कहा कि महात्मा गांधी के 150 वें जयंती वर्ष पर पूरे वर्ष में लगभग अस्सी दिवसों में गांधी जी के कृतित्व, विचार, संदेश और सामुदायिक प्रयत्नों पर केंद्रित विविधायामी गतिविधियों और नवाचारों का संयोजन किया गया, जो देश - दुनिया की किसी भी संस्था के माध्यम से किए गए कार्यक्रमों के मध्य एक विलक्षण उपलब्धि बना है। 



पुस्तक के सम्पादक हिन्दी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि ‘महात्मा गांधी : विचार और नवाचार’ पुस्तक में गांधी के जीवन, कार्यों और विचारों पर केंद्रित शोधपूर्ण आलेखों, दुर्लभ चित्रों के साथ कला, साहित्य, भाषाओं, समाज विज्ञानों, विविध भौतिक एवं जीवन विज्ञानों के शिक्षकों, शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों के सहयोग से किए गए नवाचारों को स्थान मिला है। 


प्रारम्भ में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव का विक्रम विश्वविद्यालय  द्वारा आत्मीय स्वागत किया। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बालकृष्ण शर्मा एवं कुलसचिव डॉ. डी के बग्गा ने शाल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर उन्हें सम्मानित किया।







कार्यक्रम में पूर्व कुलपति प्रो. रामराजेश मिश्र, प्रो. पी के वर्मा, डॉ. आर के अहिरवार, डॉ. सत्येंद्र किशोर मिश्रा आदि ने भी विचार व्यक्त किए।















Featured Post | विशिष्ट पोस्ट

महात्मा गांधी : विचार और नवाचार - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा : वैचारिक प्रवाह से जोड़ती सार्थक पुस्तक | Mahatma Gandhi : Vichar aur Navachar - Prof. Shailendra Kumar Sharma

महात्मा गांधी : विचार और नवाचार - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा : पुस्तक समीक्षा   - अरविंद श्रीधर भारत के दो चरित्र ऐसे हैं जिनके बारे में  सबसे...

हिंदी विश्व की लोकप्रिय पोस्ट